डियर कॉफी लवर, एंडोमेट्रियोसिस से जूझ रही हैं, तो एक्सपर्ट से जानें दिन भर में आपको कितनी कॉफी पीनी चाहिए

एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होने पर कॉफ़ी इंटेक पर ध्यान देना चाहिए। कॉफ़ी की अधिक मात्रा समस्या को बढ़ा सकती है। इसके कारण पीरियड क्रेम्प्स, दर्द और दस्त जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
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एंडोमेट्रियोसिस को नियंत्रित करने के लिए दिनभर में 1-2 कप कॉफ़ी और 2-3 कप चाय पीनी चाहिए। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 9 Jun 2023, 09:30 am IST
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काम करते हुए झपकी आने लगती है, तो कॉफ़ी नींद भगाकर आपको तरोताजा कर देती है। कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि बिना दूध-चीनी के तैयार कॉफ़ी (Black Coffee or Healthy Coffee) वजन कंट्रोल (Weight loss) करने में मदद कर सकती है। ज्यादा मात्रा में ली गई कॉफ़ी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो जाती है। कॉफ़ी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है। अधिक कॉफ़ी एंडोमीट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सेक्सोलोजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट डॉ. अंजलि कुमार महिलाओं को सुझाव देती हैं। एंडोमीट्रियोसिस की समस्या होने पर माइंडफुल तरीके से कैफीन (coffee and endometriosis) का सेवन करना चाहिए। सबसे पहले जानते हैं एंडोमीट्रियोसिस के बारे में।

क्या है एंडोमेट्रियोसिस की समस्या (Endometriosis Problem)

एक इनफलेमेट्री स्थिति (Inflammatory Condition) है एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)। एंडोमेट्रियोसिस के कारण महिलाओं में ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ने लग जाते हैं।

यह हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होता है। इससे एंडोमेट्रियम अधिक मात्रा में विकसित होने लगता है। इससे पीरियड्स में असामान्य समस्याओं (severe period condition) का सामना करना पड़ सकता है। इससे हैवी ब्लड फ्लो (Heavy Flow) भी हो सकता है।

एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन बढ़ाता है मुश्किलें ( extra estrogen for Endometriosis)

सेक्सोलोजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट डॉ. अंजलि कुमार अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘ एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन प्रोडूस होते हैं। अतिरिक्त एस्ट्रोजन ही सूजन और गंभीर दर्द को ट्रिगर कर सकता है। अतिरिक्त एस्ट्रोजेन से छुटकारा पाने के लिए शरीर नेचुरल प्रोसेस का साथ लेता है। यह आंतों के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थ के साथ बाहर निकलती है। कम हाइड्रेटेड रहने से कब्ज होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसका अर्थ है कि शरीर अतिरिक्त एस्ट्रोजन को संसाधित करने में सक्षम नहीं होगा। यही एस्ट्रोजन एंडोमेट्रियोसिस की गंभीरता को बढ़ा देता है।’

कैफीन के कारण हो सकती है डिहायड्रेशन की समस्या (Dehydration from coffee) 

कैफीन डाययूरेटिक के रूप में कार्य करता है। इसका मतलब हुआ कि कॉफ़ी पीने के बाद बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। इसके कारण जिन मिनरल्स और नुट्रीएंट्स को शरीर बाहर निकाल देता है, जिसके उपयोग करने का अवसर शरीर को नहीं मिल पाया। अधिक मात्रा में या पानी के स्थान पर कॉफ़ी का सेवन करने पर यह निर्जलीकरण (Dehydration) का कारण भी बन सकता है। एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं को हाइड्रेटेड रहने की अधिक जरूरत पड़ती है।’

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डाययूरेटिक कॉफ़ी पीने के बाद बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

अधिक कॉफी पीने वाली महिलाओं को अधिक समस्या

जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल हेल्थ के अध्ययन के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस वाली अधिकांश महिलाओं में पहले से ही एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है। असंतुलित हार्मोन और अतिरिक्त एस्ट्रोजन एंडोमेट्रियोसिस के विकास को बढ़ा देते हैं। जो महिलाएं अधिक कॉफी पीती हैं, उनमें एस्ट्रोजन का स्तर 70% तक अधिक हो सकता है।

पाचन तंत्र पर पड़ सकता है प्रभाव

डॉ. अंजलि कुमार बताती हैं, ‘एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में सूजन और हाई पेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। कॉफ़ी में मौजूद कैफीन मेंस्त्रुअल क्रेम्प्स (Menstrual cramps), पेल्विक पेन (pelvic pain) को बढ़ा सकते हैं। कैफीन पाचन तंत्र में मांसपेशियों को भी उत्तेजित कर सकता है । इसके कारण भी पीरियड क्रेम्प्स, दर्द और दस्त जैसे लक्षण बढ़ सकते हैं

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कितनी मात्रा में और कितनी बार पियें कॉफ़ी (How much coffee intake) 

एंडोमेट्रियोसिस को नियंत्रित करने के लिए दिनभर में 1-2 कप कॉफ़ी और 2-3 कप चाय पीनी चाहिए। यह मात्रा 200-300 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।’ यदि आप कॉफ़ी कन्जूम करना चाहती हैं, तो इसे सुबह लेना चाहिए। बाद में दिन के किसी भी समय कॉफ़ी लेने से स्लीप डिसटरबेंस हो सकता है। इसके विकल्प के तौर पर हर्बल टी या बिना कैफीन वाली ड्रिंक ले सकती हैं। कभी कभार सोडा भी लिया जा सकता है

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यदि आप कॉफ़ी कन्जूम करना चाहती हैं, तो इसे सुबह लेना चाहिए। चित्र : शटर स्टॉक

डॉ. अंजलि कहती हैं कि एंडोमेट्रियोसिस को अपने जीवन को नियंत्रित न करने दें। अपने आहार पर नियन्त्रण रखकर और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर एंडोमेट्रियोसिस पर नियन्त्रण रखा जा सकता है।

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