ओवरथिंकर और खराब नींद से ग्रस्त होते हैं स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने वाले लोग, जानिए क्यों होता है ऐसा
इस डिजिटल वर्ल्ड में लोग सुबह उठने के साथ मोबाइल फोन की स्क्रीन देखते हैं, और सोने से पहले भी ठीक ऐसा ही करते हैं। इसके अलावा पूरे दिन हाथ में मोबाइल होने की वजह से बार-बार स्क्रीन पर कुछ न कुछ देखते रहना लोगों के नियमित जिंदगी की आदत बन चुका है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट, टेलीविजन आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिस प्रकार इनफॉरमेशन ओर एंटरटेनमेंट को आसानी से आप तक पहुंचा रहे हैं, ठीक उसी प्रकार यह कई बीमारियों को भी आमंत्रित कर रहे हैं। खासकर स्क्रीन टाइम की वजह से नींद पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है (Sleep-Disrupting Effects of Screen Time)।
स्क्रीन टाइम आपकी नींद को कई रूपों में प्रभावित कर सकती है (side effects of Screen Time)। वहीं इससे नींद की गुणवत्ता पर भी बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ एम के सिंह ने नींद पर स्क्रीन टाइम के प्रभाव से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दी है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से (Sleep-Disrupting Effects of Screen Time)।
जानें आपकी नींद को किस तरह प्रभावित करती है स्क्रीन टाइम (Sleep-Disrupting Effects of Screen Time)
1. ब्लू लाइट एमिशन
अधिकांश डिजिटल स्क्रीन नीली रोशनी उत्सर्जित करती हैं, जो मेलाटोनिन के उत्पादन को दबा सकती है। यह एक हार्मोन है जो आपके नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करता है। इस शॉर्ट वेवलेंथ लाइट के संपर्क में आना विशेष रूप से शाम को, आपकी नींद की गुणवत्ता पर बेहद नकारात्मक असर डालता है।
2. दिमाग रहता है अधिक एक्टिव
सोशल मीडिया, वीडियो गेम या ऐप के माध्यम से स्क्रीन से जुड़ना मानसिक रूप से उत्तेजक हो सकता है। हम जो कुछ देखते हैं, वह भावनाओं, विचारों या यहां तक कि एंजायटी को भी ट्रिगर कर सकता है, जो दिमाग को सक्रिय रखते हैं। इस स्थिति में आराम करना और बॉडी को नींद के लिए तैयार करना मुश्किल हो सकता है।
3. सोने में देरी होती है
स्क्रीन का आकर्षण अक्सर सोने के समय में देरी की ओर ले जाता है। यंगस्टर्स सहित कई व्यक्ति रात को सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हैं या अपने पसंदीदा शो का “बस एक और” एपिसोड देखते रहते हैं, जिससे सोने के समय में देरी हो सकती है और नींद के घंटे कम हो जाते हैं।
4. सर्कैडियन रिदम बदल सकता है
हमारी आंतरिक बॉडी क्लॉक, या सर्कैडियन रिदम, दिन के उजाले और रात के अंधेरे को देखते हुए शरीर को नींद का संकेत देती है। स्क्रीन के साथ लंबा समय बिताने से सर्कैडियन रिदम डिस्टर्ब हो सकती है, जिससे आपको नींद नहीं आती।
नींद की गुणवत्ता पर पड़ते हैं ये नकारात्मक असर
1. कम हो जाती है स्लो वेव स्लीप (slow wave sleep)
स्लो वेव स्लीप या गहरी नींद शारीरिक और मानसिक कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्क्रीन डिस्टर्बेंस, विशेष रूप से ब्लू लाइट के माध्यम से, आपकी गहरी नींद की मात्रा को कम कर सकता है, जिससे की नींद से जागने पर आप तरोताजा महसूस नहीं करती हैं।
2. REM नींद में रुकावट (rapid eye movement sleep interruption)
स्क्रीन रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप को बाधित कर सकती है, जो सपने देखने और संज्ञानात्मक प्रसंस्करण यानी कि कॉग्निटिव प्रोसेसिंग से जुड़ी एक अवस्था है। स्क्रीन के लंबे इस्तेमाल से स्लीप डिसऑर्डर और नींद डिस्टर्ब होने से REM नींद कम हो सकती है, जिससे मेमोरी और संज्ञानात्मक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Healthy Sleep : अपनी नींद की घड़ी को व्यवस्थित करना है, तो इन 4 चीजों का जरूर रखें ध्यान
3. बार-बार नींद खुल जाना (fragmented sleep)
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, स्क्रीन से रुकावटें खंडित नींद का कारण बन सकती हैं। इस स्थिति में रात को बार-बार नींद खुल जाती है, जिसके परिणामस्वरूप नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है। वहीं नींद अधूरी रह जाती है।
4. बिस्तर पर जाने के लंबे समय बाद नींद आना (increase sleep latency)
नींद में देरी से तात्पर्य बिस्तर पर जाने के बाद सोने में लगने वाले समय से है। स्क्रीन से होने वाली मानसिक उत्तेजना के कारण बिस्तर पर जाने के बाद नींद आने में लंबा समय लगता है। जिससे कि नींद के बाद जागना बेहद मुश्किल हो जाता है और व्यक्ति को पूरे दिन नींद आती रहती है।
5. सुस्ती भरी सुबह (morning grogginess)
रात को या पूरे दिन स्क्रीन के साथ समय बिताने से आप निर्धारित समय से अधिक देर तक जागती रहती हैं, जिससे कुल नींद के समय में कमी आ जाती है। यह आपके स्लिप शेड्यूल को प्रभावित करता है, इसके परिणाम स्वरूप सुबह सुस्ती और जागने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
जानें कैसे कम कर सकती हैं स्क्रीन टाइम
हालांकि, ऐसा एक दिन में मुमकिन नहीं है परंतु आप धीरे-धीरे प्रयास कर अपनी स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण पा सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण है सेल्फ कंट्रोल, इसलिए स्क्रीन टाइम का एक लिमिट सेट करें और उसे कंसिस्टेंसी के साथ फॉलो करें। दिन का कुछ समय या हफ्ते के कुछ दिन ऐसे होने चाहिए जब आप स्क्रीन पर समय न बिताए। वहीं घर में ऐसे कमरे होने चाहिए खासकर आपका बेडरूम जहां टेलीविजन या किसी अन्य प्रकार का स्क्रीन न हो।
यदि आप लंबे समय तक फ्री रहती हैं और उसे बीच मोबाइल या फिर अन्य स्क्रीन का इस्तेमाल करती हैं, तो खुद को व्यस्त रखने का प्रयास करें। अपनी पसंदीदा हॉबी को फॉलो करें, या दोस्तों के साथ वक्त बिताएं। वहीं आप चाहे तो वर्कआउट कर सकती हैं। इससे स्क्रीन टाइम के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे साथ ही साथ शरीर को कई अन्य फायदे भी मिलेंगे।
यह भी पढ़ें: Menopause and Sleep : मेनोपॉज आपकी नींद में भी डाल सकता है खलल, जानिए इस स्थिति से कैसे डील करना है
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।