बढ़ती गर्मी में जहां लोग निर्जलीकरण, थकान और सिरदर्द का शिकार हो रहे हैं। वहीं अस्थमा के मरीजों के लिए भी समस्याएं दिनों दिन बढ़ने लगती है। धूप की किरणों के संपर्क में आने से अस्थमा के लक्षण ट्रिगर होते है, जिससे सांस फूलने और खांसने की समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल, मौसम में आने वाला बदलाव अस्थमा से ग्रस्त लोगों के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक साबित होता है। जानते हैं कि गर्मी किस प्रकार अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर करता है और इससे बचाव के उपाय भी।
इस बारे में बातचीत करते हुए पल्मोनोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार बताते हैं कि गर्मियों में अस्थमा कई कारणों से ट्रिगर करने लगता है। दरअसल, कड़ी धूप से घर के अंदर प्रवेश करने पर एकदम पानी पीना और पंखे व कूलर के संपर्क में आने से इग्ज़ैसर्बैशन बढ़ जाती है। इससे एंटीरोवायरस समेत अन्य संक्रमण शरीर को अपनी चपेट में ले लेते हैं। इसके चलते सांस फूलना, खांसी आना और अनकॉशियसनेस बढ़ जाती है।
डॉ अवि कुमार के अनुसार हीट अपने आप में भी ट्रिगर प्वांइट होती है। एकदम तापमान में परिवर्तन से अस्थमा के लक्षण नज़र आने लगते हैं। हीट वेवस पाल्यूटेंटस को स्टेगनेंट कर देते हैं और गर्मी के कारण एयरवेज़ में रूखापन बढ़ने लगता है। रूखापन बढ़ने से पॉल्यूटेंटस और डस्ट पार्टिकल्स आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते है। इसके चलते अस्थमा की समस्या का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में डॉ अवि कुमार बताते हैं कि घर से बाहर निकलते ही धूल, मिट्टी और एयर पॉल्यूटेंटस का सामना करना पड़ता है। गर्मी के मौसम में हवा में मौजूद दूषित कणों में स्थिरता आने लगती है। वहीं एयरवेज़ में ड्राईनेस बढ़ जाती है। इसके चलते वे कण आसानी से एयरवेज़ के ज़रिए गले में प्रवेश कर जाते है। इससे आंखों में जलन, नाक में खुजली, खांसी और सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वे लोग जो असथ्मा से ग्रस्त है, उनके लिए परेशानी बढ़ जाती है।
दिनभर बाहर के तापमान में रहने के बाद शरीर पर इंडार एलर्जी का प्रभाव नज़र आने लगता है। कहीं बाहर से लौटने के बाद एकदम से कूलर, पंखे एयरकंडीशनिंग की ठंडी हवा शरीर के तापमान को जहां स्थिर रखती है, वहीं इससे इग्ज़ैसर्बैशन बढ़ने लगता है। इससे अस्थमा से पीडित व्यक्ति पर घर में मौजूद एलर्जन प्रहार करते है, जिससे खांसी, छींक और दिल की धड़कन बढ़ने की समस्या बढ़ जाती है। घर में मौजूद पालतू जानवर, पौधों और धूल मिट्टी से एनर्जी की संभावना बढ़ने लगती है।
लू के कारण चलने वाली गर्म हवाएं वायुमार्ग यानि एयरवेज़ को शुष्क बना देती है। इससे शरीर में आसानी से संक्रमण प्रवेश कर जाते है। शरीर में नमी को बरकरार रखने के लिए नियमित मात्रा में पानी का सेवन करें। इससे चेस्ट में बढ़ने वाली टाइटनेस और बार बार होने वाली खांसी से भी राहत मिलती है। गर्मी में कहीं भी बाहर जाने से पहले पानी की बोतल अपने साथ अवश्य रखें।
गर्म और शुष्क हवाओं के चलते से सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एयरवेज़ नैरो होने लगते है, जिससे सांस संबधी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। ऐसे मौसम में ब्रीदिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा गर्मी में प्रदूषण के बढ़ने की भी संभावना बढ़ जाती है। तेज़ धूप में हवा की कमी के चलते चेस्ट पेन की समस्या बढ़ने लगती है।
ज्यादा गर्मी में बाहर निकलने से बचें। किसी भी कार्य के लिए सुबह या फिर शाम के समय अपनी गतिविधि को प्लान करें।
भरपूर मात्रा में पानी पीएं और शरीर को ठंडा रखें। निर्जलीकरण बढ़ने से सांस संबधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
साफ सफाई का पूरा ख्याल रखें। धूल भरे कण अस्थमा के लक्षणों को बार बार ट्रिगर करने लगते हैं।
हेल्दी आहार लें और मील स्किप करने से बचें। इससे शरीर को पोषण की उच्च मात्रा में प्राप्ति होती है।
कहीं बाहर जाने से पहने इनहेलर और दवाएं अपने साथ रखें। इससे नैरो एयरवेज़ को ओपन करने में मदद मिलती है।
ये भी पढ़ें- Prickly Heat : गर्मी बढ़ने के साथ क्यों बढ़ जाती हैं घमौरियां? आइए जानते हैं इसका कारण और समाधान