बचपन में दूध में न्यूट्रीशन पाउडर (Nutrition Powder) मिलाकर तो हम सब ने पिया ही होगा कभी लंबाई बढ़ाने, कभी एनर्जी बूस्ट करने और कभी सिर्फ दूध के टेस्ट को बदलने के लिए। पर क्या ये वाकई वो काम करते हैं?
बचपन में मेरी मां मुझे दूध पिलाने के लिए दूध में तरह-तरह के न्यूट्रीशन पाउडर (Nutrition Powder) मिलाकर पिलाती थी। मां न्यूट्रीशन पाउडर में मौजूद फायदे गिनाते हुए अक्सर कहतीं कि देखो इसे पिओगी तो जल्दी ही लम्बी हो जाओगी और इस लालच में मैं जल्दी से दूध पी जाती। पर मां की कही बातों के अनुसार मेरी हाइड में कोई खास इजाफा नहीं हुआ। इसलिए इन सप्लीमेंट्स के हेल्थ के फायदे और नुकसान (Nutrition powder effect on kids) को लेकर मेरे मन में जिज्ञासा बनी हुई थी। जिसके लिए मैंने खूब सारी पड़ताल की। जानते हैं, उसमें क्या सामने आया? तो बस जानने के लिए तैयार हो जाइए-
1800 के दशक के अंत में, ब्रिटिश फार्मासिस्ट जेम्स हॉर्लिक और उनके भाई विलियम अमेरिका चले गए। जहां उन्होंने माल्ट और जौ से प्राप्त हेल्थ पाउडर के रूप में एक्सपेरिमेंट के तौर पर शिशुओं के लिए एक प्रोडक्ट उतारा। शिकागो में, उन्होंने हॉर्लिक फ़ूड कंपनी की स्थापना की, जहां एक माल्ट-आधारित पाउडर को अंततः “माल्टेड मिल्क” के रूप में ट्रेडमार्क करने के लिए बनाया गया था।
1987 तक फास्ट फॉरवर्ड और हॉर्लिक्स भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले माल्ट-आधारित पेय के रूप में उभरा। भारत में माल्ट-बेस्ड हेल्थ की शुरुआत तब हुई जब स्वतंत्रता के समय कुपोषण के साथ देश संघर्ष कर रहा था। एक अल्पपोषित राष्ट्र में, स्वतंत्रता के तुरंत बाद, भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में दूध की कमी का फायदा उठाने वाले ब्रांड्स ने खुद को दूध को हेल्दी बनाने वाले विकल्प के रूप में स्थापित किया।
भारत दुनिया में माल्ट आधारित ड्रिंक्स के लिए सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। माल्ट आधारित उत्पादों को यहां ‘न्यूट्रीशन पाउडर’ के रूप में बेचा जाता है, जिसके लिए विशेष रूप से बच्चों को टार्गेट किया जाता है।
आज ये न्यूट्रीशन पाउडर बच्चों को टार्गेट कर अपने हेल्दी होने का दावा भी करते हैं। ऐसे ही एक हेल्थ पाउडर ब्रांड का दावा है कि यह “बच्चों को लंबा, मजबूत और तेज बनाने में मदद करता है और यह चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित है। वे यह भी दावा करते हैं कि उनका न्यूट्रीशन पाउडर मस्तिष्क, हड्डियों और मांसपेशियों को विकसित करने में मदद कर सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में मौजूद माल्ट आधारित किसी भी न्यूट्रीशन पाउडर के 100 ग्राम में 18 ग्राम प्रोटीन, 11 ग्राम फैट और 62 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसमें से 24 ग्राम चीनी होती है। उसी मीट्रिक का उपयोग करते हुए, बॉर्नविटा 7g प्रोटीन, 1.8g वसा और 85.2g कार्बोहाइड्रेट है, जिसमें से 32g चीनी होती है।
एक न्यूट्रीशन पाउडर जो 33 ग्राम सर्विंग की सिफारिश करता है, उसकी एक सर्विंग में लगभग 8 ग्राम चीनी होती है। वहीं दूसरा हेल्थ 20 ग्राम की सिफारिश करता है, जिसमें तकरीबन यह 6.5 ग्राम चीनी होती है।
डब्ल्यूएचओ के एक हालिया निर्देश में मुताबिक़ आपकी 2,000 कैलोरी वाली डाईट में 100 कैलोरी (5 प्रतिशत) शुगर की लिमिट बताई गई है।
थाणे से ऑनलाइन न्यूट्रिशन एक्सपर्ट माधुरी जंजाले की मानें तो एक ग्राम चीनी से चार कैलोरी मिलती है। जहां एक न्यूट्रीशन पाउडर (Nutrition Powder) 8 ग्राम चीनी पर 32 कैलोरी देने का दावा करता है, वहीं एक दूसरा हेल्थ पाउडर (Nutrition Powder) 80 कैलोरी प्रदान करने का दावा करता है।
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कस्टमाइज़ करेंआजकल की मॉडर्न डाइट में खाए जाने वाले फ़ूड आइटम्स वैसे भी शुगर कॉन्टेंट से भरे हुए होते हैं। ऐसे में ये हेल्थ पाउडर दरअसल बच्चों का डेली शुगर कन्ज़म्पशन यानी दिन भर में खाई जाने वाली चीनी की मात्रा बढ़ाते ही हैं।
रॉयल आर्मी ऑफ ओमान में प्रैक्टिस कर रहे मेजर डॉक्टर अजय व्यास की मानें तो, “बच्चों को इन पेय पदार्थों से मिलने वाले सभी पोषक तत्त्व दरअसल दूध से ही मिलते हैं। बाकी हेल्थ ड्रिंक, सिर्फ दूध के स्वाद को बढ़ाने का काम करते हैं, क्योंकि दूध का स्वाद बच्चों को पसंद नहीं आता है।
इस तरह के हेल्थ पाउडर की जगह बच्चों को दूध में पिसे मेवे या डार्क चॉकलेट के साथ शहद, गुड़ या ब्राउन शुगर जैसे विकल्प देना सही रहता है।”
इन हेल्थ ड्रिंक्स के दुष्प्रभावों पर बात करते हुए डॉक्टर व्यास कहते हैं कि चीनी एक तरह से नशे की लत ही है। इससे बच्चे कभी भी इनके बगैर दूध नहीं पी पाते और हमेशा दूध को मीठा या कोको के स्वाद से जोड़ते हैं। ड्रिंक्स में इस्तेमाल होने वाला कोको या कैफीन बच्चों को इनकी लत डलवा देता है। इसके अलावा इनमें मौजूद चीनी के कारण बच्चा ओबीस या मोटापे का शिकार भी हो सकता है।”
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