प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं बच्चे की ग्रोथ को लेकर खासी चिंतित रहती है। वहीं दिवाली के आसपास जब प्रदूषण और भी ज्यादा बढ़ने लगता है, तब यह चिंता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। वायु प्रदूषण प्रेगनेंसी के दौरान मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी उतना ही नुकसानदेह होता है। प्रदूषण में मौजूद तरह-तरह के पार्टिकल्स के कारण बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इतना ज्यादा कि, कभी-कभी यह समय पूर्व प्रसव (Preterm delivery) का भी कारण बन सकता है।
ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी खास देखभाल करने की जरूरत होती है। क्योंकि पेट में पल रहा बच्चा काफी ज्यादा नाजुक होता है, मां की सेहत से जरा भी छेड़छाड़ बच्चे के मृत्यु का कारण बन सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान हर कदम फूंक कर रखने की जरूरत होती है। तो चलिए जानते हैं, आखिर किस तरह यह एक प्रेग्नेंट महिला और उनके नवजात शिशु को प्रभावित करता है। साथ ही जानेंगे इससे बचने के कुछ जरूरी उपाय।
जब बच्चा मां की कोख में दम तोड़ देता है और जन्म के दौरान उसकी सांसें नहीं चल रही होती तो उसे मृत्युजन्म और स्टिलबर्थ कहा जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा 2018 में की गई एक स्टडी में सामने आया कि प्रेगनेंसी के दौरान जो महिला वायु प्रदूषण के संपर्क में काफी ज्यादा रहती हैं, उन्हें प्रेगनेंसी के दौरान स्टिलबर्थ जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। खासकर तीसरी तिमाही में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का जरूरत से ज्यादा वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना खतरे से खाली नहीं है। यह बच्चे के विकास में बाधा बन सकता है। कई स्टडीज में देखने को मिला की वायु प्रदूषण से प्रभावित महिलाओं ने कम वजन और कमजोर बच्चों को जन्म दिया है।
इसके साथ ही यह समय से पहले डिलीवरी का कारण बन सकता है। जिसकी वजह से बच्चों का शरीर और लंग्स अविकसित रह जाता हैं और बाद में यह बच्चों की सेहत पर काफी ज्यादा असर डालता है।
प्रेगनेंसी में यदि कोई महिला वायु प्रदूषण के संपर्क में काफी ज्यादा है, तो समय से पहले डिलीवरी होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में समय से पहले लेबर पेन होने के कारण कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं- जैसे कि अविकसित बच्चे का जन्म, जन्म के दौरान बच्चे की मृत्यु और कम वजन के बच्चे का जन्म।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार एयर पॉल्यूशन में तरह-तरह की हानिकारक गैस जैसे की सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड औए ओजोन मौजूद होते हैं। यह सभी प्रेगनेंसी के दौरान महिला तथा बच्चे दोनों की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। हालांकि, आम लोगों के लिए भी ये नुकसानदेह हैं। परंतु प्रेगनेंसी के दौरान इनका प्रभाव काफी हद तक बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। इसके साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आना गर्भपात का भी कारण बन सकता है। इसलिए सचेत रहें और प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके उतना वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें।
आप अकेली वायु प्रदूषण को रोकने में सक्षम नहीं हो पाएंगी, परंतु इससे बचने के लिए अपने घर को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके लिए आपको नियमित रूप से अपने घर की एयर क्वालिटी को चेक करते रहना है। इसी के साथ जरूरी सावधानियां बरतें ताकि पॉल्यूशन और ज्यादा न बढ़े।
प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके उतना बाहर जाने से बचें। यदि आप मास्क भी पहनती हैं तो भी स्किन से एयर आपके शरीर में जाता है और अपने साथ सभी इंप्योरिटीज को भी शरीर मे प्रवेश करने में मदद करता है। यदि आपको फ्रेश एयर और खुले वातावरण की जरूरत पड़ती है, तो खुद के गार्डन में पेड़-पौधों के बीच वॉक कर सकती हैं। इसके साथ ही आसपास के वातावरण को जितना हो सके उतना साफ रखने की कोशिश करें।
आप प्रेगनेंट हैं, तो ध्यान रहे कि जहां भी स्मोक हो रहा है, वहां से जितनी हो सके उतनी दूरी बना लें, जैसे की गाड़ी और फैक्ट्री से निकलने वाला स्मोक। इसी के साथ यदि आप स्मोकिंग करती है तो प्रेगनेंसी के दौरान इसे पूरी तरह से छोड़ दें और यदि आपके पार्टनर स्मोकर हैं. उन्हें भी इन 9 महीनों के दौरान स्मोकिंग करना छोड़ देना चाहिए। अन्यथा मां और बच्चे दोनों की सेहत प्रभावित हो सकती है।
खुद की समस्याओं से लोगों को समझ आता है, इसलिए वायु प्रदूषण को लेकर जागरूक रहें और बाकी लोगों तक भी जागरूकता फैलाएं। जैसे कि सबसे पहले यह सोचें कि आखिर इस प्रदूषण में आपका क्या योगदान है और पता लगते हीं उस कार्य को फौरन बंद कर दें।
यदि आप प्रेग्नेंट है तो बाहरी वातावरण में एक्सरसाइज करने से बचें। क्योंकि जब आप व्यायाम करती हैं, तो आपकी सांस काफी तेज हो जाती है। जिस वजह से आप ज्यादा मात्रा में हवा को अंदर लेती है और हवा के साथ-साथ इसमें मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया इत्यादि भी आपके शरीर में जाकर इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चेकअप इत्यादि के लिए जाते हुए कम ट्रैफिक वाले एरिया से ट्रैवल करने की कोशिश करें। साथ ही आसपास के किसी डॉक्टर से इलाज करवाना उचित रहेगा।
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