क्या फलों का रस बढ़ा सकता है डायबिटीज का जोखिम? जानिए क्या है इस बारे में विशेषज्ञों की राय

डायबिटीज की बॉर्डरलाइन पर पहुंचने वाले लोगों को चिकित्सकीय भाषा में प्रीडायबिटिक कहा जाता है। ऐसे लोग अगर अपने खानपान में परहेज रखें तो डायबिटीज से बच सकते हैं।
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बार-बार पेशाब आना डायबिटीज के प्रमुख संकेत में से एक है। चित्र शटरस्टॉक।
Updated On: 20 Oct 2023, 09:32 am IST
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गलत लाइफस्टाइल और खानपान कई समस्याओं का कारण बनता जा रहा है। जिनमें से एक है डायबिटीज यानी मधुमेह। कोविड-19 से रिकवरी के बाद बहुत सारे लोग प्रीडायबिटिक हो गए हैं। यानी वे डायबिटीज की बॉर्डनलाइन पर पहुंच गए हैं। ऐसे लोगों को अपने खानपान और लाइफस्टाइल पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। अगर फिटनेस फ्रीक हैं और फलों के रस को अपनी पोस्ट वर्कआउट डाइट में शामिल करती हैं, तो आपको इसके जोखिम भी जान लेने चाहिए।

क्या है प्रीडायबिटिक होना

प्रीडायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जहां व्यक्ति का ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य रूप से ज्यादा हो, परंतु डायबिटीज टाइप 2 की समस्या में प्रवेश करने के हिसाब से कम हो। ऐसे लोग अगर अपने लाइफस्टाइल और खानपान पर ध्यान दें तो डायबिटीज से बचे रह सकते हैं। पर लापरवाही करने पर वे जल्दी ही मधुमेह की चपेट में आ सकते हैं।

यदि आपको प्रीडायबिटीज है, तो यह आपके हार्ट, ब्लड वेसल्स और किडनी को प्रभावित करना शुरू कर देती है।

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ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखें। चित्र: शटरस्टॉक

यदि समय रहते नियमित दिनचर्या में कुछ आवश्यक बदलाव कर लिया जाए तो, इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। अन्यथा यह धीमे-धीमे डायबिटीज की समस्या में परिवर्तित हो जाएगा। एक उचित खानपान और सही शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना आपके ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रख सकता है।

यहां जानें प्रीडायबिटीज में नजर आने वाले लक्षण

आमतौर पर प्रीडायबिटीज की समस्या में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते। परंतु प्रीडायबिटीज की समस्या जब अधिक हो जाए और डायबिटीज की ओर बढ़ने लगे तो आपको कुछ सामान्य लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे कि –

बार-बार प्यास लगना

इसी के साथ बार-बार यूरिनेट करना

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क्या ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है?

भूख का बढ़ना

कमजोरी

देखने में समस्या होना

हाथ और पैरों में टिंगलिंग होना

इन्फेक्शन होना

किसी भी घाव के भरने की अवधि का बढ़ जाना

अचानक से वजन में गिरावट आना

आहार और व्यायाम दोनों पर ध्यान देना है जरूरी

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हाथ और पैरों में टिंगलिंग होना हो सकता है प्रीडायबिटीज के लक्षण। चित्र शटरस्टॉक।

डायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी नियमित दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें और संतुलित भोजन करें। जब बात हेल्दी डाइट की आती है, तो ज्यादातर लोग फलों के रस को एक हेल्दी और वेट लॉस फ्रेंडली डाइट का हिस्सा मानते हैं। पर प्री डायबिटिक लोगों को इसका सेवन करना चाहिए या नहीं! इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए हमने बात की न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लीनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा से। आइए जानते हैं वे इस बारे में क्या कहती हैं।

प्रीडायबिटीज और फ्रूट जूस के संबंध में क्या कहती हैं एक्सपर्ट

पूनम दुनेजा से इस विषय पर बात की। वे कहती है कि फ्रूट जूस में फ्रुक्टोज की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे कि हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, आर्टिफिशियल कलरिंग, एडिटिव और स्टेबलाइजर। इन सभी का सेवन ब्लड ग्लूकोज लेवल को काफी ज्यादा बढ़ा देता है। साथ ही यह इन्सुलिन रेजिस्टेंस का भी कारण बन सकता है।

डाइटिशियन कहती हैं कि यदि आप प्रीडायबिटीज की स्थिति में आ चुकी हैं, तो फ्रूट जूस से परहेज रखना ही बेहतर होगा। लगभग सभी फ्रूट जूस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी ज्यादा होता है। जिससे ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है। जिससे आप डायबिटीज की गिरफ्त में आ सकती हैं।

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प्रीडायबिटीज और फ्रूट जूस के संबंध में क्या कहती हैं एक्सपर्ट। चित्र : शटरस्टॉक

वेट लॉस डाइट फॉलो कर रहे लोग फ्रूट जूस से जितना हो सके, उतना परहेज रखें। आपके लिए बेहतर होगा कि आप फलों के रस की जगह पूरे फल का सेवन करें। साबुत पल फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में आपकी मदद करते है।

फ्रुक्टोज से बढ़ सकता है डायबिटीज का जोखिम

फ्रूट जूस में फ्रुक्टोज की मात्रा काफी ज्यादा होती है। ऐसे में लिवर के लिए फ्रुक्टोज को प्रोसेस कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। यह नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार फ्रुक्टोज में हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिक इफ़ेक्ट पाए जाते हैं। जो ब्लड शुगर लेवल को अनियंत्रित कर सकते हैं।

हालांकि कई रिसर्च बताते हैं, कि फ्रुक्टोज की एक सीमित मात्रा लेने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सकता है। परंतु यदि इसे अधिक मात्रा में लिया जाए, तो यह प्रीडायबिटीज में आ चुके व्यक्ति की स्थिति को और ज्यादा गंभीर कर सकता है।

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फ्रुक्टोज से बढ़ सकता है डायबिटीज का जोखिम। चित्र शटरस्टॉक।

चलते-चलते

जूस की तुलना में साबुत फल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होते हैं। साबुत पल में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं और यह डाइजेशन को इंप्रूव करते हैं। फाइबर ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है।

परंतु कोई भी साबुत फल खाने से पहले उसकी पूरी जानकारी ले लें और सीमित मात्रा में ही उसका सेवन करें। प्रीडायबिटीज की स्थिति में आ चुके व्यक्ति अमरूद, पपीता, खट्टे फल जैसे कि संतरा, स्वीट लाइम और ब्लैक प्लम्प जैसे फलों को सीमित मात्रा में ले सकते हैं।

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लेखक के बारे में

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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