हम सभी अपने खान पान को ले कर काफी सतर्क रहते है खासकर तब जब गर्मी का मौसम हो क्योंकि हमारे देश मे गर्मी का मौसम काफी लोगो के लिए असहनीय हो जाता है। वैसे तो गर्मियों के दिनों मे छोटी-मोटी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती रहती हैं, जो ज्यादातर हमारे खान पान से या फिर उच्च तापमान के कारण होती है और ऐसे मे वो लोग जिन्हे डायबिटीज (मधुमेह) की शिकायत है उन्हें अपने खाने-पीने पर ज्यादा कंट्रोल रखना पड़ता है।
मधुमेह रोग एक ग्लोबल समस्या है और भारत मे ये समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है, 2017 में मधुमेह से ग्रस्त लोगों की संख्या 72 मिलियन थी और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि ये संख्या वर्ष 2035 में 109 मिलियन हो जायेगी, तो मधुमेह के नये केसेस की संख्या कम करने के लिए उचित खानपान और अच्छी जीवनशैली का होना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
गर्मी के मौसम में हर व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, पानी का लॉस पसीना व मूत्र के रूप मे होता है, जिससे हमारे शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। आम तौर पर किसी स्वस्थ व्यक्ति को 3-3.5 लीटर प्रतिदिन पानी पीना चाहिए, किंतु गर्मी के दिनों में तथा क्लाईमेट कंडीशन के अनुसार ये मात्रा बढ़ भी जाती है।
गर्मी के दिनों मे डिहाईड्रेशन (निर्जलीकरण) होना आम बात है, लेकिन यदि बात करें मधुमेह के रोगियो की, तो उनमें डिहाईड्रेशन होने का खतरा बढ़ जाता है। जो कि कभी-कभी घातक भी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि उच्च रक्त शर्करा के कारण शरीर मे पानी कम हो जाता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति को काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
निर्जलीकरण रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है और बार-बार पेशाब आने का कारण भी बन सकता है। यदि पर्याप्त सावधानी नहीं बरती जाती है, तो व्यक्ति को हीट स्ट्रोक भी हो सकता है। ज्यादा तापमान होने के कारण शरीर की इंसुलिन बनाने और उसे ठीक तरीके से उपयोग करने की क्षमता भी कम हो जाती है और इसी कारण इंसुलिन की आवश्यकता भी ज्यादा होती है।
जिन व्यक्तियों को इंसुलिन लेने की सलाह दी जाती है, उन्हें काफी सावधान रहना चाहिए। अक्सर ये देखा गया है कि लोग जब कहीं बाहर जा रहे होते हैं, तो अपनी कार, कैरी बैग या पर्स मे इंसुलिन रख लेते है और ये गर्मी के दिनों मे काफी नुक्सानदेय हो जाता है।
इंसुलिन हीट सेंसिटिव होती है और इसलिए इस हमेशा ठंडे तापमान में ही रखना चाहिए। गलत तरीके से स्टोर की गयी इंसुलिन लेना भी आपको दिक्कत मे डाल सकता है।
सिर दर्द , थकान, हाथ पैरों मे झनझनाहट, चक्कर आना, मुंह सूखना
सीवियर डीहाईड्रेशन के लक्षण
रक्तचाप का कम हो जाना।
रक्त शर्करा का बढ़ जाना।
अधिक यूरिनेशन
-गर्मी के मौसम मे तरल पदार्थो (fluid) का सेवन बढ़ायें।
– खुद को हाईड्रेट रखने के लिए ग्रीन टी, ब्लैक टी, नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी, दाल का पानी, सब्जियों का सूप, व्हेय वॉटर, इंफ्यूज्ड वॉटर का नियमित रूप से इस्तेमाल कर सकती हैं, क्योंकि ये सभी हेल्दी ऑप्शंस हैं।
-आहार में ऐसे फल, सब्जियां और सलाद को शामिल करें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो, शर्करा की मात्रा कम हो, जिनका ग्लाईकेमिक इंडेक्स (GI) और ग्लाईकेमिक लोड (GL) भी कम हो। जैसे- खीरा, ककड़ी, टमाटर, प्याज, तरबूज, पपीता, अमरूद, संतरा, सेब, जामुन। सब्जियां जैसे- सेलेरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, शिमला मिर्च, लौकी, करेला आदि।
-गर्मी की थकावट (heat exhaustion) से सावधान रहें।
– रक्त शर्करा को नियमित रूप से मॉनिटर करें।
– एक्सरसाइज के दौरान अपने शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें, बाहर दौड़ने जाने के बजाय घर मे ही योग या व्यायाम करें, आप वतानुकूलित जिम मे व्यायाम कर सकते हैं, या फिर सुबह जल्दी उठकर/ सूरज ढलने के बाद बाहर वाक् पे जा सकते है या व्यायाम कर सकते हैं।
– गर्मी के दिनों मे ढीले, हल्के रंग के और आरामदायक कपड़े पहनें।
– अपने पैरो की देखभल करें, नंगे पैर बाहर न जाएं क्योंकि मधुमेह के रोगियों को इंफेक्शन होने का खतरा और लोगो की अपेक्षा ज्यादा होता है।
-यदि कहीं बाहर जा रहे है तो इंसुलिन को किसी कूलर में स्टोर करें। सीधे उसे किसी ठंडे बैग या आइस बैग मे न रखें।
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