“एक कामकाजी मां के रूप में करियर के दौरान कुछ समय ब्रेक के लिए भी समय निकालना अपने आप में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस क्षण को एन्जॉय करने के लिए बिना काम किए बैठे रहना मेरे लिए आश्चर्यजनक है।’ आज के सोशल मीडिया युग में “ओवरकनेक्टिविटी’ के बारे में एचटी ब्रंच साक्षात्कार के दौरान हॉलीवुड अभिनेत्री कीरा नाइटली ने अपनी कई बातें साझा की थीं। उनकी बातों ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे तीन चीजों के बारे में सोचने के लिए उन्होंने बाध्य कर दिया।
एक तो कामकाजी मां की स्थिति, एक महिला द्वारा परिवार और करियर के बीच संतुलन साधने के लिए उसका निरंतर संघर्ष करना और उसकी निजी स्वतंत्रता, जिसका चुनाव उसने खुद किया है या नहीं। यहां भारत की कॉमेडियन भारती सिंह के उदाहरण को देखा जा सकता है। यदि उसने बच्चे के जन्म के बाद काम करना छोड़ दिया होता, तो उसे काम करने के लिए बेहतर या बदतर रूप में जरूर आंका जाता।
भारती सिंह ने प्रसव के मात्र 12 दिनों के बाद दोबारा काम पर लौटने का निर्णय लिया। उसके इस फैसले ने आलोचकों के मन में एक नया सवाल खड़ा कर दिया। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद यदि महिला दोबारा काम पर जाती है, तो पूरा समाज उसका बहुत सूक्ष्मता से निरीक्षण करने लगता है।
अब तक की सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, एक महिला को प्रसव के बाद कम से कम 40 दिनों तक आराम जरूर करना चाहिए। इसे “प्रसूति कारावास’ भी कहा जाता है। यहां तक कि चिकित्सा विशेषज्ञ भी महिलाओं को गर्भावस्था के बाद ठीक होने और खुद को समय देने की सलाह देते हैं। यदि कोई महिला घर से काम शुरू करने या फिर ऑफिस जाकर या कहें कि ग्राउंड जीरो से शुरुआत करना चाहती है, तो यह उसकी अपनी च्वाॅइस है।
कॉमेडी क्वीन भारती को जब सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा, तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह से दी, “बहुत सारी कामकाजी महिलाएं हैं, जो अपने एक हफ्ते के बच्चे को छोड़ कर काम पर जाने लगीं।’ उन्होंने अपने बारे में बताया कि वह अपने बच्चे को निश्चित समय पर स्तनपान करा देती हैं। टीवी अभिनेत्री देबिना बनर्जी ने अप्रैल की शुरुआत में एक बेटी को जन्म दिया। वे अपने सोशल मीडिया पेज पर वीडियो डालती रहती हैं और ब्रांड को सहयोग करने के लिए काफी एक्टिव रहती हैं।
एक्ट्रेस नेहा धूपिया ने भी अपनी दोनों प्रेगनेंसी के कुछ ही दिनों बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया था। करीना कपूर खान को भी जब दूसरा बच्चा हुआ, तो उन्होंने डिलीवरी के एक महीने बाद ही काम करना शुरू कर दिया। इंटरनेट पर अति सक्रिय रहने वाले, जिन्हें नेटिजंस कहा जाता है, वे करीना से एक ही सवाल पूछते, “उन्होंने मैटर्निटी लीव का आनंद क्यों नहीं लिया?’
प्रसव के बाद महिलाओं को कम से कम 40 दिनों का आराम करना चाहिए। ऐसा क्यों कहा जाता है, यह जानने के लिए हम नई दिल्ली के रोजवॉक अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा खंडेलवाल के पास पहुंचे।
डॉ नेहा कहती हैं, “प्रसव के बाद महिलाओं को इस पर जरूर विचार करना चाहिए कि वे सामान्य जीवन में वापस लौटने के लिए कितनी तैयार हैं? यहां से उनके जीवन का एक ऐसा सफर शुरू हो जाता है, जहां से उन्हें सिर्फ अपने लिए ही नहीं सोचना है। यह बदलाव कई तरह के समझौते की भी मांग करता है।”
आगे उन्होंने बताया कि नवजात बच्चे के रूप में आपके परिवार से एक नया सदस्य जुड़ जाता है। आपको उसके सोने के पैटर्न के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है। साथ ही, आपके शरीर को रिकवर करने के लिए लंबे समय तक आराम की भी जरूरत पड़ती है। आपको पोषण से भरपूर भोजन और पानी की जरूरत पड़ती है। आपको शांत रहना पड़ता है और अच्छे माता-पिता बनने की पहली शर्त होती है- धैर्य रखना।
डॉक्टर ने इस बात पर जोर देकर बताया कि अधिकांश प्रसूति विशेषज्ञ प्रसव के बाद महिला को काम पर दोबारा लौटने के लिए 6-12 सप्ताह तक प्रतीक्षा करने की सलाह देते हैं। गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद किसी भी महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए अपने-आप पर इतना समय देना जरूरी है।
यह जरूरी नहीं है कि हर महिला को इतने समय की जरूरत पड़े। कई महिलाएं तो 6 सप्ताह के बाद सहज महसूस करने लगती हैं, क्योंकि तब तक प्रसव के बाद होने वाला रक्तस्राव लगभग बंद हो जाता है। टांके भी हील हो जाते हैं। यह सब इस बात पर भी निर्भर करता है कि डिलिवरी योनि है या सिजेरियन हुई है।
डॉ. खंडेलवाल के अनुसार, यदि आप खुद की अच्छी तरह देखभाल नहीं कर पाती हैं, तो बच्चे के जन्म के तुरंत बाद काम पर लौटने से कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।
नींद की कमी के साथ-साथ डिलीवरी की सारी प्रक्रिया बेहद थकाऊ होती है। काम पर जल्दी लौटने से स्थिति और खराब हो सकती है। इसलिए यह प्रसव के बाद अवसाद को जन्म दे सकता है। जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
जल्दी काम पर लौटने से सबसे बड़ी समस्या बच्चे के साथ बॉन्डिंग की आती है। साथ ही समय पर ब्रेस्टफीडिंग कराने की समस्या भी हो सकती है। अक्सर देखा जाता है कि वर्किंग वुमन ऑर्टिफिशियल या फॉर्मूला फीड का सहारा तुरंत लेने लगती हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रसव होने के बाद एक महिला कितनी जल्दी रिकवर करती है, यह उसके शारीरिक और इमोशनल हेल्थ पर भी निर्भर करता है। अगर उसने संतुलित आहार लिया है और गर्भावस्था के दौरान जरूरी एक्सरसाइज की है और बिना किसी दिक्कत के उसे डिलिवरी हुई है, तो उसकी रिकवरी रेट अच्छी होगी।
यदि कोई महिला बच्चे के जन्म के बाद जल्द ही दोबारा काम पर लौटने का विकल्प चुनती है, तो उसे कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए।
डॉ. खंडेलवाल से कई प्वाइंट्स पर बातचीत करने के बाद यह कहना सही होगा कि काम करना या न करना, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ब्रेक लेना या काम पर दोबारा लौटना- चुनाव आपकाे करना है। बस इसके लिए पूरी सावधानी बरतना जरूरी है।
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