आप में से कई लोग बैलून फुलाने से कतराते होंगे, परंतु आपने कभी न कभी यह जरूर सुना होगा कि बैलून फुलाना (inflate a balloon) आपके लिए कितना फायदेमंद हो सकता है। खास कर यदि आपको अस्थमा है या आप सांस संबंधित किसी अन्य समस्या से पीड़ित हैं, तो इस स्थिति में गुब्बारे फुलाना (Blow a balloon) आपके लिए किसी थेरेपी से कम नहीं है। अब आप सोच रही होंगी कैसे? तो चलिए विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर जानते हैं फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में कैसे योगदान करता है गुब्बारे फुलाना (Balloon breathing exercise) ।
इसके लिए हम पहुंचे बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के सेंटर फॉर चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के सीनियर डायरेक्टर और एचऑडी डॉ. संदीप नायर के पास। उन्होंने अस्थमा के मरीजों के लिए गुब्बारे फुलाने के फायदों को लेकर कुछ जरूरी बातें बताई हैं। तो चलिए जानते हैं, आखिर यह किस तरह काम करता है।
डॉक्टर संदीप नायर के अनुसार बैलून ब्रीदिंग एक्सरसाइज रेस्पिरेशन डायाफ्राम की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करती है, साथ ही यह आपके पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाती है। जैसे ही आप गुब्बारे को फुलाती हैं, यह वायुमार्ग के सबसे दूरस्थ भाग यानी एल्वियोली को खोलकर ऑक्सीजनेशन को बढा देता है।
परिणामस्वरूप हृदय, मस्तिष्क और शरीर के सभी अन्य अंगों में सर्कुलेशन में सुधार होता है और मानसिक और शारीरिक थकान कम हो जाती है।
एक्सरसाइज के दौरान शरीर को जितना अधिक ऑक्सीजन मिलती है, उतनी ही ज्यादा देर तक आप बिना सांस लिए और थके बनी रह सकती हैं। ऑक्सीजन ग्लूकोज को तोड़ती है और मांसपेशियों एवं सेल्स को ऊर्जा प्रदान करती है। जब भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध होती है, तो मांसपेशियां अधिक एक्टिव हो जाती हैं। जिससे आपके फेफड़ों की सहनशक्ति बढ़ जाती हैं।
अगर आप फेफडों या श्वास संबंधी किसी समस्या से जूझ रही हैं, तो गुब्बारे फुलाएं। ऐसा करने से फेफड़ों की क्षमता में लगातार वृद्धि होती है और फेफड़ों की ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की क्षमता भी बढ़ जाती है। शुरुआत में दो चार गुब्बारों से शुरुआत कर सकती हैं। आगे चलकर आप अपनी क्षमतानुसार 10 से 20 गुब्बारे भी फुला सकती हैं।
गुब्बारे फुलाना यानी कि रेस्पिरेट्री मसल्स का एक्सरसाइज करना। इस एक्सरसाइज में मांसपेशियों का एक समूह शामिल होता है। यह एक्सरसाइज चेस्ट को एक्सटेंड और कॉन्ट्रैक्ट करती है। बेसिक रेस्पिरेट्री मांसपेशियां डायाफ्राम होती हैं, इंटरनल इंटरकोस्टल और आउटर इंटरकोस्टल।
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एसेसरी मसल्स और अन्य मांसपेशियां जो आपके रिब केज को उठाने में मदद करती हैं। ताकि फेफड़े फैल सकें और उन्हें हवा मिल सके। इनका इस्तेमाल शारीरिक गतिविधियों को करते वक्त किया जाता है। जब आप लगातार गुब्बारे फूलती हैं, तो यह प्रभावी रूप से इन सभी मांसपेशियों को एक्टिवेट कर देता है, जिससे आपके फेफड़ों की क्षमता और सहनशक्ति बढ़ जाती है। एक अस्थमा पेशेंट के लिए फेफड़ों की क्षमता का बढ़ना काफी पॉजिटिव हो सकता है।
ध्यान रखें कि बैलून बनाने में सिंथेटिक मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही पैकेज्ड बैलून में प्रिजर्वेटिव्स भी इस्तेमाल होते हैं। इसलिए इन्हें फुलाने से पहले अच्छी तरह से साफ करना न भूलें।
यदि आपको अस्थमा या अन्य किसी प्रकार की रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम है, तो एक साथ कई गुब्बारे न फुलाएं। यह आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। शुरुआत में 4 से 5 बैलून फुलाएं उसके बाद धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।
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