टॉयलेट सीट में भी झांकिए, क्योंकि यहां आपकी सेहत के बारे में कुछ जरूरी संकेत हैं

पूप के बाद आप सबसे पहला काम उसे फ्लश करने का करती हैं। हां यह सच है, पर अगर आपको टॉयलेट सीट पर सामान्य से ज्यादा समय लग रहा है, तो अपने मल के प्रकार और रंग पर ध्यान देने का समय है।
Poop ka rang aur type apki sehat ke bare me kafi kuchh kahta hai
आपके मल का रंग और प्रकार आपकी सेहत के बारे में जरूरी संकेत देता है। चित्र: शटरस्टॉक
Dr. S.S. Moudgil Updated: 29 Oct 2023, 20:09 pm IST
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इंसान के शरीर में आंत को ‘दूसरा मतिष्क’ (Second brain) कहते हैं। इसमें रीढ़ की हड्डी से ज़्यादा न्यूरॉन (तंत्रिकाएं) होते हैं, ”हमारे शरीर के बाकी अंगों से अलग आंत अकेला काम करता है। यानी इसकी कार्यप्रणाली किसी अन्य प्रणाली से प्रभावित नहीं होती। इसे काम करने के लिए मानव मतिष्क से निर्देश की ज़रूरत नहीं होती।” आंत का नियंत्रण आंतरिक तंत्रिका तंत्र करता है। ये एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र है जिसका कामकाज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिलकुल अलग होता है। लेकिन ये तंत्रिकाएं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संपर्क में रहती हैं।

आंत का जटिल काम हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। डॉक्टरों का मानना है कि हमारी पाचन प्रणाली खाने को पचाने के अलावा भी कई काम करती है। आपकी आंत की कार्यशैली को समझ कर चिकित्सक जान सकते हैं कि आप कहीं मानसिक स्वास्थ्य या प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी बीमारियों (Autoimmune disease) से तो ग्रस्त नहीं।

इम्युनिटी को भी प्रभावित करती है आंत 

व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए आंतों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। रोग-प्रतिरोधक प्रणाली की 70 फीसदी कोशिकाएं आंत में होती हैं। जानकारों के मुताबिक, सबसे ताज़ा शोध बताते हैं कि अगर व्यक्ति को आंत से जुड़ी कोई परेशानी है, तो वह सामान्य बिमारियों जैसे फ्लू का शिकार आसानी से हो जाता है।

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प्रोबायोटिक ड्रिंक गट हेल्थ के लिए बेहतरीन है। चित्र: शटरस्‍टॉक

मल में होते हैं 50% बैक्टीरिया

हमारा मल केवल अपचा खाद्य ही नहीं होता, बल्कि इसका लगभग 50 फ़ीसदी हिस्सा बैक्टीरिया होता हैं। आंत में अरबों की संख्या में माइक्रोब्स काम करते हैं। जो शरीर को रोगाणुओं से बचाते हैं। स्वस्थ शख़्स एक दिन में तीन बार से लेकर एक हफ़्ते में तीन बार तक मल का त्याग करता है।

आंतों का स्ट्रेस से कनेक्शन

”अगर किसी को आंत से जुड़ी परेशानी है, तो सबसे पहले मानसिक तनाव की ओर ध्यान दें। मैं अपने मरीज़ों को दिनभर में 15 से 20 मिनट तक मेडिटेशन की सलाह देता हूं।” कई तरह के शोधों से यह सामने आया है कि मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के माइक्रोबियम सामान्य लोगों के माइक्रोबियम से अलग होते हैं।

मल के प्रकार

सामान्य मल को परिभाषित करना कठिन हो सकता है। इनके अलावा यदि आपको पाचन संबंधी, तनाव या जीवनशैली संंबंध समस्या है तो आपके मल का प्रकार बदल सकता है। यहां तक कि उसके रंग में परिवर्तन भी कई गंभीर बीमारियों के जोखिम का संकेत देता है। यहां जानिए मल के कुछ प्रकार –

1 हार्ड अखरोट या जायफल के आकार का मल

ऐसे मल ने आंत में लंबा समय बिताया है और इसके बाहर आने में मुश्किल आती है। यदि मल ऐसा दिखता है, तो यह कब्ज का लक्ष्ण हो सकता है। यदि ऐसा एक सप्ताह से अधिक हो रहा है, तो इसका कारण जानने के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।

2 टेबल टेनिस बॉल जैसी आकृति

यह भी कब्ज एक संकेत हो सकता है। इसमें आपको अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए। बहुत बार डिहाइड्रेशन के कारण भी यह समस्या हो सकती है।

3 यूनाइटेड मीट बॉल टाइप

इस तरह के मल को सामान्य माना जाता है, बशर्ते वह नरम हो और आसानी से निकल जाता है। शौच को बाहर निकालने में एक मिनट या दो मिनट से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।

4 बिना छिलके के पके केले जैसा 

यह सबसे बेहतर माना जाता है। हर किसी की बाथरूम की आदतें अलग-अलग होती हैं, लेकिन आदर्श रूप से हर रोज या 3 दिन में एक बार अवश्य ऐसा होना चाहिए।

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5 चमचमाती पीली मुलायम टेबल टेनिस बॉल 

इन्हें पास करना आसान होता है लेकिन व्यक्ति को तुरन्त बाथरूम जाने के बारे में अत्यावश्यकता महसूस हो सकती हैं। यह हल्के दस्त का संकेत हो सकता है।

6 पतला और बार-बार मल

यदि दिन में तीन बार से अधिक और पतला मल आना यह दस्त हो सकते हैं । खूब सारे तरल पदार्थ पीना: इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त पानी पीयें चावल का मांड चीनी नमक मिला कर पीना एक अच्छा विकल्प है । फलों का रस और सूप मदद कर सकता है।

7 लगातार शौच जाना 

यदि दस्त तीन से अधिक व 2 दिनों से अधिक समय तक है। यदि निर्जलीकरण के अन्य लक्षण (मुंह सूखना, नींद आना, सिरदर्द, या चक्कर आना), पेट या पीछे के छोर में तेज दर्द, या 102 डिग्री या उससे अधिक का बुखार है, तो अपने डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

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आपको कमजोर कर सकते हैं दस्त। शटरस्टॉक

मल का रंग भी देता है स्वास्थ्य जोखिमों के संकेत

भूरा मटमैला – मल का रंग कुछ बातों यथा आहार और उसमें कितना पित्त बना रहा है है।
हरा – कभी-कभी एक हरे रंग का मल ठीक होता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आप बहुत सारी हरी सब्जियां खाते हैं (जो अच्छी है)। बहुत अधिक हरे रंग का भोजन भी अच्छा नहीं। इससे दस्त लग सकते हैं और गैस बनने लगती है।
लाल रंग – लाल रंग भोजन या दवा खाने से यथा बीट रूट [ चुकन्दर ]से हो सकता है। लेकिन चमकदार लाल मल का मतलब बड़ी आंत में रक्तस्राव हो सकता है।
काला रंग – यदि मल काला है, तो इसका कारण आयरन सप्लीमेंट या ओवर-द-काउंटर दवा या शाराब हो सकती है, क्योंकि आपका पेट खराब महसूस होता है। बदबू आ रही है और थकान भी है तो रक्तस्राव का संकेत हो सकता है।
हल्का रंग – स्तनपान करने वाले शिशुओं में पीले रंग का मल ठीक होता है।
सफेद रंग – कभी-कभी, मल सफेद चाकलेट सा दिखने वाला भी हो सकता है। यह किसी दवा का साइड इफेक्ट हो सकता है, पित्त नली बंद होने का संकेत भी हो सकता है।

यहां मल में मौजूद कुछ चेतावनी संकेत दिए गए हैं 

मल में खून आना 

टॉयलेट पेपर पर खून होना या पॉट में खून का दिखना गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का संकेत हो सकता है। खून का रंग चमकीले लाल से लेकर लगभग काले रंग तक हो सकता है। मलाशय से रक्तस्राव कई स्थितियों का लक्षण हो सकता है। इसमें बवासीर मलाशय से रक्तस्राव का सबसे आम कारण है। रक्तस्राव के साथ बवासीर में खुजली, दर्द और जलन होती है। यदि अपने आहार में फाइबर शामिल करते हैं, तोअधिक पानी पिएं।

गुदा फिशर

ये गुदा के आसपास की त्वचा में दरार या तिड़कन होते हैं। जो आमतौर पर कब्ज और सख्त मल के कारण होते हैं। मल के साथ लाल रंग की धारी आ सकती है।  मल त्यागते समय दर्द भी हो सकता है।

पोलिप्स (Polyp)

पोलिप्स आम तौर पर रक्तस्राव का कारण नहीं बनती है, लेकिन यह संभव है और समय के साथ धीरे-धीरे हो सकता है। अन्य लक्षणों में मल के रंग में परिवर्तन और मल त्याग आदतों में बदलाव शामिल हैं। पॉलीप्स कैंसर में बदल सकते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer)

रक्त बृहदान्त्र या मलाशय में ट्यूमर का संकेत हो सकता है। आप अपने मल में खूनी धारियां देख सकते हैं, या काले रंग व तारकोल जैसे मल पाचन तंत्र में अधिक रक्तस्राव का संकेत हैं। अन्य कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों में दस्त या कब्ज, पेट दर्द या ऐंठन, संकीर्ण आंत्र आंदोलन और थकान शामिल हैं।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome)

क्रोहन रोग (आपके पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में सूजन) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (आपके बृहदान्त्र और मलाशय में सूजन) शामिल हैं। दोनों मल त्याग, दर्द, वजन घटाने और दस्त के दौरान रक्त स्त्राव कर सकते हैं।

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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम को हरगिज नजरंदाज न करें। चित्र: शटरस्टॉक

डायवर्टीकुलिटिस (diverticulitis)

डायवर्टीकुलोसिस का मतलब है कि आपकी आंतों की दीवारों में छोटे पाउच बनते हैं। जब उनमें से एक फट जाता है तो रक्त स्त्राव हो सकता है

इन तरीकों से आप अपने पाचन तंत्र को मज़बूत बनाएं

  1. विभिन्न प्रकार के भोजन का सेवन करें इससे माइक्रोबियम स्वस्थ बनेंगे।
  2. तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन और मानसिक योगा करना चाहिए।
  3. अगर आपको आंत से जुड़ी कोई परेशानी है तो शराब का सेवन ना करें. कैफ़ीन और मसालेदार खाने का सेवन न करें।
  4. बेहतर नींद लें।

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Dr. S.S. Moudgil is senior physician M.B;B.S. FCGP. DTD. Former president Indian Medical Association Haryana State. ...और पढ़ें

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