स्तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। स्तन कैंसर का निदान होने के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी आदि से इलाज कराने वाली हर चार भारतीय महिलाओं में से एक को इन्फर्टिलिटी का जोखिम होता है। ये इलाज ओवरीज़ को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, जिस वजह से कभी-कभी तत्काल या विलंबित इन्फर्टिलिटी (Infertility) हो सकती है।
ऐसे मरीजों को विभिन्न तकनीकों द्वारा अपनी फर्टिलिटी का संरक्षण कराने का विकल्प दिया जा सकता है, जिनमें ओवेरियन कॉर्टेक्स फ्रीजिंग और एम्ब्रायो फ्रीजिंग (embryo freezing) शामिल हैं। जेनेटिक टेस्टिंग से यह जानने में मदद मिलती है कि किन मरीजों को स्तन कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है। कुछ कैंसर पीड़ित महिलाओं को फर्टिलिटी के संरक्षण (Fertility preservation) में मदद करने की एक विधि क्रायोप्रिज़र्वेशन भी है।
फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन की प्रक्रिया में कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले मरीज के फर्टाईल अंडों, ओवेरियन टिश्यू या स्पर्म को संरक्षित किया जाता है। मेडिकल शब्दावली में इसे ऑन्कोफर्टिलिटी कहा जाता है, और इसके बाद मरीज कैंसर को हराने के बाद फिर से प्रजनन करने में समर्थ हो जाता है।
ऑन्कोफर्टिलिटी की प्रक्रिया में अंडों, स्पर्म, ओवेरियर या टेस्टिकुलर टिश्यू की सुरक्षा की जाती है, ताकि मरीज उनका उपयोग कर भविष्य में संतानप्राप्ति कर सके। फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन कैंसर सरवाईवर्स के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है। हालांकि, जिन महिलाओं को कैंसर है, वो फर्टिलिटी की समस्याओं के बारे में बात करने में सहज महसूस नहीं करती हैं।
मरीज फर्टिलिटी के संरक्षण के लिए अपने विकल्पों के बारे में जागरुक नहीं हो पाते, क्योंकि उनका मुख्य केंद्रण कैंसर के निदान और इलाज पर होता है।
इस विधि में ओवरीज़ से निकाले गए अंडों को फर्टिलाईज़ किए बिना ही फ्रीज़ कर दिया जाता है, और बाद में उपयोग करने के लिए स्टोर कर दिया जाता है। फ्रीज़ किए गए अंडे को निकालकर प्रयोगशाला में स्पर्म के साथ फर्टिलाईज़ किया जा सकता है, और फिर गर्भ में स्थापित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को इनवाईट्रो फर्टिलाईज़ेशन कहते हैं। स्तन कैंसर के मरीजों के लिए गर्भधारण करने की अपनी क्षमता को बनाए रखने के लिए इलाज के विकल्प उपलब्ध हैं।
इस प्रक्रिया को ऊसाईट क्रायोप्रिज़र्वेशन (oocyte cryopreservation) कहते हैं। इस प्रक्रिया में आईवीएफ प्रक्रिया करने के बाद महिला के अंडों को हार्वेस्ट किया जाता है। इसमें ओवरीज़ को गोनैडोट्रोपिंस नामक दवाईयों द्वारा उत्तेजित किया जाता है और फिर ओवम लेने की प्रक्रिया की जाती है।
इस प्रकार प्राप्त किए गए ऊसाईट या अंडों को फ्रीज़ कर दिया जाता है। इसे प्रजनन काल की महिलाओं में प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने के लिए स्टोर किया जाता है।
इसमें आईवीएफ चक्र शामिल होता है, जिसमें महिला के हार्वेस्टेड अंडों को पुरुष के स्पर्म द्वारा फर्टिलाईज़ किया जाता है, और इस प्रकार बने एम्ब्रायो को क्रायोप्रिज़र्व कर दिया जाता है।
ओवेरियन कॉर्टेक्स फ्रीज़िंग फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन की एक प्रयोगात्मक और संभावनापूर्ण विधि है, जिसमें ओवरीज़ में कॉर्टेक्स का हिस्सा, जिसमें अंडे होते हैं, उसे क्रायोप्रिज़र्व कर दिया जाता है। इसका कैंसर के युवा मरीजों में फर्टिलिटी के संरक्षण के लिए इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिनके मामले में अंडों या एम्ब्रायो की फ्रीज़िंग व्यवहारिक विकल्प नहीं होते।
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कस्टमाइज़ करेंफर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन की इस विधि के बारे में कम लोगों को पता होता है। ओवेरियन सप्रेशन में हॉर्मोन की मदद से ओवरीज़ द्वारा अंडों को परिपक्व होने से रोक दिया जाता है। इस इलाज का उद्देश्य ओवरीज़ को काम करने से रोकना और अपरिपक्व अंडों को संरक्षित करके रखना है, ताकि कैंसर का इलाज पूरा करने के बाद उनका उपयोग किया जा सके।
विशेषज्ञ एम्ब्रायो या अंडों की फ्रीज़िंग का सुझाव देते हैं, जिसे क्रायोप्रिज़र्वेशन कहते हैं। इसका उद्देश्य कैंसर पीड़ित महिलाओं के लिए फर्टिलिटी के संरक्षण में मदद करना है। इसलिए उम्मीद न खोएं, बल्कि अपने डॉक्टर और फर्टिलिटी विशेषज्ञ से परामर्श लें, जो आपको अपने इलाज और गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में सही परामर्श देगा।