हमारे देश में डायबिटीज के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए भारत को डायबिटीज का कैपिटल कहा जाता है। इसके पीछे हमारे गलत खान पान से लेकर लाइफस्टाइल की कई बुरी आदतें जिम्मेदार हैं। इस समय बहुत कम उम्र में युवा जेनरेशन डायबिटीज की शिकार हो रही है। कहीं इसका कारण शराब तो नहीं? जी हां, शराब और डायबिटीज एक दूसरे से इंटरकनेक्टेड है, डायबिटीज केवल चीनी खाने से नहीं होता, इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। उन्ही कारणों में से एक है, शराब का सेवन। शराब के सेवन से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, वहीं जो व्यक्ति पहले से डायबिटीज से पीड़ित है, उनके लिए शराब जानलेवा साबित हो सकती है (Connection between alcohol and diabetes)।
डायबिटीज और शराब के बीच का कनेक्शन समझने के लिए, हेल्थ शॉट्स ने मेडिकवर अस्पताल, नवी मुंबई, के वरिष्ठ सलाहकार चिकित्सक और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. मनीष पेंडसे से बात की। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में क्या है एक्सपर्ट की राय।
शराब के सेवन और टाइप 2 डायबिटीज के बीच एक जटिल संबंध है, जिस पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
हाइपोग्लाइसीमिया: शराब लो ब्लड शुगर का कारण बन सकती है, खासकर जब इसे खाली पेट लेते हैं या डायबिटीज की दवाइयों के फौरन बाद।
हाइपरग्लाइसीमिया: कुछ अल्कोहल युक्त ड्रिंक्स में कार्बोहाइड्रेट की महत्वपूर्ण मात्रा होती है, जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकती है। इस स्थिति को हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं।
इंसुलिन सेंसटिविटी: मध्यम मात्रा में शराब का सेवन इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकता है, लेकिन यह एक यूनिवर्सल बेनिफिट नहीं है और अलग अलग व्यक्तियों के बीच भिन्न हो सकता है।
वेट गेन: शराब में कैलोरी की अधिक मात्रा पाई जाती है, जो वजन बढ़ाने में योगदान दे सकती है। बढ़ता वजन डायबिटीज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, खासकर यह डायबिटीज मरीजों में ब्लड शुगर के नियंत्रण को खराब कर सकता है।
डॉ मनीष पेंडसे ने डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए शराब से जुड़े कुछ जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं। तो चलिए जानते हैं, वे क्या कह रहे हैं।
महिला और पुरुष दोनों प्रतिदिन स्कॉच और जिन की 30 ml ले सकते हैं।
अत्यधिक शराब पीने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें मधुमेह की जटिलताएं भी शामिल हैं।
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बीयर, मीठी वाइन और वोदका में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक हो सकती है।
बिना चीनी वाले ड्रिंक्स (मिक्सर) के साथ मिश्रित स्पिरिट का रक्त शर्करा पर कम प्रभाव पड़ता है।
1. ब्लड शुगर लेवल की जांच: शराब पीने से पहले, पीने के दौरान और बाद में नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर की जांच करना जरूरी है। हालंकि, कोशिश यही करें की इनसे पूरी तरह परहेज रखा जा सके।
2. पीते समय क्या खाएं: हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने के लिए भोजन के साथ एक से दो घूंट शराब ले सकती हैं।
3. बुद्धिमानी से चुनें: कम कार्बोहाइड्रेट सामग्री वाले ड्रिंक्स का चयन करें।
4. स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से परामर्श करें: व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति और दवाओं के आधार पर सलाह जरूरी है, ऐसे में अपनी स्थिति को लेकर स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के साथ शराब के उपयोग पर चर्चा करें।
1. शराब से प्रेरित हाइपोग्लाइसीमिया: डॉक्टर के अनुसार शराब पीने वाले लोग अक्सर हाइपोग्लाइसीमिया में नजर आने वाले लक्षण को नशे के संकेत समझ लेते हैं, जिसके अतिरिक्त उपचार में देरी हो सकती है। ऐसी भूल न करें।
2. दवाओं के साथ इंटरेक्शन: शराब डायबिटीज की दवाओं के साथ हस्तक्षेप कर सकती है, जिससे प्रतिकूल प्रभावों का जोखिम बढ़ जाता है।
3. लिवर स्वास्थ्य: लगातार भारी शराब पीने से लीवर को नुकसान हो सकता है, जिसे ब्लड शुगर रेगुलेशन के लिए एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में जाना जाता है।
निष्कर्ष: टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को शराब का सेवन करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। जबकि मध्यम मात्रा में शराब पीना कुछ लोगों के लिए सुरक्षित हो सकता है, जटिलताओं से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य परिस्थितियों पर विचार करना और चिकित्सा सलाह का पालन करना आवश्यक है।
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