कई बार हम अपनी क्रेविंग्स को कंट्रोल नहीं कर पाते और पेट भरने के बाद भी टेस्ट बड्स और क्रेविंग को शांत करने के लिए खाते रहते हैं। क्या आप भी ऐसा करती हैं? यदि हां, तो आपकी यह आदत बिल्कुल भी उचित नहीं है। जरूरत से ज्यादा खाना यानी कि ओवरईटिंग से केवल मोटापा नहीं बढ़ता बल्कि यह अन्य कई रूपों में सेहत को प्रभावित कर सकता है।
ज्यादा खाना खाने से आपकी नींद प्रभावित होती है, साथ ही यह पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है। ओवरईटिंग अन्य कई लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर का कारण बन सकता है (Overeating side effect)। तो आज जानेंगे जब आप ज्यादा खाती हैं तो आपके शरीर में वास्तव में क्या बदलाव होते हैं, साथ ही जानेंगे इसके पीछे का कारण।
अधिक मात्रा में खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पाचन क्रिया पर अधिक भार पड़ता है और खाद्य पदार्थ पूरी तरह से पच नहीं पाते, जिसकी वजह से गैस और ब्लोटिंग ट्रिगर होती हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार जल्दी-जल्दी खाना और अधिक मात्रा में भोजन करने से पेट में गैस बनना शुरू हो जाता है और पेट फुला हुआ रहता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ओवरईटिंग से कई सारी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इनमें सबसे आम है मोटापा। इसके अलावा दिल से जुड़ी समस्याएं, डायबिटीज, स्ट्रोक और कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा बना रहता है।
ASA जर्नल के अनुसार आवश्यकता से अधिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से खून में फैट का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर, इन्सुलिन रेजिस्टेंस और इन्फ्लेमेशन होने का खतरा बना रहता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए सीमित मात्रा में और हल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
जब आप खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, तो डाइजेशन प्रोसेस शुरू होता है जिससे आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यदि आप जरूरत से ज्यादा खा रही हैं या स्पाइसी फूड्स का अधिक सेवन करती हैं, तो खाने के बीच पसीना आना और तेज गर्मी का एहसास होता है। यदि आपके साथ भी बार-बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है, तो फौरन अपने खाद्य पदार्थों की मात्रा को सीमित करें।
ओवरईटिंग के बाद ज्यादातर लोग सुस्ती, आलसी और थकान महसूस करते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार ओवरईटिंग के बाद रिएक्टिव हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति उत्पन्न होती है। जहां खाने के बाद आपका ब्लड शुगर लेवल अचानक से गिरता है। लो ब्लड शुगर लेवल के कारण लोगों को आलस और नींद आती है। इसके अलावा हार्ट रेट बढ़ जाता है और सिर में दर्द महसूस होता है।
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नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार घ्रेलिन और लेप्टिन दोनों ही हॉरमोन भूख को नियंत्रित करते हैं। ग्रेलिंग भूख का एहसास दिलाता है, तो लेप्टिन भूख को कम करता है। यदि आप लंबे समय से भूखी हैं, तो शरीर में ग्रेलिंग का स्तर बढ़ने लगता है। वहीं जब आप खाना खा लेती हैं, तो लेप्टिन आपको बताता है कि आपका पेट भर चुका है। ऐसे में यदि आप ओवरईटिंग कर रही हैं, तो इन दोनों ही हार्मोन का स्तर बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से आपकी क्रेविंग्स बढ़ जाती हैं और खाने पर आपका नियंत्रण नहीं रहता।
हाइ फैट, साल्टेड और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन डोपामाइन यानी कि फीलगुड हार्मोन को रिलीज करता है, जो आपके ब्रेन में प्लेजर को एक्टिवेट कर देते हैं। ऐसे में हम सभी हॉर्मोन्स के असंतुलित होने पर और ज्यादा खाना शुरू कर देते हैं। आवश्यकता से अधिक खाने से भूख अनियंत्रित हो जाती है। जिसकी वजह से या तो न्यूट्रीशनल डिफिशिएंसी का सामना करना पड़ता है या हम अधिक मात्रा में फैट और कैलोरी लेना शुरू कर देते हैं।
ओवरईटिंग कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले संतुष्टि जनक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा उन खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखें जो आपकी क्रेविंग को ट्रिगर करते हैं जैसे कि ऐडेड शुगर युक्त फूड्स। प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा लेना न भूलें, इसके अलावा एक उचित डाइट प्लान बहुत जरूरी है। साथ ही अपनी डाइट की क्वांटिटी का भी पूरा ध्यान रखें। अपनी नियमित रूटीन में हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और फाइबर युक्त अन्य अनाज को शामिल करें। यह सभी आपको ओवरईटिंग की समस्या से बचाएंगे।
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