किशोरावस्था की तरह ही मेनोपॉज भी किसी महिला के जीवन में कई तरह की चुनौतियां लेकर आता है। हॉर्मोन में अचानक आए बदलाव, हॉट फ्लश- जैसी कई और भी समस्याएं हैं, जिसका इस स्थिति में महिलाओं को सामना करना पड़ता है।
अगर आपकी मम्मी की उम्र 45 से 55 वर्ष के बीच है और उन्हें लगातार 12 माह से पीरियड्स नहीं आए हैं, तो निश्चित ही वे मेनोपॉज हैं यानी रजोनिवृत्ति की ओर पहुंच गईं हैं।
मेनोपॉज की तरफ बढ़ने वाली महिलाओं के शरीर में एस्ट्रो़जेन हार्मोन का स्राव कम होने लगता है। इससे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के चक्रीय पैटर्न में व्यवधान पैदा होता है। जिसके कारण वजन बढ़ना, हॉट फ्लश और नींद संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
वेन स्टेट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, डेट्रायट द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया कि हॉट फ्लश, जरूरत से ज्यादा गर्मी लगना, पसीना आना और अंदर बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होना- रजोनिवृत्ति में एस्ट्रोजेन की कमी से जुड़ी समस्याएं हैं।
लेकिन शुक्र है, कि आप इस मुश्किल भरे समय को उनके लिए आसान बना सकती हैं, उनके आहार में कुछ खास तरह के भोजन को शामिल करके।
शरीर में एस्ट्रोजेन का गिरता स्तर फ्रैक्चर के खतरे को बढ़ा सकता है। जिनेवा यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एंड फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, स्विट्जरलैंड के अध्ययन में पाया गया कि प्रति दिन तीन डेयरी उत्पादों का सेवन करने से महिलाओं को हेल्दी बोन्स के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलती है। जिससे बोन हेल्थ में सुधार होता है और बाद में फ्रैक्चर के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
डेयरी उत्पादों, जिनमें दूध और पनीर आदि शामिल हैं, उनमें विटामिन के और डी के साथ ही कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम भी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध होता है। ये सभी पोषक तत्व हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है दूध और पनीर जैसे खाद्य पदार्थ जो अमीनो एसिड ग्लाइसिन की उच्च मात्रा रखते हैं, उनके सेवन से मेनोपॉज की स्थिति वाली महिलाओं को गहरी नींद लेने में मदद मिली।
सैल्मन और मैकेरल जैसी वसायुक्त मछलियों में ओमेगा -3 फैटी एसिड के रूप में स्वस्थ वसा मौजूद रहती है। जो रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं को फायदा पहुंचा सकती है।
ओक्लाहमा स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए के वैज्ञानिकों ने पाया कि पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को फ्लैक्ससीड के नियमित सेवन से लाभ होता है और साथ ही हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम भी कम करता है, क्योंकि इससे एलडीएल-सी और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
सैल्मन में ओमेगा 3 फैटी एसिड का स्तर काफी अच्छा होता है, जो रात में ज्यादा पसीना आने की समस्या और स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मददगार है।
साबुत अनाज फाइबर, थियामिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और पैंटोथेनिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि प्रति दिन 4.7 ग्राम साबुत अनाज में मौजूद फाइबर और कैलोरीज के सेवन से पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में अर्ली डेज के जोखिम को 17% तक कम किया जा सकता है।
मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं के लिए ब्रोकोली काफी फायदेमंद होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल सेंटर, यूएसए द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि ब्रोकोली के सेवन से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाता है, जो स्तन कैंसर के जोखिम को कम करता है। जिसका जोखिम अमूमन मेनोपॉज के बाद बढ़ जाता है। यह कैल्शियम और फाइबर का भी बेहतर स्रोत है। जिससे मेनोपॉज में सूजन और वजन बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।
सोयाबीन, छोले, मूंगफली, अंगूर, जामुन, ग्रीन और ब्लै्क टी जैसे खाद्य पदार्थ जिनमें फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं के लिए फायदेमंद पाए गए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाएं जो सोया सप्लीमेंट लेती हैं, उनके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर 14% अधिक होता है।
तो, अपनी मम्मी को अच्छी डाइट के लिए प्रेरित करें, ताकि वे कठिन समय का मुकाबला आसानी से कर सकें।