सर्दियों की लंबी रातें और वह नर्म सा बिस्तर! छोड़ने का मन नहीं करता न? पर क्या आप जानती हैं कि देर तक सोने की आपकी ये आदत न केवल आपका दिन भर का शेड्यूल बिगाड़ सकती है, बल्कि आपका इंसुलिन लेवल भी गड़बड़ कर सकती है। यकीन नहीं आता? तो इस स्टडी को ध्यान से पढ़िए। जो आपके देर तक सोने की आदत और बढ़े हुए शुगर लेवल के बीच एक नया कनैक्शन साबित कर रही है।
आज के समय में ज्यादातर युवा देर से सोकर उठते हैं। भले ही यह शरीर को आराम देता हो, लेकिन यह सेहत के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है। बचपन से ही अंग्रेजी की एक कहावत हम सबने सुनी है, “अर्ली टू बेड, अर्ली टू राइज” । इसके बावजूद जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे सोने और जागने की आदतें बदलने लगती हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्टडीज ने सोने-जागने की आदतों को और भी ज्यादा प्रभावित किया है। अगर आपका बच्चा भी देर तक सोता है तो आपको उसे जागरूक करने की जरूरत है। क्योंकि यह आदत युवाओं में डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा रही है। सुनी सुनाई बात नहीं है बल्कि इस पर एक शोध किया गया है।
हाल ही में अमेरिका के ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी (Brigham Young University) द्वारा एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में इस बात का दावा किया गया कि देर तक सोने वाले युवाओं में डायबिटीज का जोखिम बढ़ रहा है। इस अध्ययन का निष्कर्ष स्लीप जनरल में प्रकाशित किया गया। अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं द्वारा पूरे 1 हफ्ते तक युवाओं के खाने के पैटर्न पर नजर रखी गई और विश्लेषण किया गया। सभी प्रतिभागियों को हफ्ते भर तक रात को 6.5 घंटे की नींद लेने पर और अगले हफ्ते रात को 9.5 घंटे सोने और उठने के बाद भोजन की मॉनीटरिंग की गई।
प्रतिभागियों द्वारा दोनों ही चरणों में सामान्य कैलोरी का सेवन किया गया। उन सभी ने ऐसे भोजन को अपनाया जो फूड आइटम ज्यादा ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने का काम करते हैं।
इस पूरे मामले पर शोध में शामिल डॉ. ड्यूरासियो कहते हैं कि युवाओं में मोटापा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इसलिए उन्हें अपने खाने के पैटर्न के साथ-साथ सोने के पैटर्न पर भी गंभीरता से विचार करना होगा। पर्याप्त नींद जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा नींद कई जोखिम पैदा कर सकती है। इसमें मोटापा और डायबिटीज दो प्रमुख नुकसान हैं। इसके अलावा नाश्ते में युवाओं को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को जगह देने की आवश्यकता है।
एक अच्छी सेहत, शांत दिमाग और स्वस्थ बने रहने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद बहुत आवश्यक है। हालांकि इससे ज्यादा सोने से कई प्रकार की अन्य समस्याएं जन्म ले सकती है। जैसे : –
साल 2013 में अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। जिसके अनुसार ज्यादा देर तक सोने वाले लोगों के लेफ्ट वेंट्रिकुलर पर ज्यादा वजन पड़ता है। यह हार्ट अटैक की आशंकाएं बढ़ा सकता है। इसके कुछ समय बाद न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किए गए अध्ययन में पाया गया कि नींद की वजह से कार्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा करीब 18% तक बढ़ रहा है।
ज्यादा देर तक सोने से हमारी मनोदशा पर भारी प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण हम डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। दरअसल नींद मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर को काफी प्रभावित करती है। जब हम लंबी नींद लेते हैं, तो हमारी शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती है।
यदि कोई व्यक्ति दोपहर में 12:00 बजे सोकर उठता है, तो उसका दिन 12:00 बजे के अनुसार शुरू होता है। वक्त कम होने के कारण शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती हैं। और न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को बढ़ाने के लिए अधिक शारीरिक गतिविधि जरूरी है।
ओवरस्लीपिंग हमारी नींद को प्रभावित करती है। जब आप सुबह देर तक सो कर उठते हैं तो अगले दिन रात में भी देर से ही नींद आती है। इस कारण पूरी दिनचर्या प्रभावित हो जाती है। जिसकी वजह से सिर दर्द की समस्या शुरू हो जाती है कई बार यह माइग्रेन का रूप भी ले लेता है।
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