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क्या वाकई दांतों के लिए फायदेमंद हैं लौंग वाले टूथपेस्ट? जानिए इस बारे में क्या कहती हैं एक्सपर्ट

लौंग वाले टूथपेस्ट का लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर दांत घिस सकते हैं और उनमें कैविटी हो सकती है। ओरल हाइजीन को बनाये रखने के लिए एक्सपर्ट कुछ और सुझाव दे रही हैं।
दांत दर्द को गंभीरता से न लेकर लंबे वक्त तक घरेलू नुस्खों को अपनाने से दांतों की समस्या बढ़ने गलती है। चित्र : शटरस्टॉक
Published On: 1 Dec 2022, 09:30 am IST

इन दिनों टीवी, इंटरनेट पर टूथपेस्ट के कई विज्ञापन आते रहते हैं। उनका दावा होता है कि इसमें लौंग मौजूद होते हैं। ये दांतों की ज्यादातर समस्याओं को दूर करने में मददगार होते हैं। मैं और आप बचपन से दादी मां का यह नुस्खा आजमाते आ रहे हैं कि दांत दर्द करने पर दांतों के नीचे लौंग दबा लेते हैं। इसलिए हम यह सोचते हैं कि जिस भी टूथपेस्ट में लौंग होगा, वह दांतों के लिए फायदेमंद होगा। रिसर्च भी बताते हैं कि लौंग वाले टूथपेस्ट दांतों में लगे बैक्टीरिया को खत्म करने में कामयाब हैं। सच्चाई जानने के लिए हमने बात की पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पीरियोडोंटिस्ट (एमडीएस) डॉ. सोनल वाखले (expert tips for oral hygiene ) से।

बैक्टीरियल गुणों वाला लौंग (anti bacterial clove)

कई स्टडी बताती है कि हर्बल टूथपेस्ट और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध अन्य टूथपेस्ट में मौजूद लौंग एंटीप्लाक और एंटी जिंजिवाइटिस में चिकित्सकीय रूप से फायदेमंद हैं। यदि लौंग वाले टूथपेस्ट और माउथ रिंस का प्रयोग किया जाता है, तो 21 दिनों में माइक्रोबियल सीएफयू (microbial CFU) में महत्वपूर्ण कमी देखी जाती है।

डॉ. सोनल वाखले बताती हैं, ‘लौंग अनालजेसिक है। इसमें एंटी बैक्टीटीरियल प्रॉपर्टी भी होती है। यदि हम लौंग वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदा भी करता है। दांत दर्द में लौंग का तेल असरकारक है।  यदि लॉन्ग टर्म में देखा जाये, तो यह नुकसानदेह होता है। बाज़ार में उपलब्ध ज्यादातर टूथपेस्ट में पार्टिकल साइज़ (Particle Size) बड़ा होता है। इसका लंबे समय तक इस्रेमाल किया जाता है, तो दांत घिसने लगते हैं और दांतों के बीच का गैप भी बढ़ जाता है।’

इस्तेमाल करें एडीए टूथपेस्ट (ADA Toothpaste)

डॉ. सोनल कहती हैं, ‘ हमें हमेशा एडीए सील (Seal Of Acceptence) वाली टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सील अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन देती है। एडीए सील वाले डेंटल प्रोडक्ट विश्वसनीय, सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाला होगा। एडीए व्यक्तिगत दंत चिकित्सकों और दंत चिकित्सा पद्धतियों को भी प्रमाणित करता है।”

यहां हैं ओरल हाइजीन बनाए रखने के लिए 5 टिप्स (expert tips for oral hygiene)

1 दोनों टाइम ब्रश करें (Brush your teeth)

यदि आप चाहती हैं कि आपके दांत मजबूत हों और आपके मसूड़ों में किसी प्रकार का इन्फेक्शन नहीं हो, तो सुबह और रात दोनों समय अच्छी तरह ब्रश करना चाहिए। इससे दांतों की गैप के बीच मौजूद भोजन के कण साफ़ हो जाते हैं और किसी प्रकार की सडन नहीं हो पाती है।

2 डेंटल फ्लॉस का प्रयोग करें (Dental Floss)

दिन भर में एक बार फ्लॉस जरूर करना चाहिए। यदि दांतों के बीच गैप बढ़ गया है, तो प्रत्येक भोजन के बाद भी फ्लॉस कर सकती हैं। हर दिन सिर्फ एक बार फ्लॉस करने से यह ओरल हायजीन को मजबूती देगा। दांतों के बीच फंसा कण बाहर निकल आता है और किसी प्रकार का डीपोजिशन नहीं हो पाता है।

हर दिन सिर्फ एक बार फ्लॉस करने से यह ओरल हायजीन को मजबूती देगा। चित्र : शटरस्टॉक

3 नमक डालकर कुल्ला करें (gargle with salt)

ओरल हाइजीन के लिए पानी में नमक डालकर कुल्ला करना चाहिए। इसे दिन में 2 बार भी आजमाया जा सकता है। नमक के पानी से कुल्ला करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्महो जाते हैं। इससे दांतों और मसूड़ों के बीच किसी प्रकार का इंफेक्शन भी नहीं फैल पाता है।

4 मसूड़े पर मसाज भी है जरूरी (massaging on gums)

डॉ सोनल बताती हैं कि बिना डेंटिस्ट की सलाह के किसी भी प्रकार के मेडिसिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लेकिन दोनों टाइम मसूड़ों पर मसाज जरूर करना चाहिए।

दांतों ही नहीं मसूड़ों की देखभाल  भी जरूरी है । इसके लिए  अंगुलियों से रोज उन पर  मसाज करें।  चित्र: शटरस्टॉक

अपनी अंगुलियों को धीरे-धीरे 20-30 बार मसूड़ों पर फिराना चाहिए। इससे मसूड़े मजबूत होते हैं और किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से भी उनका बचाव होता है।

5 सोच समझकर करें टूथपेस्ट का चुनाव (Choose the right toothpaste)

ऐसे टूथपेस्ट का चुनाव करें जो अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन के मानकों पर खरा उतरता हो। ऐसे टूथपेस्ट का उपयोग कभी नहीं करें, जिनमें फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा हो। इससे दांत घिस जाते हैं और कैविटी भी हो जाती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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