ढलते हुए सूरज के साथ आसमान भी गुलाबी हो जाता है, बारिश के बाद साफ हुए आसमान में इंद्रधनुष, आधी रात को चमकते तारे- ये सब जीवन के वे खूबसूरत दृश्य हैं जिनके लिए हमें अपनी आंखों का शुक्रगुजार होना चाहिए।
हमारी आंखें हमारे जीवन की रोशनी हैं। बिना आंखों के न केवल सामान्य जीवन जीना मुश्किल है बल्कि जीवन अंधकारमय हो जाता है। आंखे अनमोल हैं और इनका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है।
हमारी आंखे जितनी अनमोल हैं उतनी ही नाजुक भी। हमारी आंखें बहुत सेंसिटिव होती हैं इसलिए इनका ख्याल रखते वक्त हमें हर तरह से सावधान होना चाहिए।
आज कल के समय में हमारी आंखों को सबसे बड़ा खतरा है धुंए और प्रदूषण से। प्रदूषित हवा में कई जहरीली गैस होती हैं जो हमारी आंखों के लिए बहुत खतरनाक होती हैं। अगर आप दिल्ली या आसपास के क्षेत्र में रहते हैं तो आप आंखों पर प्रदूषण के प्रभाव से भली-भांति परिचित होंगे।
हर साल सर्दियां आते ही उत्तर भारत में, खासकर राजधानी में धुएं की एक मोटी धुंध छा जाती है। इसे स्मॉग कहते हैं। खांसी, सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ आंखों में समस्या इस स्मॉग के कारण होती है।
सबसे पहले तो जान लेते हैं प्रदूषण का अर्थ क्या है। धुंए में मौजूद आधे जले कार्बन के कण, कंस्ट्रक्शन के सीमेंट के कण, गाड़ियों से निकलने वाली जानलेवा गैसें, फैक्टरियों से निकलने वाला जहरीला धुआं, सड़ते कूड़े से निकलने वाली मीथेन- यह सब प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है।
प्रदूषण हमारी आंखों को बुरी तरह प्रभावित करता है। आंखों में जलन, सूखी आंखें, आंखों में लालामी इत्यादि प्रदूषण के प्रमुख लक्षण हैं।
वैसे तो ये बहुत चिंता का विषय नहीं होते क्योंकि ये लक्षण प्रदूषण में कमी आने से खुद ही कम हो जाते हैं। लेकिन भारत में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति में प्रदूषण कम होता नजर नहीं आता। और जब प्रदूषण हर वक्त रहता है तो ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ड्राई आई सिंड्रोम में आंखों का ‘एक्वस ह्यूमर’ सूख जाता है। इसके कारण आंखे हर वक्त सूखी रहती हैं और जलन होती रहती है। लम्बे समय तक इस सिंड्रोम के होने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
जर्नल ऑफ अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन द्वारा किये गए रिव्यु में पाया गया कि वायु प्रदूषण आंखों के गंभीर विकारों के लिए दोषी है। इस रिव्यू के अनुसार हवा में अधिक पार्टिकल्स होने पर वे आंख की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं। प्रदूषण से आंखों की अन्य बीमारियां और खतरनाक रूप ले सकती हैं।
1.टॉक्सिकोलॉजी लेटर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में सुझाया गया है कि आंखों को प्रदूषण से जितना हो सके दूर रखें, यही आपकी आंखों की देखभाल का एकमात्र उपाय है। इसका अर्थ है कि प्रदूषित वातावरण में घर के बाहर कम से कम निकलें।
2. घर के अंदर हवा साफ करने वाले पौधे लगाएं। यही नहीं घर मे एयर प्योरिफायर भी जरूर लगवाएं। इससे घर के अंदर की हवा साफ रहेगी जो आपकी आंखों के लिए सुरक्षित है।
3. बाहर निकलें तो क्लियर ग्लासेस या चश्मा लगाकर निकलें। इससे आपकी आंखें हवा के सीधे संपर्क से बची रहेंगी। अगर कांटेक्ट लेंस पहनती हैं तो बाहर जाते वक्त आंखों को ढक कर रखें।
4. डॉक्टर की सलाह से कोई उचित आई ड्राप ले आएं और हर रात इसे आंखों में डालें। इससे आंखे सूखी नहीं लगेगी।