Coronavirus कुछ महीने पहले हमारे जीवन में आया था। इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ती जा रही है कि इसने दुनिया भर में कहर बरपा दिया है। पर यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के माता-पिता के बारे में और भी डराता है। चिकित्सा पेशेवरों के मुताबिक, वायरस बुजुर्गों के लिए घातक हो सकता है।
दुनिया भर में डॉक्टरों का मानना है कि सीनियर सिटीजन (60 वर्ष से अधिक), विशेष रूप से मधुमेह से ग्रस्त ( यदि स्थिति अधिक खराब एवं नियंत्रित है), उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से ग्रस्त लोग वायरस के सबसे कमजोर शिकार हैं। संक्रमण मुख्य तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है। यदि पहले से ही कोई फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त है तो वह कोरोना वायरस के प्रति अतिसंवेदनशील होगा।
चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) में प्रोफेसर और हेड, एंडोक्राइनोलॉजी विभाग, डॉ. अनिल भंसाली कहते हैं पुराने मधुमेह रोगियों पर इस वायरस का खतरा अधिक रहता है। क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।
डॉ. भांसाली के अनुसार:
जिन मधुमेह रोगियों की COVID-19 से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई, उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि वायसर उनकी रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देता है।
उनका कहना है कि नोवेल कोरोनावायरस पहले से मौजूद बीमारियों के साथ मिल कर रोगियों के ब्लड वेसल्स को चोट पहुंचाता है। इसलिए यह और भी ज्यादा खतरनाक साबित होता है।
हमारे विशेषज्ञ के अनुसार, यहां उन चीजों की ओर ध्यान दिलाया गया है, जिनके बारे में आपको सतर्क रहने की जरूरत है:
डॉ. भंसाली का कहना है कि मधुमेह के रोगियों का आहार लॉकडाउन के बीच काफी प्रभावित हुआ है। उनके अनुसार, लोगों ने प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं का चयन करना शुरू कर दिया है और उनके भोजन की संख्या में वृद्धि देखी गई है जो रक्त शर्करा के स्तर को बेहद प्रभावित कर सकती है। इसलिए, स्वस्थ आहार पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।
मधुमेह के रोगियों के लिए शारीरिक गतिविधि बहुत जरूरी है, जो लॉकडाउन में डाउन हो गई है। वे सुझाव देते हैं कि अब हमें कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना होगा। इसलिए अपने लाइफस्टाइल में उसी के अनुरूप जरूरी परिवर्तन करें।
भांसाली कहते हैं: “हम महामारी के दूसरे शिखर पर हैं और हो सकता है कि हम पीक पर पहुंच जाएं। जिन वरिष्ठ जनों में पहले से ही किसी तरह की अस्वस्थता है, उन्हें घर के भीतर ही रहना चाहिए। लॉकडाउन के दौरान उन्हें आराम और अपने उपचार के लिए जरूरी दवाओं को फॉलो करना चाहिए। इन दिनों आप बाहर नहीं जा पा रहे, इसलिए इनडोर एक्टिविटीज जैसे साइकिल चलाना, योग और अन्य व्यायामों का अभ्यास करते रहना चाहिए। ये भी आपको सक्रिय रखने में मददगार हो सकते हैं।”
डॉ. भांसाली इसके लिए सुझाव देते हैं कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए हालात के दौरान उन्हें डायबिटीज को मैनेज करना सीखना होगा। इसके लिए वे अपनी दवाओं और डाइट पर ध्यान दें तो यह आसान हो सकता है।
डॉ. भांसाली का सुझाव देते हैं, “जिन लोगों को इंसुलिन इंजेक्शन लेने पड़ते हैं उन्हें अपने ब्लड शुगर के स्तर को चैक करते रहना चाहिए। जो हर दिन एक इंसुलिन इंजेक्शन लेते हैं उन्हें दिन में एक बार अपने ग्लूकोज के स्तर की जांच करनी चाहिए। और जो डायबिटीज की ओरल मेडिसिन लेते हैं उन्हें सप्ताह में चार बार अपना ब्लड शुगर लेवल चैक करना चाहिए।”
गुवाहाटी के Healthcity अस्पताल में चिकित्सा निदेशक डॉ. भाबनी प्रसाद चक्रवर्ती और गोवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पूर्व प्रोफेसर एवं प्रमुख, चिकित्सा विभाग का कहना है कि डिजिटल रूप से अपने डॉक्टर से संपर्क में रहना बहुत जरूरी है। वे कहते हैं कि मधुमेह रोगियों को अपने ग्लूकोज के स्तर में उतार-चढ़ाव के अनुसार नियमित रूप से अपनी खुराक की जांच करते रहनी चाहिए।
मधुमेह एक बीमारी है। इसे तभी मैनेज किया जा सकता है जब आप अपने आहार और लाइफस्टाइल के प्रति सतर्क रहें। अपने बुजुर्ग माता-पिता की सेहत का ख्याल रखने की दिशा में यह जरूरी है कि आप स्वयं भी उनके डायबिटीज नियंत्रण के प्रति जागरुक रहें। महामारी के बीच उनका ध्यान रखना और ज्यादा जरूरी है।