Heart Health : कोर्टिसोल और कोलेस्ट्रॉल दोनों हैं आपके दिल के दुश्मन, जानिए कैसे करना है इनसे बचाव
गलत खानपान की आदत शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा रही है। वहीं इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव का स्तर बढ़ रहा है जिससे शरीर में कॉर्टिसोल भी बढ़ता जा रहा है। कोलेस्ट्रॉल हो या कॉर्टिसोल दोनों ही आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं हैं। जिस प्रकार दिन प्रति दिन हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है, इन दो फैक्टर्स पर नियंत्रित पाना बेहद महत्वपूर्ण है।
डी पी यू सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पिंपरी पुणे के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ सुशील कुमार मलानी ने हृदय स्वास्थ्य पर कॉर्टिसोल और कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर के प्रभाव बताए हैं, साथ ही उन्होंने इससे बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय भी शेयर किए हैं। चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (cortisol and cholesterol effect on heart)।
जानें क्या है कोलेस्ट्रॉल और हृदय संबंधी समस्याओं का कनेक्शन (cortisol and cholesterol effect on heart)
कोलेस्ट्रॉल और कोर्टिसोल दोनों ही हृदय रोग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन ये दोनों ही शरीर को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं। अत्यधिक तनाव, गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार के साथ-साथ अपर्याप्त नींद के कारण हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल और हृदय संबंधी समस्याएं
LDL कोलेस्ट्रॉल- लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से आर्टरीज में प्लाक का निर्माण हो सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे अधिक मात्रा में ऑयली और फ्राइड फूड्स का सेवन, फैटी फूड्स की अधिकता और स्मोकिंग की लत। यदि आप हृदय संबंधी समस्याओं के खतरे से बचना चाहती हैं, तो आज से ही बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नियंत्रण पाना शुरू करें।
कोर्टिसोल और हृदय संबंधी समस्याएं
आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक सबसे समान्य समस्या बन चुका है। लगभग सभी कहीं न कहीं मानसिक रूप से तनाव ग्रस्त हैं। वातावरण में हो रहे बदलाव से लेकर टेक्नोलॉजी और जिंदगी की भागम भाग इसके लिए जिम्मेदार मानी जाती है। तनाव हार्मोन कोर्टिसोल स्ट्रेस की प्रतिक्रिया में जारी होता है। वहीं तनाव बढ़ने से ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है, लगातार ब्लड प्रेशर के हाई होने से, सूजन और हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं शरीर में कॉर्टिसोल का बढ़ता स्तर भी आपके हृदय को बीमार कर सकता है।
जानें हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम कैसे कम करना है (how to maintain a healthy heart)
1. आहार पर ध्यान दें
फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर हार्ट फ्रेंडली डाइट लें। सैचुरेटेड ओर ट्रांस फैट से दूरी बनाए रखें। इसके अलावा स्ट्रेस यानी कि तनाव को नियंत्रित करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। आपकी डाइट न केवल आपकी शारीरिक स्वास्थ्य का समर्थन करती है, बल्कि यह आपकी मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य को भी संतुलित रखती है। इस प्रकार यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को मैनेज करते हुए आपके मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखेगी, जिससे कि हृदय संबंधित समस्याओं का खतरा कम हो जाएगा।
2. नियमित एक्सरसाइज करें
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से न केवल आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित रहेगा, बल्कि इससे आपको तनाव को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी। जब आप शारीरिक गतिविधियां करती हैं, तो शरीर से कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। साथ ही साथ हैप्पी हार्मोंस रिलीज होते हैं, जिसकी वजह से कॉर्टिसोल का स्तर संतुलित रहता है। नियमित शारीरिक गतिविधि में संलग्न हों, जैसे कि प्रति हफ्ता कम से कम 150 मिनट का मीडियम एरोबिक एक्सरसाइज करें।
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3. स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान दें
माइंडफुलनेस, मेडिटेशन या योग जैसी स्ट्रेस नियंत्रित करने वाली गतिविधियों में पार्टिसिपेट करें। इस प्रकार आपको तनाव को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। योग अभ्यास आपके वजन को संतुलित रखता है। योग के दौरान शरीर से फैट बर्न होता है और उससे कोलेस्ट्रोल का स्तर भी संतुलित रहता है। इस प्रकार व्यायाम आपके लिए दोनों ही रूपों में फायदेमंद साबित होगा।
4. धूम्रपान और शराब से परहेज करें
धूम्रपान और शराब दोनों ही आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं हैं। इनके सेवन से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, साथ ही साथ ये कॉर्टिसोल को भी एक्टिवेट कर सकता है। इसलिए यदि आप इन दोनों को नियंत्रित रखना चाहती हैं, तो शराब और सिगरेट को आज ही त्याग दें।
5. नियमित जांच है जरूरी
नियमित स्वास्थ्य जांच के साथ कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हाई ब्लड प्रेशर पर नजर रखा जा सकता है। यदि इनमें ज्यादा उतार-चढ़ाव आता है, तो इन्हें समय रहते नियंत्रित करना आसान हो जाएगा। लोग लंबे समय तक जांच नहीं करवा पाते हैं, और जब तबीयत बिगड़ती है तो जांच करवाने के बाद स्थिति बदतर हो चुकी होती है। इसलिए समय रहते निदान बहुत जरूरी है।
6. वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें
यदि आपके शरीर में फैट की मात्रा बढ़ रही है, तो जाहिर सी बात है कोलेस्ट्रॉल और कॉर्टिसोल दोनों ही बढ़ेंगे। शरीर पर दबाव को कम करने के लिए वेट मैनेजमेंट जरूरी है, जिससे कि हृदय स्वस्थ रहता है। अधिक फैट और कोलेस्ट्रॉल आर्टिरिज के ब्लॉकेज का कारण बन सकता है और व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक हो सकता है। वहीं मोटापे से तनाव बढ़ जाता है। इस प्रकार कॉर्टिसोल का बढ़ता स्तर भी हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित एक्सरसाइज और उचित डाइट के माध्यम से आप आसानी से अपने वजन को मेंटेन कर सकती हैं।
7. रात को अच्छी नींद लें
कोलेस्ट्रॉल और कोर्टिसोल दोनों ही हृदय के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए तनाव को प्रबंधित करना और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है। रात की नींद आपके शरीर को रिपेयर करती हैं, इसलिए बॉडी को वापस से एक्टिव होने के लिए पूरा समय दें।
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