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हरी दूब यानी दूर्वा का रस भी नियमित कर सकता है आपकी माहवारी, जानिए कैसे काम करती है ये आयुर्वेदिक हर्ब

दूर्वा या हरी दूब पूरे भारत में पाई जाती है। भगवान गणेश और अन्य कई स्थानीय पूजा अनुष्ठानों में शामिल होने वाली दूब आपकी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
दूर्वा ठंडी जड़ी बूटी है जो रक्त शोधक है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:17 am IST
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दूर्वा शब्द का अर्थ होता है, जो बहुत दूर किसी चीज को पास लाता है। दूर्वा घास के बारे वो लोग अच्छे से जानते होंगे जो लोग गणेश जी की पूजा करते हैं। दूर्वा यानी हरी दूब या घास को अरुगमपुल भी कहा जाता है। इस घास को कई पूजा-अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन भगवान गणेश की आराधना के लिए इसका खास उपयोग होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग एक पारंपरिक जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता रहा है। आइए आज एक एक्सपर्ट से जानते हैं इसके औषधीय गुण (Durva grass benefits) और सेहत लाभ।

दूर्वा के बारे में कई जरूरी जानकारी दे रही हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सोनल। डॉ सोनल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसके बारे में एक पोस्ट डाली है। डॉ. सोनल एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं और अपने इंस्टाग्राम पर आयुर्वेद से जुड़ी जानकारी देती हैं।

पहले जान लेते हैं हरी दूब या दूर्वा के औषधीय गुण (Medicinal properties of durva grass)

1 डॉ. सोनल के अनुसार दूर्वा ठंडी जड़ी बूटी है जो रक्त शोधक है। इसलिए रंगत को निखारता है और त्वचा का कई समस्याओं का इलाज करता है। सनबर्न और घमौरियों में दूर्वा को चंदन पाउडर के साथ लगाने से काफी फायदा होता है।

2 इसमें साइनोडोन डेक्टाइलोन नामक जैव-रासायनिक यौगिक होता है जिसका हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है और इस प्रकार यह मधुमेह और पीसीओएस में रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन प्रतिरोध को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

दुर्वा के कसैले और ठंडे गुण पाए जाते है। चित्र शटरस्टॉक।

3 दुर्वा के कसैले और ठंडे गुण सभी प्रकार के रक्तस्राव संबंधी समस्याओं जैसे कि गर्भाशय रक्तस्राव, खूनी बवासीर, रक्तस्रावी दस्त आदि में सहायक है।

अब जानते हैं दूर्वा के सेवन के 5 सेहत लाभ

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है

दूर्वा को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूर्वा में सिनोडोन डेक्टाइलोन जैव-रासायनिक पदार्थ होते है, जो शरीर की इम्यूनीटी को बढ़ाने में काफी मदद करते है। दूर्वा को काफी सस्ता और टिकाऊ इम्यूनीटी बूस्टर माना जाता है।

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रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है

दूर्वा में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पाया जाता है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। नीम की कुछ पत्तियों के साथ लेने पर यह मधुमेह संबंधी समस्याओं ले भी लड़ने में मदद करता है। रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने के लिए और नियंत्रित करने के लिए आप खाली पेट दूर्वा के जूस का सेवन कर सकते है।

पीरियड को नियमित करता है

दूर्वा जूस लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र को नियमित करने, भारी रक्तस्राव को नियंत्रित करने और पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) को ठीक करने के लिए एक शक्तिशाली हर्बल उपचार है।

डॉ. सोनल के अनुसार दूर्वा का रस एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है जो मूत्र पथ के संक्रमण के इलाज में काफी मदद करता है। हर तरह की जलन जैसे एसिडिटी और पेशाब में जलन के लिए जूस लाजवाब है।

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दूर्वा में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पाया जाता है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। चित्र शटरस्टॉक।

त्वचा के स्वास्थ के लिए

दूर्वा का जूस कई तरह के त्वचा संबंधी रोगों को जैसे एक्जिमा, सोरायसिस, घावों और फंगल संक्रमण के इलाज के लिए फायदेमंद है। दूर्वा में जलनरोधी और एंटी इंफ्लामेंट्री गुण होते है जो त्वचा पर चकत्ते, एक्जिमा, खुजली को दूर करता है। फंगल संक्रमण के लिए प्रभावित क्षेत्र पर हल्दी के साथ दूर्वा का रस लगाएं। यह हानिकारक यूवी किरणों से भी त्वचा की रक्षा करता है। इसके जूस का खाली पेट सेवन करने से शरीर डिटॉक्स होने में मदद मिलती है।

दांतो के स्वास्थ के लिए

दूर्वा में फ्लेवोनोइड्स होते है जो यह अल्सर-रोधी गुणों के लिए जाने जाते है। जो मुंह के छालों और घावों की समस्या को कम करता है। इसके रस का नियमित सेवन करने से आपके मसूड़ों से खून आना, सांस में बदबू आना और दांतों को मजबूत करने में मदद करता है।

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संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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