अगर आपको बिना ब्रश किए बेड टी लेने की आदत है, तो सावधान हो जाइए! यह आदत आपके लिए कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं, दिन भर में बार-बार कुछ न कुछ खाते रहने की आदत भी ओरल हाइजीन को प्रभावित कर आपको पाचन संबंधी समस्याएं दे सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह कथन बेहद प्रसिद्ध है कि मुंह साफ रहने पर डॉक्टर हमसे दूर रहते हैं। जबकि खराब ओरल हाइजीन (Poor oral hygiene) पेट की गड़बड़ी का कारण बनती है। ओरल हाइजीन सही नहीं रहने पर मुंह की सारी गंदगी लार के माध्यम से पेट में चली जाती है। यही गंदगी खराब पाचन का कारण बनती है। आइए जानते हैं क्या है ओरल हाइजीन और पेट का कनेक्शन(oral hygiene and gut health connection। इसके बारे में बता रही हैं पारस हॉस्पीटल, गुरुग्राम की एमडीएस पीरियडोन्टिस्ट डॉ. सोनल वखाले।
पबमेड सेंट्रल और भारत के जर्नल ऑफ़ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, भारतीय समुदाय के लोगों में सही तरीके से मुंह और दांत की सफाई नहीं होने के कारण पेरियोडोंटल रोग, दंत क्षय (dental carries) यहां तक कि ओरल कैंसर होने का जोखिम सबसे अधिक रहता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि खराब ओरल हाइजीन मधुमेह और हृदय रोगों के जोखिम को भी बढ़ा देती है। इसलिए इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है।
पीरियडोन्टिस्ट डॉ. सोनल वखाले बताती हैं, ‘पाचन तंत्र न केवल मुंह से पाइपलाइन से जुड़ा है, बल्कि बाहरी दुनिया के साथ बायोलॉजिकल इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है। आंत न केवल अलग- अलग खाए जाने वाले भोजन और पीये जाने वाले पेय के बारे में हमें बताता है, बल्कि शरीर की हर अच्छी-बुरी प्रतिक्रिया के बारे में भी जानकारी देता है। एक मजबूत आंत आपके पूरे स्वास्थ्य की देखभाल कर पाती है।’
दरअसल आंतों में मौजूद माइक्रोफ्लोरा शरीर को भोजन पचाने और कुछ विटामिन बनाने में मदद करता है। यह सूक्ष्मजीवी हर प्रकार की बीमारी, संक्रमण के खिलाफ भी रक्षा करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली तभी सक्रिय होती है जब आपका माइक्रोबायोम स्वस्थ नहीं होता है। जब पाचन तंत्र में बैक्टीरिया में असंतुलन हो जाता है, तो यह मौखिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
यह मसूड़ों की बीमारी और दांतों की सड़न जैसी चीजों में योगदान देता है। आंत में अन्य समस्याएं जैसे कि एसिड रिफ्लक्स दांतों को खतरनाक एसिड के संपर्क में लाकर प्रतिकूल रूप से प्रभावित डालता है। यह इनेमल को खराब कर सकता है।‘
जर्नल ऑफ़ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में यह उल्लेख किया गया है कि दिन में दो बार ब्रश करना ओरल हाइजीन के लिए महत्वपूर्ण है। टूथब्रश हमेशा मुलायम और सपाट होना चाहिए। उनकी बनावट भी सरल होनी चाहिए।
गम लाइन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ब्रश की पट्टी से मसूड़ों को चोट लगने की संभावना बनी रहती है। दांतों की सतह को सड़न से बचाने में मदद के लिए फ्लोराइड टूथपेस्ट का प्रयोग करना चाहिए।
टूथब्रश के विज्ञापन दावा करते हैं कि उनका टूथब्रश दांतों के बीच की सफाई अच्छी तरह कर पाएगा। इसके बावजूद फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल दांतों के बीच की सफाई के लिए जरूर करना चाहिए। क्योंकि इनकी बनावट ख़ास होती है। सांसों की बदबू, दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी को रोकने के लिए दांतों के बीच फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल करना जरूरी है। ताकि ये गंदगी पेट तक न जाए।
यूनाइटेड यूरोपियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की स्टडी के अनुसार सही तरीके से मुंह की सफाई नहीं करने पर कई क्रोनिक डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है।
इसलिए दांतों को साफ रखना जरूरी है। दिन में तीन बार भोजन के अलावा हम दिन भर कुछ न कुछ चबाते रहते हैं। इससे हमारे दांत प्रभावित होते हैं। स्नैकिंग के कारण मुंह में प्लाक एसिड को बढ़ावा मिल जाता है। इससे दांतों की सतह सड़ने के लिए बहुत संवेदनशील बन जाती हैं। हर एसिड अटैक के बाद दांतों का रिकवरी पीरियड होना जरूरी है। दांतों में चिपकने वाले पदार्थों की बजाए ऐसी चीजों का सेवन करें, जो दांतों पर चिपके नहीं।
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कस्टमाइज़ करेंकिसी भी उत्पाद की तरह टूथब्रश भी समय के साथ पुराने पड़ने लगते हैं। ब्रिसल्स अपना आकार खोने लगते हैं और कड़े होने लगते हैं।
हर तीन महीने में इसे बदल लेना उचित है। इसलिए कपड़े या दूसरे सामान की तरह टूथ ब्रश भी बदलें। इससे ये बेहतर तरीके से आपके दांतों की सफाई कर पाएंगे।
डेंटल चेकअप और सफाई के लिए नियमित रूप से अपने डेंटिस्ट और हाइजीनिस्ट से मिलना महत्वपूर्ण है। दांतों के एक्सपर्ट ऐसे किसी भी दांत की पहचान कर सकते हैं, जिनमें कोई भी समस्या नजर आ रही है। जरूरत के हिसाब से वह दांत का उपचार कर सकते हैं। डेंटिस्ट या हाइजीनिस्ट दांतों की सफाई करेगा और जरूरी सलाह भी देगा कि दिन भर मुंह और दांतों की सफाई और देखभाल किस तरह की जा सकती है।
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