भागदौड़ भरी दिनचर्या के बीच आम तौर पर जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है, वो है लोगों की नींद। आधा- अधूरा सोना, कम गहरी नींद सोना और फिर दिन भर तनाव में रहना। एक अच्छी नींद के आपकी नजर में क्या फायदे (healthy sleep benefits) हो सकते हैं? एक बेहतर दिन, तनाव मुक्त दिन और दिमाग की ताजगी? यही ना? लेकिन शायद आपको ये पता नहीं होगा कि एक अच्छी नींद आपको आपकी बुरी यादों से भी बचा सकती है। लेकिन कैसे? यही आज हम समझने वाले हैं एक्सपर्ट की मदद से।
न्यूरोसर्जन डॉक्टर मोहम्मद इकबाल के अनुसार, जब हम सोते हैं, तो हमारा दिमाग एक विशेष प्रक्रिया से गुजरता है, जिसे ‘मेमोरी कंसोलिडेशन’ कहा जाता है। इसका मतलब ये है कि दिमाग दिनभर की घटनाओं, अनुभवों और इमोशन्स को जुटाता है और उन्हें कंट्रोल करता है। नींद के दौरान दिमाग यह फैसला करता है कि कौन सी यादें हमारे लिए जरूरी हैं और कौन सी हमें छोड़ देनी चाहिए। ये नींद का एक बड़ा फायदा (healthy sleep benefits) है।
इसी प्रक्रिया में आती हैं वे बुरी यादें जो हम भुला देना चाहते हैं और हम ऐसा तब ही कर पाते हैं जब हम अच्छी नींद ले पाते हैं। आपने देखा होगा कि किसी भी मानसिक समस्या से गुजर रहे व्यक्ति को डॉक्टर नींद की गोलियां देते हैं। वे इसीलिए ताकि उसका दिमाग नींद में ठीक से काम करे और वो अतीत में हुई किसी घटना से उबर सके।
हमारी नींद का ही एक हिस्सा है जिसे Rapid Eye Movement (REM) sleep कहते हैं। इस दौरान, हमारा दिमाग दिनभर की घटनाओं और भावनाओं को पुनः प्रोसेस करता है। REM नींद के दौरान, हमारा दिमाग उन परेशान करने वाली घटनाओं और बुरी यादों को फिर से कंसोलिडेट करता है जिससे उनका असर (healthy sleep benefits) कम हो जाता है।
डॉक्टर इकबाल के अनुसार ,इसका बेसिक सिद्धांत ये है कि सिद्धांत यह है कि REM नींद के दौरान हमारी बुरी यादें इमोशनली उतनी आक्रामक नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, अगर आपने किसी बुरी घटना का अनुभव किया है, तो REM नींद के दौरान दिमाग उस घटना का असर कम करता है ताकि आपका दिमाग उस हटना को प्रोसेस कर सके और आप अपना मानसिक संतुलन न खोएँ। इसलिए भी नींद बहुत जरूरी है। इसे एक तरह से कहा जाए तो नींद आपके दिमाग के लिए इमोशनल कवच है।
नींद और तनाव के बीच बड़ा संबंध है। जब हम तनाव में होते हैं तो हमारे दिमाग में कॉर्टिसोल नाम के हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। ये हार्मोन बुरी यादों को और भी गहरे और लंबे समय तक हमारे दिमाग में बनाए रख सकता है। इससे आपका तनाव और बढ़ेगा ही बढ़ेगा। नींद की कमी के कारण कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, और हम उन बुरी यादों को बार-बार सोचते रहते हैं।
इसके उलट जब हम अच्छी नींद लेते हैं, तो दिमाग में कॉर्टिसोल का लेवल कम होता है, और हम ज्यादा शांत महसूस करते हैं। इससे बुरी यादों का असर लगातार कम होता (healthy sleep benefits) जाता है और हम और बेहतर यादों के साथ जुडते जाते हैं।
हिप्पोकैम्पस दिमाग का वह हिस्सा है जो हमारी यादों को स्टोर करने और उन्हें फिर से पाने में हमारी मदद करता है। आसान भाषा में अगर खें तो दिमाग का ये हिस्सा हमारी याददाश्त के लिए जिम्मेदार है।
साइंस डाइरेक्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो हिप्पोकैम्पस ठीक से काम नहीं कर पाता। इसका परिणाम ये होता है कि बुरी यादें हमारे दिमाग में मजबूत हो जाती हैं और फिर हम उन्हें बार बार याद करते हैं। हमें उन पर लगातार विचार करना पड़ता है।
डॉक्टर इकबाल बताते हैं कि हमारा दिमाग लगातार बदलता रहता है और नई यादें बनाता रहता है। यादें बनाने की इस प्रोसेस को न्यूरोप्लास्टिसिटी कहा जाता है। जब हम सोते हैं, तो दिमाग में नए न्यूरल कनेक्शन बनते हैं, जो हमें नई जानकारी को बेहतर तरीके से प्रोसेस करने में मदद करते हैं। नींद का यह प्रक्रिया हमें बुरी यादों को सुधारने और उन्हें बदलने में मदद (healthy sleep benefits) करती है।
यदि आपने कोई बुरा अनुभव किया है तो नींद की मदद से वो अनुभव दिमाग में बेअसर होने लगता है और उसकी जगह एक नई और ज्यादा अच्छी याद को स्थापित करने का मौका मिलता है। इस प्रक्रिया से ही हम बुरी यादों से उबर सकते हैं।
इमोशनल रीगुलेशन का मतलब है अपने इमोशन्स को कंट्रोल करना और उन्हें अच्छे तरीके से जाहिर करना। नींद की कमी के कारण हमारा इमोशनल रीगुलेशन ही प्रभावित हो जाता है और हम अपने इमोशन्स कंट्रोल नहीं कर पाते।
इसके उलट जब हम अच्छी नींद लेते हैं, तो हमारी अपनी भावनाओं को समझने और सही तरीके से उन्हें व्यक्त करने की क्षमता बेहतर (healthy sleep benefits) होती है।इसलिए भी अच्छी नींद जरूरी है क्योंकि बुरी यादें केवल यादों तक ही नहीं रुकतीं। कई बार वो हमें ट्रॉमा तक पहुंचा सकती हैं, जहां से निकलना और मुश्किल हो जाता है।
अच्छी नींद का एक और असर यह है कि यह हमारे पर्सेप्शन को बेहतर बनाती है। जब हम थके हुए होते हैं तो हमारा दिमाग सही तरीके से सोचने में सक्षम नहीं होता और हम चीजों को ज्यादा नेगेटिव तौर पर देखने लगते हैं। नींद के बाद हमारा पर्सेप्शन साफ़ और ज्यादा पॉजिटिव होता है, जिससे हम बुरी यादों को एक नई रोशनी में देख पाते हैं और उनका असर कम (healthy sleep benefits) हो जाता है।
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