क्या आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, जिनके दिन की शुरूआत चाय या कॉफी से होती है? अगर इसका जवाब हां है, तो क्या आपके बच्चों ने भी चाय-काॅफी की डिमांड शुरु कर दी है? अगर इन दोनों ही सवालों का जवाब हां है, तो आप खुद अपने बच्चों को कई स्वास्थ्य जोखिम परोस रहीं हैं। जानना चाहती हैं कैसे, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
यह बात सब ने सुनी होगी कि ज्यादा चाय का सेवन नुकसान करता है। कई लोग इस चक्कर में चाय से कॉफी पर स्विच हो जाते हैं, लेकिन कॉफी भी उतनी ही नुकसानदायक है। फिर चाहे बड़े हो या बच्चे, इसके पीछे का कारण है इन दोनों हॉट ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन। कैफीन को विशेषज्ञों ने आसानी से प्राप्त होने वाले ड्रग का दर्जा दिया है।
आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि उन्हें चाय की “लत” है। हालांकि एक प्रकार से यह बहुत हद तक सही भी है, क्योंकि कैफ़ीन अपनी आदत दे देता है जिससे दूर रहना काफी मुश्किल हो सकता है।
अगर बच्चे इसका सेवन करते हैं, तो यह उनमें कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। चलिए तथ्यों के साथ आपको इसकी गंभीरता के बारे में समझाते हैं। ताकि आप अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें।
बच्चे काफी नाजुक होते हैं, जिससे उनके शरीर पर किसी भी चीज का दुष्प्रभाव बहुत जल्दी देखने को मिलता है। चाय और कॉफी में कैफीन नामक उत्तेजक होता है, जो बच्चे के हृदय स्वास्थ्य, मस्तिष्क, गुर्दे, यकृत और सामान्य स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
आमतौर पर कैफीन चाय की पत्तियों, कोको बीन्स, कॉफी बीन्स, कोला नट्स में पाया जाता है। इसके अलावा, लोग इसे आइसक्रीम, कुछ प्रोटीन शेक में शामिल करते है। कैफीन एक प्रकार का उत्तेजक है, जो शरीर को एक्टिव करने का काम आता है। इसका सेवन हमारे मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालता है। इसीलिए ज्यादा सेवन शरीर को कई नुकसान पहुंचाता है।
एनसीबीआई पर मौजूद एक अध्ययन के अनुसार कैफीन दुनिया में सबसे अधिक सेवन किया जाने वाला साइकोस्टिमुलेंट पदार्थ है। “साइकोस्टिमुलेंट” शब्द का अर्थ है कि यह तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को बढ़ाने वाला पदार्थ है।
कैफीन का सेवन मुख्य रूप से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। जब कोई व्यक्ति या बच्चा कैफीन का सेवन करता है, तो यह सीधे दिमाग तक पहुंचता है। जैसे बच्चों में घबराहट सहित कई अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जिसमें बार-बार भूलना एक बड़ी समस्या है।
पीडियाट्रिक्स मैं प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 8 या 9 साल के बच्चों और 15 से 17 साल के बच्चों में कैफीन के सेवन के प्रभाव का अध्ययन किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों ने कैफीन का सेवन किया उनमें ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ मिला और उनकी हार्टबीट धीमी पड़ने लगी। अध्ययन के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि कैफीन का सेवन दिल और रक्तचाप के बड़े जोखिम पैदा कर सकता है।
ज्यादा कैफीन के सेवन से पेट खराब होने की भी संभावनाएं होती हैं। यह बच्चों में मतली,उल्टी,दस्त की समस्या को पैदा कर सकता है। कई बार इसी कारण कम उम्र में भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होने लगती है, जो काफी कष्टदायक होती है।
इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला है कि किस उम्र में बच्चों को कैफ़ीन देनी चाहिए क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का शरीर अलग होता है। हालांकि अध्ययन में यह पाया गया कि जिन बच्चों के आहार में बहुत अधिक कैफीन था, उनमें सोने और ध्यान केंद्रित करने में काफी समस्याएं थी। उन्हें अधिक बेचैनी हो रही थी। साथ ही ध्यान की कमी और बार-बार बाथरूम जाना शामिल था।
यदि आपका बच्चा 12 साल से कम उम्र का है, तो आपको उसे किसी भी फॉर्म में कैफीन देने से बचना चाहिए। एक बेहतर विकल्प यह होगा कि आप उन्हें रोजाना सुबह दूध दें। यदि आपका बच्चा 12 साल से ज्यादा का है तो आप उसे दिन भर में 85-100mg कैफीन दे सकती हैं। यह दिमाग को एक्टिव करने के काम आता है।
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