दिनों दिन अपनी सुविधा के अनुसार लोग लैपटॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे न केवल लाना ले जाना आसान है बल्कि कभी बेड, कभी गाड़ी, तो कभी टेबल पर रखकर आसानी से काम किया जा सकता है। लैपटॉप से निकलने वाली हीट जहां शरीर के लिए सहनशील होती है, तो वहीं त्वचा के नुकसान का कारण साबित हो सकती है। दरअसल, इससे निकलने वाली गर्मी से टोस्टेड स्किन सिंड्रोम का जोखिम बढ़ा सकती है, जिससे त्वचा की रंगत खराब हो सकती है। भले ही आप अक्सर लंबे समय तक हीटिंग पैड का उपयोग करते हों। यदि आप खुद को गर्मी पैदा करने वाले उपकरणों के संपर्क में आने से नहीं रोकते हैं, तो आप त्वचा कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। जानते हैं टोस्टेड स्किन सिंड्रोम के कारण और इससे बचने के उपाय भी (Toasted Skin Syndrome) ।
त्वचा विशेषज्ञ डॉ शिफा यादव कहती हैं टोस्टेड स्किन सिंड्रोम (Toasted Skin Syndrome) या एरिथेमा एब इग्ने एक त्वचा की स्थिति है जो लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से बढ़ने लगती है। ऐसी स्थिति में त्वचा टोस्टेड दिखने लगती है। आमतौर पर इसका असर पैर, जांघ या पीठ के निचले हिस्से जो लगातार गर्मी के स्रोत के संपर्क में रहते हैं, उनका रंग खराब होने लगता है। इसके चलते त्वचा पर लाल, भूरे या फिशनेट पैटर्न नज़र आने लगता है। इसके अलावा समय के साथ त्वचा रूखी, खुरदरी और मोटी भी हो सकती है। कई गंभीर मामलों में टोस्टेड स्किन सिंड्रोम (Toasted Skin Syndrome) त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि रंजकता में बदलाव या कैंसर से पहले के घावों का विकास।
क्यूरियस में छपी रिपोर्ट के अनुसार टोस्टेड स्किन सिंड्रोम (Toasted Skin Syndrome) पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कई महिलाएं दर्द को कम करने के लिए मासिक धर्म के दौरान लैपटॉप का उपयोग करना पसंद करती हैं। 2010 में पीडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों को भी इस त्वचा की स्थिति का खतरा हो सकता है।
डॉ शिफा यादव बताती हैं कि टोस्टेड स्किन सिंड्रोम (Toasted Skin Syndrome) का मुख्य कारण बार बार या लंबे समय तक हीटिंग पैड, स्पेस हीटर और लैपटॉप जैसे गर्मी के स्रोतों के संपर्क में रहना या गर्म स्टोव के पास बैठना हो सकता है। जब त्वचा लम्बे समय तक गर्मी के संपर्क में रहती है, तो इससे त्वचा की गहरी परतों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके चलते त्वचा का रंग खराब हो जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्मी के कारण रक्त वाहिकाएँ फैल जाती हैं, जिससे त्वचा में मेलेनिन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। इससे त्वचा पर काले धब्बे बनने लगते हैं। इससे जहां त्वचा की लोच में कमी आती है, तो वहीं और कोलेजन का टूटना बढ़ जाता है।
इस त्वचा की स्थिति का उपचार शारीरिक जांच के माध्यम से किया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि त्वचा की लाल भूरे रंग के दाग धब्बे या फिशनेट पैटर्न के साथ स्थिति की पहचान करने में मदद मिलती है। कुछ मामलों मेंए यह सुनिश्चित करने के लिए बायोप्सी या त्वचा का नमूना लिया जा सकता है कि ये त्वचा कैंसर या विभिन्न प्रकार के डर्मेटाइटिस नहीं है।
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