शरीर और मस्तिष्क दोनों को नुकसान पहुंचाता है ध्वनि प्रदूषण, बचाव के लिए कुछ बातों का रखें खास ध्यान

शोर में काम करने वाले या शोर में लंबा समय बिताने वाले लोगों को अधिक स्ट्रेस होता है। यदि आप भी उनमें से एक हैं, तो आपके लिए यह जानना जरुरी है की नॉइस पॉल्यूशन आपकी सेहत को किस तरह प्रभावित कर सकता है (effect of noise pollution)।
effect of noise pollution
रेलवे ट्रैक और रोड के किनारे गाड़ियों की शोर में रहने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य शांत जगहों पर रहने वाले लोगों की तुलना में असंतुलित होता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Published On: 1 Nov 2024, 10:36 am IST
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अंदर क्या है

  • ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को लेकर एक्सपर्ट की राय
  • मानसिक स्वास्थ्य पर नॉइस पॉल्यूशन का प्रभाव
  • बच्चों पर ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव
  • नॉइस पॉल्यूशन को कम करने के उपाय

दिवाली में पटाखे और आतिशबाजी की वजह से वातावरण में नॉइस पॉल्यूशन बढ़ जाता है। नॉइस पॉल्यूशन (effect of noise pollution) आपकी सेहत को कई रूपों में नुकसान पहुंचा सकता है। विशेष रूप से यह छोटे बच्चों के लिए अधिक परेशानी भरा हो सकता है। इसके अलावा कई ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसमें यह पाया गया है कि रेलवे ट्रैक और रोड के किनारे गाड़ियों की शोर में रहने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य शांत जगहों पर रहने वाले लोगों की तुलना में असंतुलित होता है। शोर में काम करने वाले या शोर में लंबा समय बिताने वाले लोगों को अधिक स्ट्रेस होता है। यदि आप भी उनमें से एक हैं, तो आपके लिए यह जानना जरुरी है की नॉइस पॉल्यूशन आपकी सेहत को किस तरह प्रभावित कर सकता है (effect of noise pollution)।

विजय वर्मा, कंसल्टेंट- एलर्जी और ईएनटी विशेषज्ञ, सीके बिड़ला अस्पताल गुरुग्राम ने नॉइस पॉल्यूशन साइड इफेक्ट्स से जुडी कुछ जरुरी जानकारी दी है, तो चलिए जानते हैं आखिर यह आपके सेहत को किस तरह से प्रभावित कर सकता है (effect of noise pollution)।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को लेकर क्या है एक्सपर्ट की राय

अक्सर नज़रअंदाज़ की जाने वाली पर्यावरणीय समस्या, ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लंबे समय तक तेज़ आवाज़ के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। 85 डीबी से ज़्यादा शोर का स्तर विशेष रूप से हानिकारक होता है। लेकिन इसका असर सिर्फ़ कानों पर ही नहीं पड़ता। बल्कि लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहने से तनाव का स्तर भी बढ़ सकता है, जिससे हृदय गति और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे में हृदय संबंधित समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

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शोर में रहने पर हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा हो जाता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

नॉइस पॉल्यूशन चिंता, क्रोध और यहां तक कि नींद की समस्या भी पैदा कर सकता है, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोर के कारण नींद में रुकावट आ सकती है, जिससे शरीर को पर्याप्त नींद प्राप्त करने में परेशानी होती है। जो समय के साथ प्रतिरक्षा और सामान्य स्वास्थ्य को ख़राब कर सकता है। बच्चे और बुज़ुर्ग विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, क्योंकि लंबे समय तक संपर्क में रहने से उन्हें याददाश्त या एकाग्रता की समस्या हो सकती है। इसलिए, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण को कम करना महत्वपूर्ण है।

कुछ लोगों को, चाहे वे किसी भी उम्र के हों, तेज़ आवाज़ के संपर्क में रहने से अचानक सुनने की क्षमता कम हो सकती है, जो हल्की से लेकर पूरी तरह सुनने की क्षमता कम होने तक हो सकती है।

मानसिक स्वास्थ्य पर नॉइस पॉल्यूशन का प्रभाव

अनावश्यक आवाजों से मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

मस्तिष्क हमेशा खतरे के संकेतों के लिए नॉइस पर नज़र रखता है, यहां तक कि नींद में भी। परिणामस्वरूप, लगातार या तेज़ आवाज़ चिंता या तनाव को ट्रिगर कर सकती है। ध्वनि प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से व्यक्ति की तनाव के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

ध्वनि प्रदूषण के साथ रहने वाले लोग चिड़चिड़े, बेचैन, निराश या क्रोधित महसूस कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि वह अपने वातावरण में शोर की मात्रा को नियंत्रित नहीं कर सकता है, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

नॉइस पॉल्यूशन के कारण व्यक्ति को इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है:

सोने में कठिनाई होना
लगातार सोए रहने में कठिनाई
बहुत जल्दी जागना

अनावश्यक आवाजें और शोर गुल नींद की गहराई और गुणवत्ता को भी कम कर सकती है। जिससे रैपिड आई मूवमेंट नींद की मात्रा में बदलाव आता है। यह व्यक्ति के मूड और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

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8 घंटे तक लगातार शोर के संपर्क में रहने से बच्चों में स्थायी हियरिंग चेंजेज हो सकता है।
चित्र- अडोबीस्टॉक

बच्चों पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव

2018 में किए गए अध्ययन के अनुसार बच्चे विशेष रूप से शोर से होने वाली सुनने की क्षमता की हानि यानी कि हियरिंग लॉस के प्रति संवेदनशील होते हैं। 2014 के एक अध्ययन में पाया गया कि दिन में 8 घंटे तक लगातार शोर के संपर्क में रहने से बच्चों में स्थायी हियरिंग चेंजेज हो सकता है।

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इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में छपे एक अध्ययन के अनुसार ध्वनि प्रदूषण ग्रोथ के किसी भी स्टेज में बच्चे की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, जिसमें भ्रूण, शैशवावस्था और किशोरावस्था शामिल है।

इसके अलावा, स्कूल या घर में अवांछित या तेज़ शोर बच्चों के नई चीजें सीखने की गुणवत्ता को कम कर देती है। उन्हें कुछ चीजों में अधिक कठिनाई का अनुभव हो सकता है:

एकाग्र रहने में
बातचीत और स्पीच डिसऑर्डर
कॉग्निटिव फंक्शन

जानें नॉइस पॉल्यूशन को कैसे करना है कम

1. उपकरणों के शोर को कम करें

एयर कंडीशनिंग यूनिट, हीटर, पंखे और अन्य उपकरण जैसे आइटम घर में समग्र शोर के स्तर में योगदान कर सकते हैं। उन्हें अधिक बार बंद करने या टाइमर सेट करने का प्रयास करें, ताकि वे केवल निश्चित समय पर ही चालू हों।

2. मीडिया उपकरणों से शोर कम करें

म्यूजिक, टेलीविज़न, रेडियो और वीडियो गेम से शोर की मात्रा और अवधि को कम करने पर विचार करें। लंबे समय तक शोर बजाने या बहुत अधिक आवाज़ सुनने से बचें।

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एयरप्लग के इस्तेमाल से जितना हो सके बचने का प्रयास करें। चित्र : अडॉबीस्टॉक

3. ध्वनिरोधी

घर के चारों ओर इन्सुलेशन जोड़ने से अन्य कमरों, पड़ोसियों या बाहर से आने वाली आवाज़ों को कम करने में मदद मिल सकती है। गलीचे, कालीन और पर्दे भी मदद कर सकते हैं।

4. कुछ देर शांति में समय बिताएं

नियमित रूप से शांत गतिविधियों, जैसे कि पढ़ना, पहेलियां या रचनात्मक शौक के लिए समय निकालने का प्रयास करें। इस दौरान म्यूजिक या अन्य शोर से बचें।

5. कान की सुरक्षा पर ध्यान दें

यदि तेज़ शोर हो रहा है, तो इसके प्रभाव को कम करने के लिए इयरप्लग या इयरमफ़ जैसे ईयर प्रोटेक्शन का उपयोग करें।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं।

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