विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार दुनियाभर में हर चौथी मृत्यु हृदय या धमनियों से सम्बंधित बीमारियों की वजह से होती है। इनमें सबसे प्रमुख है हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक।
हमारा हृदय एक पंप है जिसका कार्य है पूरे शरीर को खून की आपूर्ति करना। हृदय को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो उसे कोरोनरी धमनियों (Coronary Artery) द्वारा रक्त पहुंचाकर उपलब्ध करवाई जाती है।
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान, तम्बाकू का सेवन, गरिष्ठ भोजन, व्यायाम का अभाव, तनाव व कुछ जेनेटिक कारणों की वजह से धीरे-धीरे दिल की नसों में चर्बी का जमाव होता है और रूकावट पैदा होने लगती है।
शुरूआत में छाती में दर्द होता है और बाद में रूकावट बढ़ने पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है। लगभग एक तिहाई मरीजों में ही हार्ट अटैक (Heart Attack) के चिर परिचित लक्षण होते हैं। जिनमें एक-तिहाई हार्ट अटैक के केस साईलेंट रहते हैं।
कुछ मरीजों में साइलेंट हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण कुछ अलग तरीके से देखने को मिलते हैं जैसे – छाती में दर्द न होकर कोई और लक्षण! जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है और इस वजह से इलाज में देरी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
साईलेंट अटैक में घबराहट, बैचेनी, पसीना, सीने में दबाव, गले में कुछ अटकना, पेट में दर्द, हाथों में दर्द, उल्टी, चक्कर, मूर्छा या हार्ट अटैक आदि शुरूआती लक्षण हो सकते हें।
हाई रिस्क मरीज़ों मे चिकित्सक की सलाह पर एस्पिरिन व अन्य दवाईयों की मदद से हार्ट अटैक को रोका जा सकता है। इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी द्वारा बंद नस को स्टेंट डालकर खोल कर जान बचाई जा सकती है। इससे तुरंत लक्षणों में आराम आने लगता हे और यह दिशा निर्देशों के हिसाब से श्रेष्ठ उपचार है।
साइलेंट हार्ट अटैक मधुमेह के मरीजों व अत्यधिक युवा व वृद्ध लोगो में ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि हम सभी अपने स्वास्थ्य और बीमारियों को लेकर सजग रहें।
नियमित व्यायाम,संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से दूरी, बीपी, शुगर पर कंट्रोल, तनाव का बेहतर प्रबंधन व नियमित स्वास्थ्य की जांच साईलेंट अटैक से बचने में आपकी मदद कर सकते हैं।
हार्ट अटैक पड़ने पर तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें।
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कस्टमाइज़ करेंस्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आवश्यक है। सर्वविदित है कि बचाव उपचार से बेहतर होता है। इसलिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
साथ ही साथ खुद के प्रति अलर्ट रहना भी आवश्यक है। कभी भी असामान्य लक्षण नज़र आएं तो नज़रअंदाज न करे व तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।
हार्ट अटैक में समय पर उपचार जीवन बचा सकता है और किसी भी तरह की देरी जानलेवा साबित हो सकती हे।
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