जब बात जिंदगी की आती है – तो इसका अर्थ केवल जिंदा रहना या बस उम्र गुजारना भर नहीं होता। बल्कि एक अच्छी और स्वस्थ जिंदगी जीना होता है। हमारे माता-पिता जब बूढ़े होने लगते हैं, तो उनकी जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। बढ़ती उम्र के प्रभावों में सबसे ज्यादा परेशान करने वाला प्रभाव है, कमजोर होती नजर।
बिगड़ती या कमजोर होती नजर से हमारे माता-पिता खुद को या दूसरों की बात पर प्रतिक्रिया देने में धीमापन अनुभव करने लगते हैं। कमजोर आई साइट के कारण वे अकसर कन्फ्यूजन महसूस करते हैं। लोगों को पहचानने में, चीजों को समझने में या पढ़ने-लिखने में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सिर्फ इतना ही नहीं, अगर कमरे में पर्याप्त रोशनी नहीं है, तो उनके चीजों से टकरा कर गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है।
अपने माता-पिता को उनकी स्थिति को ठीक से मैनेज करने में मदद करके हम उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और कमजोर नजर की वजह से उनको होने वाले भावनात्मक आघात से भी बचा सकते हैं।
यहां हम आपको ऐसे 5 टिप्स दे रहे हैं, जिनसे आप कमजोर नजर के बावजूद अपने पेरेंट्स के जीवन की गुणवत्ता को संभाल पाएंगे –
स्वस्थ आहार हमेशा से ही स्वास्थ्य जटिलताओं और चिंताओं से बचने को खास मंत्र है। अपने माता-पिता को हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, सेम, नट्स, खट्टे फल और तेल-मछली वाले फूड्स को आहार में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करें। ये खाद्य पदार्थ विटामिन सी और ई, जस्ता, ल्यूटिन और ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होते हैं, जो मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित समस्याओं को कम करने में मददगार होते हैं।
इसके अलावा, यदि आपके पेरेंट्स में से कोई धूम्रपान करता है, तो उन्हें इसे बंद करने के लिए प्रेरित करें। स्मोकिंग कमजोर दृष्टि, मोतियाबिंद और मोक्यूलर डिजनरेशन के जोखिम को बढ़ा देती है।
गर्मियों में बाहरी जाने के दौरान अपने माता-पिता को धूप का चश्मा पहनने के लिए प्रोत्साहित करें। सुनिश्चित करें कि उनके चश्मे में यूवीए ब्लॉक हो। जिससे की सूर्य की पराबैंगनी किरणें उनकी आंखों को नुकसान न पहुंचा सकें। ये किरणें कॉर्निया और कंजंक्टिवा (पलक के अंदर और आंख के सफेद क्षेत्र को कवर करने वाली कोशिकाओं की एक परत) को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
यह सावधानियां आपके पेरेंट्स को आत्मनिर्भर होकर अपने काम करने की आजादी देंगी। बजाए इसके कि वे अपनी हर छोटी-बड़ी चीज के लिए आप पर निर्भर हो जाएं। यह उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। इससे वे मस्तिष्क से जुड़े अपने कार्यों को बेहतर तरीके से कर पाते हैं और स्वस्थ जीवन का आनंद लेते हैं।
अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, रोगियों की व्यावसायिक चिकित्सा द्वारा काफी मदद की जा सकती है। नजर कमजोर होने पर रोगियों की फंक्शनल एक्टिविटीज की सीमा का आंकलन कर इसमें यह तय किया जाता है कि उन्हें आवश्यक मदद कैसे की जाए। जिससे वे अपने जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकें। और अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों को भी पूरा कर सकें।
इस तरह के उपचार में उनके कमरे में बेहतर प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे जरूरी डिवाइस का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। जिससे कि वे घर पर अपनी आत्मनिर्भरता और सुरक्षा बनाए रख सकें। इसलिए, इस तरह के उपचारों को अपनाने के बारे में अपने माता-पिता से बात करें क्योंकि इससे उन्हें आत्मविश्वास और उनके मूवमेंट्स में मदद मिलेगी, जिससे वे ज्यादा स्वतंत्र महसूस कर पाएंगे।
यदि आवश्यकता हो, तो प्रशिक्षित नर्सों और/या अन्य पेशेवरों के माध्यम से पेशेवर सहायता प्राप्त करें जो आपके माता-पिता को अधिक स्वतंत्र बनाने में मदद कर सके।
हमारे माता-पिता सम्मान और गरिमा के साथ उपचार के हकदार हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में उनके लिए सम्मानजनक स्थिति सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें पौष्टिक आहार और व्यावसायिक चिकित्सा उपलब्ध करवाने में मदद करें। सुनिश्चित करें कि आप अपने माता-पिता के साथ एक प्राकृतिक संवादात्मक स्वर में बात करें हैं और आपकी आवाज उन तक ठीक से पहुंचनी चाहिए, क्योंकि वे आपके होंठ नहीं देख पाएंगे।
जब आप अपने पेरेंट्स के कमरे में दाखिल होते हैं, तो उन्हें नमस्कार करें। जिससे कि वे जान पाएं कि आप वहां हैं। इसी तरह जब बातचीत खत्म हो तो इसका भी संकेत उन्हें दें। कहीं ऐसा न हो कि आप वहां से लौट आएं और वे हवा से बातें करते रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विजन से संबंधित शब्दों का खुलकर इस्तेमाल करें, जिससे उनमें अपनी दृष्टि को लेकर किसी भी तरह की झिझक न रहे। किसी भी ऐसी स्थिति में जब विजन के कारण उनकी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा हो, तो चिल्लाने की बजाए हालात को शांति से संभालने की कोशिश करें। जैसे- अगर वे बेड से नीचे लटकने लगे हैं, तो शोर मचाकर उन्हें तनाव ग्रस्त करने की बजाए उन्हें प्यार से संभालें।
इन साधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर आप उनका जीवन सुगम और सम्मानजनक बना सकती हैं। अगर कुछ लिख कर देना है तो पतले पेन की बजाए मोटे मार्कर का इस्तेमाल करें। शब्दों को बहुत रफ तरीके से लिखने से बचना चाहिए। अगर ईमेल कर रहीं हैं तो, फॉन्ट साइज 16 रखें और ऐसे फॉन्ट का इस्तेमाल करें जो मोटा हो और आसानी से पढ़ा जाता हो। आप उनके स्मार्टफ़ोन में भी फ़ॉन्ट साइज बढ़ा सकती हैं, जिससे वे मैसेज आसानी से पढ़ और टाइप कर सकें।
जब भी संभव हो स्थानों, लोगों और वस्तुओं का वर्णन करके अपने माता-पिता को अपने कानों से देखने में मदद करें। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि नियमित रूप से सामाजिक घटनाओं में उन्हें शामिल करें। उनका मार्गदर्शन करते समय, उनकी बांह और सीढ़ियों को पकड़कर सपोर्ट बनाए रखें। हमेशा उनमें से एक कदम आगे रहें। उन्हें सीट पर बैठाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वे बैठने से पहले उसे छूकर देखें। बैठने की शैली का कुछ मौखिक विवरण भी दें ताकि वे कुर्सी/बेंच के एर्गोनॉमिक्स को समझ सकें।
कमजोर नजर के साथ रहना आसान नहीं है, फिजिकली और मेंटली। इसलिए, यह जरूरी है कि जब भी आप यह बताना चाहें कि आप उनकी परवाह करते हैं, हमेशा मदद का हाथ उनकी ओर बढ़ाएं।