हम में से ज्यादातर लोग जानते हैं कि हमारी थायरॉयड ग्रंथि गर्दन में स्थित होती है और यह ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) हार्मोन दोनों के स्राव के लिए जिम्मेदार होती है। दूसरी ओर, थायराइड उत्तेजक हार्मोन (TSH) खून में T3 और T4 दोनों के स्तर को नियंत्रित करता है। जब T4 हार्मोन अधिक होता है, तो स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। जब यह कम होता है, तो इसे हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है। जिससे वजन बढ़ना, बाल झड़ना, शुष्क त्वचा (dry skin), भूख न लगना और कब्ज जैसी दिक्कतें होती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर में आयोडीन की कमी भी थायराइड (Iodine deficiency effect on thyroid) की स्थिति को और खराब कर सकती है।
क्या आप जानती हैं, हमारे शरीर को थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है? चूंकि हमारा शरीर खुद से आयोडीन नहीं बनाता है, इसलिए इसे हमारे आहार से अवशोषित करना पड़ता है।
न्यूट्रीशन कोच सिमरुन चोपड़ा ने अपने हालिया इंस्टाग्राम वीडियो में बताया कि यह कैसे काम करता है। “जब टीएसएच का स्तर बढ़ता है, तो हमारी थायरॉयड ग्रंथि थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन का उपयोग करती है। शरीर आयोडीन नहीं बनाता है, इसलिए इसे आपके आहार से आना पड़ता है।
अगर आपको इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिल रही है, तो शरीर थायराइड हार्मोन नहीं बना सकता है। यदि ऐसा होता है, तो थायरॉयड ग्रंथि को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे कोशिकाएं बढ़ती हैं और अंततः गण्डमाला हो जाती है।”
न्यूट्रीशनिस्ट चोपड़ा के अनुसार, थायराइड अनुवांशिक (genetic) हो सकता है, पर आप अपने आहार में आयोडीन नमक शामिल करके अपने शरीर को इससे लड़ने के लिए तैयार कर सकती हैं। इससे आपको अपनी दैनिक आवश्यकता का लगभग 50 प्रतिशत मिल जाएगा।
वह बताती हैं। “गुलाबी नमक या हिमालयन सॉल्ट पर स्विच करने से आपमें आयोडीन की कमी हो सकती है। वास्तव में, आबादी में आयोडीन की कमी को रोकने में मदद करने के लिए नमक को आयोडाइज्ड किया जाता है।”
आयोडीनयुक्त नमक में थोड़ी ही मात्रा में सोडियम आयोडाइड या पोटेशियम आयोडाइज़्ड होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह दिखने में और स्वाद में आम नमक जैसा ही है और इसके कई फायदे भी हैं।
डेयरी उत्पादों, समुद्री भोजन (sea food), आप अनाज और अंडे में भी आयोडीन युक्त नमक के अंश पा सकती हैं। आयोडीन की कमी को कम करने के लिए आप इसे सामान्य टेबल सॉल्ट के साथ भी मिला सकती हैं।
यह न केवल थायराइड को कंट्रोल करता है , बल्कि रक्तचाप, शरीर के तापमान और हृदय गति को भी नियंत्रित करता है। गर्भावस्था और शैशवावस्था के दौरान हड्डी और मस्तिष्क के कार्य के विकास के लिए आयोडीन का होना भी अनिवार्य है।
आयोडीन की कमी का खतरा गर्भवती महिलाओं में, गर्भावस्था से पहले की उम्र की महिलाओं में, बच्चों में और शाकाहारी लोगों में खास तौर पर होती है। इसलिए ऐसी अवस्था में खास तौर पर इसका ध्यान रखना चाहिए।
यह भी पढ़ें:ज्यादा उम्मीदें यानी ज्यादा तनाव, जानिए आप कैसे एक्सपेक्टेशन्स को कंट्रोल कर सकती हैं