होली का त्योहार जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, उसी तरह खेलने की प्लानिंग और एक्साइटमेंट और बढ़ता जा रहा है। रंगों के उत्साह के साथ अपनों के साथ रंग खेलने के लिए लोग ज्यादा उत्साहित होते हैं। वहीं होली के अवसर पर आपके ऑफिस और सोसायटी में भी जरूर कुछ न कुछ प्लान बन रहा होगा। अगर आप भी होली के ऐसे ही किसी सामुहिक आयोजन का हिस्सा बनने जा रही हैं, तो जान लीजिए सेफ होली के लिए कुछ टिप्स (holi safety tips)।
परंपरागत रूप में होली की जो छवि ज्यादातर लोगों के दिमाग में बनती है, उसमें पुरुष नशे में धुत्त होकर चाहें जिसे रंग लगा रहे होते हैं। साथ ही स्त्रियों पर फब्तियां कसते और भद्दे गानों को भी एन्जॉय कर रहे हाेते हैं। जबकि स्त्रियां या तो रसोई में पकवान बना रहीं होती हैं या फिर वे उस भद्देपन को ढीठ मुस्कान के साथ बर्दाश्त कर रही होती हैं। फिर गूंजता है एक और भद्दा नारा, “बुरा न मानो होली है!” पर आप और ज्यादातर स्त्रियां जानती हैं कि कितनी ही लड़कियों के लिए होली एक ट्रॉमा बन जाती है।
मगर डर कर घर में दुबके रहना इसका समाधान नहीं है। होली वास्तव में रंगों, उत्साह और अपनों के साथ खुशियां मनाने का त्योहार है। इन दिनों साेसायटी और ऑफिस में भी विशेष तौर पर होली का सेलिब्रेशन किया जाता है। अगर आप भी ऐसे किसी आयोजन में हिस्सा ले रहीं हैं, तो आपको कुछ सेफ्टी टिप्स ध्यान में रखनी चाहिए। इस बारे में विस्तार से बात कर रहे हैं डॉ पीयुष चंद्रा। डॉ पीयुष आर्मी मेडिकल कोर में वरिष्ठ चिकित्सक रह चुके हैं।
डॉ पीयूष कहते हैं, ऐसे केस बहुत आम हैं जिसमें लड़कियों के साथ रंग लगाते वक्त छेड़खानी हुई है या बच्चे को ही रंग लगाते हुए परेशान किया गया है। उसके बाद बुरा न मानो होली है कहकर उसे नॉर्मलाइज करने की कोशिश की गई है।”
सामुहिक होली में शामिल होते हुए जानिए क्या करना है और क्या नहीं (Do’s and Don’ts for safe Holi)
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डॉ पियूष के मुताबिक सीक्रेट कोड आपकी होली को सेफ होली बना सकता है। किसी भी आयोजन में सहेलियों के साथ शामिल होना आपको एक अलग तरह का सेफ्टी बॉन्ड देगा। ऑफिस हो या सोसायटी गर्ल्स साथ रहें और आपस में एक सीक्रेट कोड साझा करें। यह सीक्रेट कोड छोटे बच्चों को भी बताया जाना चाहिए। ताकि वे सेलिब्रेशन में भी गुड टच और बैड टच समझ सकें।
यह सीक्रेट कोड कोई रंग या कोई नंबर हो सकता है। उसका प्रयोग करने पर जिससे पूरा समूह सतर्क हो जाए कि आपकाे मदद की जरूरत है।
बच्चों के लिए डिजिटल वॉच या कोई ट्रैकिंग डिवाइस भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ताकि सुरक्षा तक उसकी पहुंच आसान हो सके।
ऑफिस हो या आपका पड़ोस, कई बार शामिल लोगों की संख्या इतनी ज्यादा होती है, जिन्हें आप पहचानती भी नहीं हैं। इसलिए ध्यान रखें कि आप केवल क्लोज ग्रुप में ही खोली खेलें। सोसायटी में हैं, आसपड़ोस के दो चार घरों के लोगों के साथ और ऑफिस में हैं तो केवल उन्हीं लोगों को रंग लगाने की अनुमति दें, जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से जानती हैं। इसमें न तो कोई किसी पर जबरदस्ती रंग डाल सकेगा, न कोई छू सकेगा।
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होली एक ऐसा त्योहार है, जिसमें ज्यादातर लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं। ऐसे में बच्चा या घर का कोई सदस्य आसपास किसी स्थान पर होली खेलता है, तो नज़र के सामने रहता है। किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं रहती कि कोई सदस्य हादसे का शिकार न हो जाए, या किसी बच्चे को चोट न लग जाए। घर के आसपास खेलने से सुरक्षित महोल भी रहता है।
डॉ पियूष कहते हैं, “वैसे तो त्योहार में ऐसा माहौल होना चाहिए, जिसमें कोई भी किसी भी जगह भरोसे से रह सके, खानपान भी एन्जॉय कर सके। लेकिन आज ऐसा नहीं है, कई जगह लोग खाने-पीने की चीज़ों में भांग का प्रयोग अधिकतर चीज़ों में करते हैं। जिसमें बच्चों को जानकारी न होने पर वो खा लेते हैं, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।”
सर्दी गर्मी के इस मौसम में लोग ज्यादा बीमार हो रहे हैं। इसके बचाव के लिए जरूरी है कि आप केवल हर्बल कलर से ही होली खेलें। रासायनिक रंगों का नुकसान आपकी आंखों, त्वचा और सांस के साथ इनहेल होने से फेफड़ों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है।
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