आजकल डाइट सोडा काफी ट्रेंड कर रहा है, सॉफ्ट ड्रिंक की कई ब्रांड्स डाइट सोडा लांच कर रही हैं। वहीं यह फिटनेस फ्रिक लोगों की फेवरेट बन चुकी है। पर क्या आप सभी को मालूम है, सेहत पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है? जीरो कैलोरी और नो शुगर के बड़े टैग के साथ आने वाले इन सॉफ्ट ड्रिंक के प्रभाव को समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने ‘डायटीशियन वंशिका भारद्वाज – सीनियर डायटीशियन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल’ से बात की। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं, जीरो कैलोरी डायट सोडा सेहत को असल में किस तरह प्रभावित करता है (effect of diet soda drinks)।
वंशिका भारद्वाज के अनुसार “डाइट सोडा में कैलोरी कम होती है और यह शुगर फ्री होता है। इस कारण, डाइट सोडा को अक्सर नियमित सोडा के लिए एक स्वस्थ विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता है। हालांकि, इसके स्वास्थ्य लाभों पर कई बार बहस हुई है। डाइट सोडा डायबिटीज या कैलोरी कम करने की कोशिश करने वालों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। ऐसा माना जाता है की ये वेट मैनेजमेंट और ब्लड शुगर रेगुलेशन में मदद कर सकते हैं। ये पारंपरिक सोडा की तरह वेट गेन, टाइप 2 डायबिटीज या दांतों की सड़न का जोखिम नहीं बढ़ाते हैं, क्योंकि उनमें चीनी नहीं होती।”
“इसके विपरीत, एस्पार्टेम, सैकरीन और सुक्रालोज़ डाइट सोडा में पाए जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर के उदाहरण हैं। रेगुलेटरी बॉडीज आमतौर पर आर्टिफिशियल स्वीटनर (artificial sweetener) को सुरक्षित मानते हैं, हालांकि, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के साथ कई अन्य ऐसी अध्ययन भी हैं, जो संकेत देते हैं कि वे भूख को नियंत्रित करने के तरीके पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मीठा खाने की लालसा बढ़ सकती है।”
“सोडा ड्रिंक के अधिक सेवन से डायबीटीज (diabetes), हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा (obesity) और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। डाइट सोडा या अन्य मीठे तरल पदार्थों का सेवन करने वाली दिनचर्या अपनाने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यदि आप अपने सामान्य स्वास्थ्य या अपने हाइड्रेशन के स्तर को बेहतर बनाना चाहती हैं, तो सोडा का सेवन कम से कम करें (effect of diet soda drinks)।”
नेशनल लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित शोध बताते हैं कि डाइट सोडा में पाए जाने वाले आर्टिफीसियल स्वीटनर आपके आंत के माइक्रोबायोम को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जो आपके पाचन तंत्र में लाभकारी बैक्टीरिया का समुदाय है। आंत का माइक्रोबायोम स्वास्थ्य के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें प्रतिरक्षा कार्य, पोषक तत्वों का अवशोषण, हृदय स्वास्थ्य और बहुत कुछ शामिल है।
डाइट सोडा में नियमित सोडा की तरह चीनी नहीं होती है, लेकिन यह अत्यधिक एसिडिक होता है। यदि आप इसे नियमित रूप से बहुत अधिक मात्रा में ले रही हैं, तो यह आपकी मुस्कान पर गंभीर असर डाल सकता है। नेशनल लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित और डाइट सोडा ने दांतों के इनेमल की सतह की खुरदरापन को काफी हद तक प्रभावित किया, यह दर्शाता है कि दोनों ही दांतों के एरोशन में योगदान कर सकते हैं।
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पब मेड सेंट्रल के अनुसार डाइट सोडा में कई ऐसे कंपाउंड होते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इन कंपाउंड्स में कैफीन और फॉस्फोरिक एसिड शामिल हैं। अध्ययन कि माने तो महिलाओं में, नियमित और डाइट सोडा दोनों पीने से हड्डियों के मिनरल डेंसिटी में कमी आती है, एक ऐसी स्थिति जो ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ा देती है।
भले ही डाइट सोडा में कोई कैलोरी या कार्ब्स न हों, लेकिन कुछ शोधों में पाया गया है कि यह टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। नेशनल लाइबेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा 2,000 से अधिक पुरुषों पर एक अध्ययन किया गया, जिससे पता चला कि नियमित रूप से डाइट सोडा पीने से टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।
इसी तरह, 61,400 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि नियमित रूप से आर्टिफीसियल स्वीटनर का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम अधिक होता है। एक अन्य अध्ययन में, टाइप 2 मधुमेह वाले लोग जो आर्टिफीसियल स्वीटनर का उपयोग करते हैं, उनमें इंसुलिन रेसिस्टेंस होने की संभावना अधिक होती है।
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