दिनों दिन दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी घटनाएं आम हो रही है, जो बढ़ती उम्र के अलावा अब युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही हैं। सिडेंटरी लाइफस्टाइल और खानपान में बरती जाने वाली लापरवाही इस समस्या का कारण साबित हो रही है। इससे राहत पाने के लिए जीवनशैली में बदलाव के अलावा अदरक का सेवन भी कारगर साबित होता है। इससे कोलेस्ट्रॉल के लेवल (cholesterol level) को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। हृदय रोगों से बचने के लिए आहार में इस तरह के बदलाव हार्ट हेल्थ को फायदा पहुंचाते हैं। जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अदरक किस प्रकार से है मददगार (Ginger for heart health)।
इस बारे में बातचीत करते हुए डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि अदरक में एंटी ऑक्सीडेंटस और एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं, जो हृदय रोगों की समस्या (Heart related problems)को नियंत्रित करते है। इसमें पाई जाने वाली जिंजरोल कंपाउंड की मात्रा ब्लड वैसल्स रिलैकस करके आर्टरीज़ में जमने वाले प्लाक के जोखिम को कम कर देता है। इस सुपरफूड की मदद से डाइजेशन को मज़बूत बनाया जा सकता है। इसके चलते डाइजेस्टिव एंजाइम एसिडिटी को कम करके हार्ट पर बढ़ने वाले प्रैशर को रोकता है। इससे लिपिड की बढ़ी हुई मात्रा (lipid) को कम करके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
नेशनल सेंटर फॉर कॉम्पलीकेटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ के अनुसार अदरक डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में हाई ब्लड प्रैशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। ताज़ा अदरक को कच्चा इस्तेमाल करने के अलावा अदरक का तेल और अदरक का पाउडर (ginger powder) यानि सौंठ भी बेहद गुणकारी है। इसका इस्तेमाल करने से हाइपरलिपिडिमिया (hyperlipidemia) और हाईपरटेंशन (hypertension) को नियंत्रित किया जा सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नियमित रूप से अदरक (Ginger benefits) में मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुणों के चलते इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम किया जा सकता है। इससे एलडीएल यानि बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol) के स्तर को कम करके एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है। साइंस डायरेक्ट के अनुसार अदरक के कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव के चलते वो शरीर को कार्डियोटोनिक (cardiotonic), एंटी-हाइपरटेन्सिव (Anti-hypertensive), एंटी-हाइपरलिपिडिमिया (Anti-hyperlipidemia) और एंटी-प्लेटलेट प्रॉपर्टीज़ (Anti platelet properties) प्रदान करता है।
अदरक के सेवन से एलडीएल के ऑक्सीकरण को रोकने में मदद मिलती है। इससे शरीर में एथेरोस्क्लेरोसिस के विकास को कम करने में मदद मिलती है। दरअसल, एथेरोस्क्लेरोसिस उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें आर्टरीज़ की वॉल्स पर फैट्स और कोलेस्ट्रॉल एकत्रित होकर प्लाक बनाने लगते हैं। इसके चलते आर्टरीज़ में रूकावट आने लगती है और रक्त का प्रवाह अनियमित होने लगता है।
अदरक में मौजूद जिंजेरोल कंपाउड ब्लड वैसल्स को रिलैक्स रखने में मदद करता है। इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके हृदय रोगों के जोखिम से बचा जा सकता हैं। साइंस डायरेक्ट की स्टडी के अुनसार 45 दिनों तक लगातार अदरक का सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में गिरावट पाई गई।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अदरक में ब्लड थिनिंग प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं। अदरक में पाया जाने वाला सैलिसिलेट तत्व ब्लड को पतला करने में मदद करता है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम कम होता है। अदरक को पानी में उबालकर, चाय के रून में या सूखी अदरक पाउडर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
आहार में अदरक को शामिल करने से आंत में गुड बैक्टीरिया का स्तर बढ़ने लगता है, जो हृदय रोगों के जोखिम को कम कर देता है। दरअसल, इंटेस्टाइन में बढ़ने वाली केमिकल्स की मात्रा ट्राइमेथिलैमाइन एन.ऑक्साइड यानि टीएमएओ के जोखिम को बढ़ा देती है। इससे ब्लड वैसल्स की लाइनिंग में सूजन बढ़ने लगती है, जिससे हाई ब्लड प्रैशर का खतरा बढ़ जाता है।