वजन बढ़ना कई समस्याओं को अपने साथ ला सकता है। छोटी बीमारियों से लेकर कई गंभीर बीमारियां तक, बढ़े हुए वजन के कारण जन्म ले सकती हैं। ऐसे में समय रहते वजन पर नियंत्रण पाना आवश्यक है। लेकिन जब हमें अपने अचानक वजन बढ़ने के पीछे के कारण के बारे में जानकारी नहीं होती हो, तो वेट लॉस जर्नी काफी मुश्किल हो जाती है। वेट बढ़ने पर ज्यादातर लोग अपने खानपान में परिवर्तन करते हैं, लेकिन आपको यह समझना बहुत जरूरी है कि आपके वजन बढ़ने के पीछे का कारण IBS यानि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के वजह से बदला लाइफस्टाइल भी हो सकता है।
लेकिन क्या IBS मुख्य रूप से वजन बढ़ने का कारण हो सकता? यह जानने के लिए हमने ओल्ड एयरपोर्ट रोड पर स्थित मणिपाल अस्पताल के सलाहकार – गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ श्रीनिवास डी से संपर्क किया।
डॉ श्रीनिवास डी के अनुसार, IBS बड़ी आंत को प्रभावित करने वाली एक पुरानी स्थिति है और इसमें दर्द, पेट में ऐंठन, सूजन, गैस, दस्त और/या कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं। आमतौर पर, IBS 25 से 45 वर्ष के बीच के युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। हालांकि आजकल अधिक से अधिक बच्चे भी इस स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं।
डॉ श्रीनिवास डी, आगे बताते हैं, अध्ययनों से पता चलता है कि मोटापा IBS के बढ़ते जोखिम और बढ़े हुए लक्षणों से जुड़ा है। लेकिन वर्तमान में, यह सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आईबीएस वजन बढ़ने का मुख्य कारण बनता है।
हालांकि, आईबीएस से पीड़ित रोगी की जीवनशैली उसके वजन को बढ़ा सकती है। IBS में शारीरिक निष्क्रियता, अनुचित आहार और मानसिक तनाव मोटापे के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। कई रोगी लक्षणों के बढ़ने के डर से भोजन के विकल्प और कसरत को प्रतिबंधित कर देते हैं। जिसके कारण मोटापा खतरे के रूप में मंडराता रहता है।
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, आईबीएस सबसे आम विकारों में से एक है, जो जीआई सिस्टम के कामकाज को प्रभावित करता है। एनसीबीआई पर मौजूद एक शोध के अनुसार अधिक वजन और IBS होने के बीच एक संबंध हो सकता है।
एक सिद्धांत यह भी है कि पाचन तंत्र में कुछ ऐसे हार्मोन्स बनते हैं, जो वजन को नियंत्रित करते हैं। ये पांच ज्ञात हार्मोन आईबीएस वाले लोगों में असामान्य स्तर पर दिखाई देते हैं। आंत हार्मोन के स्तर में ये बदलाव वजन प्रबंधन को प्रभावित कर सकते हैं।
एनसीबीआई के अनुसार आईबीएस के लक्षणों को प्रतिबंधित करने के लिए कई बार कुछ आहार का पालन किया जाता है, वहीं कुछ का प्रतिबंध भी किया जाता है। जिसके कारण वजन बढ़ने की समस्याएं देखने को मिलती हैं। हालांकि ऐसे में वजन घटने की भी संभावनाएं मौजूद रहती हैं। यह तब होता है जब व्यक्ति IBS के लक्षण को कंट्रोल करने के लिए अपने डाइट प्लान को काफी ज्यादा सख्त बना ले।
आईबीएस के रोगियों की फिजिकल एक्टिविटी भी काफी हद तक कम हो जाती है। वजन अचानक बढ़ने के पीछे यह कारण भी बताया जाता है। IBS के रोगियों को बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता पड़ती है ऐसे में वह घर से निकलते समय तनाव का अनुभव करते हैं। और वह फिजिकल एक्टिविटीज करने में संकोच करने लगते हैं। कम शारीरिक एक्टिविटी वेट गेन को ट्रिगर करती है।
एनसीबीआई पर मौजूद 2018 के एक अध्ययन ने आईबीएस के किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच की। इसमें पाया गया कि IBS के लक्षण किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं और उनकी गतिविधि के स्तर को सीमित कर सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंएनसीबीआई पर मौजूद एक अध्ययन यह दावा करता है कि आईबीएस के दौरान वजन बढ़ना हार्मोन के कारण भी हो सकता है। यह दावा साल 2017 में की गई एक समीक्षा में किया गया जिसमें पाया गया था कि आई बी एस वाले कुछ लोगों में पेट में असामान्य अंत:स्रावी कोशिकाएं (endocrine cells) हो सकती हैं। ये कोशिकाएं हार्मोन का स्राव करती हैं जो खाने के बाद भूख और तृप्ति की भावनाओं को प्रभावित करती हैं।
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