डेंगू एक वायरल संक्रमण है जिसमें व्यापक लक्षणों की स्थिति यथा बिना किसी लक्षण से आरम्भ होकर खतरनाक जानलेवा मृत्यु तक पहुंच सकती है। यह आम तौर पर मलेरिया की तरह एक मच्छर के काटने से फैलता है | इसे हड्डी तोड़ बुखार (Haddi tod bukhar) भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें तेज बुखार (104 डिग्री F तक) व मांसपेशियों और जोड़ों में भयंकर असहनीय दर्द देखा जाता है। इन दिनों देश भर में डेंगू मरीजों (Dengue cases) की तादाद बढ़ने लगी है। आपको भी इस समय में विशेष सतर्क रहने की जरूरत है।
यह अक्सर मानसून और उसके बाद के महीनों, जुलाई से अक्टूबर तक अधिक होता है। इस समय वायुमंडल में नमी मच्छरों की उत्पत्ति और प्रजनन का कारण बनती है।
सबसे पहले 1780 के आसपास इसाई मिशनरियों ने इसे मद्रास रेजीडेंसी में चिह्नित किया था। इस तरह के लक्षणों वाले बुखार को अफ़्रीकी देशों में भी उसी समय पाया गया था। लेकिन इसका निदान पहली बार 1963-64 में बंगाल व उड़ीसा में किया गया था।
इस रोग का भयानक विश्वव्यापी संक्रमण 2019 में देखा गया। अनुमान है कि उस वर्ष लगभग 4.2 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित हुए थे। जो पिछले 20 वर्षों में हुए कुल संक्रमण से आठ गुना थे।
जैसा पहले कह चुके हैं यह वायरस से होता है। डेंगू वायरस के चार संस्करणों (Variants) की पहचान हुई है। यथा DEN1, से DEN2,3 व 4।इस लिए यह बार-बार हो सकता है। कभी एक प्रकार के वायरस से कभी दूसरे प्रकार के वायरस से। इसलिए यह न सोचें कि एक बार डेंगू से ठीक होने के बाद, आपको यह दोबारा नहीं होगा।
यह एक मच्छर जिसे टाइगर मच्छर का नाम दिया गया है, के काटने से फैलता है। यह नाम इसलिए दिया गया है कि इस मच्छर के शरीर व टांगो पर चीते की तरह सफेद धारियां पाई जाती हैं। यह मच्छर आम तौर पर सुबह या देर शाम को सूरज ढलने से पहले काटता पाया गया है।
जब संक्रमित मच्छर एक स्वस्थ मनुष्य को काटता है, तो उसके रक्त में वायरस छोड़ देता है। इसी तरह जब संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह क्रम चलता रहता है।
मच्छर काटने चार से दस दिन के भीतर लक्षण प्रकट होने लगते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेंगू को तीन समूहों में वर्गीकृत किया है –
1 बिना लक्षण वाला डेंगू 2 चेतावनी के संकेतों के साथ होने वाला डेंगू 3 गंभीर किस्म का डेंगू।
लक्षण – 104 तक तेज बुखार, आंखों में दर्द। सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, शरीर पर चकत्ते मतली और उल्टी होना।
1-भयंकर पेट दर्द से आरम्भ होते हैं
2- दिन में 2 से 3 बार उल्टी
3- नाक व मसूढ़ों से रक्त प्रवाह
4- उल्टी में खून आना
5- सांस लेने में दिक्कत या तेज सांस
6- थकान, बैचैनी, चक्कर आना, घबराहट
7- शरीर पर काले या गहरे भूरे चकत्ते निकलना विशेषत: पीठ पर
8- कभी-कभी कंपकपी हो सकती है, जिससे मलेरिया का भ्रम हो सकता है।
हिस्ट्री : लक्षण हेतु
शारीरिक जांच : तापमान व मसूढ़े या नाक से रक्त प्रवाह देखना
लैब टेस्ट्स
एंटीजन टेस्ट : यह तुरन्त निदान हेतु किया जाता है इसे कार्ड टेस्ट भी कहते हैं।
एंटी बॉडी टेस्ट : यह नए व पहले हो चुके संक्रमण हेतु किया जाने वाला टेस्ट है। और यह डेंगू होने के 4-5 दिन बाद ही रिजल्ट देता है।
रक्त जांच : कम्पलीट ब्लड टेस्ट इसमें भी प्लेटलेट नामक रक्तकण संख्या महत्वपूर्ण होती है। 100-150/ mm यानी हल्का संक्रमण 50-100 मध्यम संक्रमण व 50/mm से नीचे की संख्या गंभीर संक्रमण का संकेत देता है।
डेंगू हेतु अभी तक कोई विशेष दवा उपलब्द्ध नहीं है। इसलिए अभी तक इसके लक्षणों को देखकर इलाज किया जाता है।
बुखार हेतु – पेरासिटामोल व गुनगुने पानी से माथा पोंछकर तापमान नियंत्रित करने के उपाय किये जाते हैं। दर्द निवारक दावा एस्प्रिन या ब्रुफेन नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इनसे ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है।
उल्टी हेतु – जीवन रक्षक घोल का सेवन करते रहना चाहिए।
गंभीर संक्रमण हेतु – अस्पताल में आई वी फ्लूइड या जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट दिए जाते हैं।
विशेष – हृदय रोग पीड़ित व्यक्ति जो एस्प्रिन या इस जैसी रक्त पतला करने वाली दवा ले रहे होते हैं, उन्हें चिकित्सक की सलाह से इन्हें बंद करना पड़ सकता है।
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