किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो ब्लड को प्यूरिफाई कर टॉक्सिंस को यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है। परंतु कई बार व्यक्ति की लापरवाही और कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के कारण किडनी खराब होने लगती है और इसके फंक्शन भी कमजोर पड़ने लगते हैं। ऐसे में कई लोगों की किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है, जिसे हम किडनी फेलियर कहते हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।
किडनी संक्रमण, किडनी के अन्य बीमारी खासकर किडनी फेलियर के मरीजों को खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ऐसे व्यक्ति में दवाइयों के साथ ही खान-पान उनके जीवन काल को लंबा और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। अब सवाल यह है कि ऐसे मरीजों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? तो चिंता न करें, आज हम बताएंगे आपको किडनी फेलियर के मरीजों के खान पान से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी।
मैक्स हॉस्पिटल, गुरुग्राम के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर, डॉक्टर देबब्रत मुखर्जी ने किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज एवं किडनी फेलियर पेशेंट के लिए कुछ प्रभावी डाइट टिप्स (Diet for kidney patient) दिए हैं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
डॉक्टर देबब्रत मुखर्जी के अनुसार आम लोगों के जैसे ही डायलिसिस रोगियों को भी गुणवत्तापूर्ण पोषण की आवश्यकता होती है। इन रोगियों में देखी जाने वाली सबसे बड़ी गलत धारणा यह है कि उन्हें प्रोटीन का सेवन कम करने की ज़रूरत होती है। परिणामस्वरूप वे उत्तरोत्तर कमज़ोर होते जाते हैं और अंततः बेड पर आ जाते हैं। इससे हर कीमत पर बचना चाहिए।
क्रोनिक किडनी रोग और डायलिसिस के परिणामस्वरूप नकारात्मक कैटोबोलिक अवस्था कहलाती है। वास्तव में इसका मतलब यह है कि शरीर जितनी तेजी से मरम्मत या निर्माण कर सकता है, उससे अधिक तेजी से टूटता है।
डॉक्टर देबब्रत मुखर्जी स्पष्ट करते हैं, “इसके अलावा अगर प्रोटीन का कोई बाहरी स्रोत उपलब्ध नहीं है तो शरीर उपभोग के लिए अपनी मांसपेशियों को तोड़ देता है। ऐसे में लोगों को अंडे, मछली, पनीर और सोया पनीर (टोफू) खाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस दौरान रेड मीट से परहेज करें। भारतीय आहार में पहले से ही प्रोटीन की कमी है इसलिए आगे प्रतिबंध उचित नहीं है।”
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आमतौर पर शरीर के वजन और जीवनशैली के आधार पर प्रतिदिन लगभग 2000 से 3000 K cal कैलोरी की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है कि आप पर्याप्त मात्रा में कैलोरी ले रही हैं। परहेज का मतलब यह नहीं कि आप आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों को नजरअंदाज कर दें।
डॉक्टर देबब्रत मुखर्जी के अनुसार फलों में पपीता, सेब, अमरूद और अनानास का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है। उच्च पोटेशियम सामग्री के कारण अन्य फलों के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही फलों को पूरा खाएं, इनका जूस न निकालें।
डायलिसिस सेशन के बीच अत्यधिक वजन बढ़ने से बचने के लिए पूरे दिन के वॉटर इंटेक का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। पानी के सेवन को जितना हो सके सीमित रखें। प्यास लगने पर पानी के 3 से 4 छोटे-छोटे घूंट लें। एक बार में अधिक पानी पीने से बचें।
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कस्टमाइज़ करेंसामान्य नमक का सेवन करें। यदि आपका सोडियम लेवल बढ़ हुआ है तब ही कम सोडियम वाले नमक और अन्य नमक जैसे पिंक स्लॉट और हिमालयन साल्ट का प्रयोग करें।
गेहूं, चावल या अनाज पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उच्च फास्फोरस और पोटेशियम सामग्री के कारण मरीजों को प्रोसेस्ड और ठंडे ड्रिंक से बचना चाहिए। पत्तेदार सब्जियों कश्मीर सेवन करें परंतु इन्हें पकाने से पहले गर्म पानी में उबालना जरूरी है।
पनीर, दही जैसे दूध उत्पादों की अनुमति है, हालांकि दूध में फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है और कुछ रोगी लैक्टोज इनटोलरेंस हो सकते हैं ऐसे में इस बात का ध्यान रखें।
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