मायोपिया, जिसे निकट दृष्टिदोष के रूप में भी जाना जाता है। यह आंखों की एक ऐसी समस्या होती है, जिसके कारण व्यक्ति बिना चश्मे के स्पष्ट रूप से दूर की चीजों को देख पाना मुश्किल होता है। मायोपिया के लक्षण आसानी से समझ में आ जाते हैं। यह ज्यादातर स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रभावित करता है।
यदि आपको या परिवार के किसी सदस्य को मायोपिया या शॉर्ट साइटेडनेस है, तो कैटेरेक्ट सर्जरी उनके लिए अधिक जटिल हो सकती है। हमारी एक्सपर्ट डॉ. सुशा सुगाथानी जो मुंबई के न्यू आई एडवांस्ड आई केयर की फाउंडर और डायरेक्टर हैं, इस बारे में विस्तार से बता रही हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 5-15 वर्ष की आयु के 6 में से 1 बच्चा मायोपिया से पीड़ित है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि शॉर्ट साइटेडनेस वाले लोग, जिन्हें 20 वर्ष की आयु से पहले यह समस्या हो गई थी, उनमें मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है।
हालांकि कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह माना जाता है कि जैसे-जैसे मायोपिक आंखों में आगे से पीछे की ओर आंख की लंबाई बढ़ती है, वैसे-वैसे न्यूट्रीएंट्स लेंस के पीछे तक नहीं पहुंच पाते हैं।
इससे लोगों की साफ देखने की क्षमता खत्म हो जाती है और मोतियाबिंद का बनना शुरू हो जाता है। जहां मोतियाबिंद से निपटने के लिए सर्जरी सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है, वहीं शॉर्ट साइटेडनेस के कारण अतिरिक्त जोखिम और चुनौतियां पैदा हो जाती हैं।
जो लोग हाई मायोपिया से पीड़ित हैं, उनमें मोतियाबिंद सर्जरी के जोखिम बढ़ जाते हैं:
सर्जरी के द्वारा मोतियाबिंद को हटाना जटिल और जोखिम भरा हो जाता है जब व्यक्ति को हाई मायोपिया होता है। आईबॉल अधिक फैले रहने के कारण कितने पावर का लेंस लगना चाहिए, इसकी गणना करना और भी कठिन हो जाता है। इससे सही परिणाम मिलना मुश्किल हो जाता है और सर्जरी की सफलता दर भी कम हो जाती है। इसके अलावा, सर्जरी के दौरान आंखों की कई समस्याएं भी हो सकती हैं।
हाई शॉर्ट साइटेडनेस वाले लोगों में मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान और बाद में आंखों के आकार के कारण रेटिनल डिटेचमेंट का बहुत अधिक जोखिम होता है। यदि उचित सावधानी न बरती जाए, तो इससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा बढ़ जाता है।
हाई शॉर्ट साइटेडनेस रोगियों में जटिलताओं के बढ़ते जोखिम को देखते हुए सर्जन को ऑपरेशन करने के बाद मिलने वाले लाभ और जोखिम, दोनों मे तुलना अवश्य करना चाहिए। एम्मेट्रोपिक आंखों (बिना अपवर्तक त्रुटि के) की तुलना में मायोपिक आंखों में रेटिनल डिटेचमेंट जैसी रेटिनल जटिलताओं का अधिक जोखिम होता है। इसलिए सर्जन के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह यह अच्छी तरह परख ले कि सर्जरी से आंखों में रेटिना के टूटने, आंखों की कमजोरी या होल बनने की संभावना तो नहीं बन रही है।
इनके अलावा, हाई मायोपिया वाले लोग एपिरेटिनल मेम्ब्रेन (एक फाइब्रो-सेलुलर ऊतक जो रेटिना के अंदरूनी हिस्से पर बनते हैं), मैकुलर डिजनरेशन या अन्य बड़े बदलावों से भी पीड़ित हो सकते हैं। ये सभी सर्जरी के माध्यम से प्राप्त दृष्टि को सीमित कर सकते हैं और पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को प्रभावित कर सकते हैं। सिस्टॉयड मैकुलर एडिमा (एक दर्द रहित विकार जो सेंट्रल मैक्युला या रेटिना को प्रभावित करता है)।
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कस्टमाइज़ करेंसामान्य मोतियाबिंद मूल्यांकन के अलावा, रेटिना की स्थिति का सही आकलन करने और आंख की एक्जियल लेंथ को मापने के लिए देखभाल करना आवश्यक है। हाई शॉर्ट साइटेडनेस में एक पोस्टीरियर स्टेफिलोमा भी हो सकता है (एक ऐसी स्थिति जो आमतौर पर लंबी एक्जियल लेंथ वाले हाई मायोपिक रोगियों में देखी जाती है)।
यह मानक ए-स्कैन अल्ट्रासाउंड के साथ मापा जाने के बाद गलत तरीके से लंबी एक्जियल लेंथ का कारण बन सकती है। यह लेंस की गणना में गलती का कारण बन सकता है और साथ ही अन्य आंखों के मुद्दों के विकास का कारण बन सकता है जो अंततः रोगी के अनुभव को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, माप के लिए ऑप्टिकल विधि का उपयोग करना हमेशा सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह अधिक सटीक होता है।
मोतियाबिंद सर्जरी मोतियाबिंद से छुटकारा पाने का एक प्रभावी तरीका है, हाई मायोपिया वाले रोगियों के लिए मोतियाबिंद होने पर अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है।
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