साल 2020 पूरे विश्व के लिए मुश्किल समय है जहां आने वाले समय को लेकर कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। ऐसे में खुद को स्वस्थ रखना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिये।
कोविड-19 महामारी ने हमें हमारे स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक बनाया है। भारत में ही नहीं विश्व भर में लोगों में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति आयी है। कोरोनावायरस शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है और श्वास तंत्र के बाद अगर कोई अंग सबसे जोखिम में है तो वह है आपका दिल। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस महामारी के दौर में भी आप कैसे अपने दिल का ख्याल रख सकती हैं।
कोविड-19 यूं तो सभी के लिए खतरनाक है, लेकिन कुछ लोगों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इसका जोखिम अधिक है। हृदय रोगी उस अधिक जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं।
यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन(CDC) ने पाया है कि जिन लोगों को दिल से जुड़ी कोई भी समस्या है, उनमें कोरोना वायरस 12 गुना अधिक जानलेवा साबित होता है। यही नहीं हृदय रोगियों में कोरोना वायरस से ग्रस्त होने पर हॉस्पिटलाइज होने की 6 गुना अधिक सम्भावना है।
JAMA कार्डियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित जर्मन स्टडी में पाया गया कि 60 प्रतिशत कोविड-19 के मरीजों में मायोकार्डियल इंफ्लामेशन यानी दिल की मांसपेशियों में सूजन थी। मायोकार्डियल इंफ्लामेशन में दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता है, जिसके कारण स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर जैसी जानलेवा समस्या होती हैं।
इस जोखिम से बचने का एक ही रास्ता है, समय-समय पर जांच करवाना।
यह चेकअप बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल स्तर की जांच करता है, जिससे कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का जोखिम मालूम किया जा सकता है। कॉलेस्ट्रॉल ही हमारे सभी हृदय सम्बंधी रोगों के लिए जिम्मेदार है।
ट्राइ ग्लिसराइड्स एक प्रकार का खतरनाक फैट होता है, जो खून में पाया जाता है। इस टेस्ट में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नापा जाता है।
लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन यानी LDL कोलेस्ट्रॉल की मदद से आपका हृदय रोगों का जोखिम पता किया जाता है। खासकर अगर आपकी फैमिली में किसी की इन बीमारियों की हिस्ट्री हो। LDL टेस्ट नियमित रूप से कराने से आप जेनेटिक दिल की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
यह एक कार्डिएक मार्कर है, जो हार्ट अटैक के जोखिम का पता लगाता है। दरअसल सीके MB एक व्यवस्थित ढंग से कम होता रहता है। तो अगर कम होने के बजाय यह बढ़ जाये तो समझ लें कि आपका दिल स्वस्थ नहीं है। इससे हार्ट फेल्योर का पता लगाया जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंयह एक ब्लड टेस्ट है जिसमें खून की क्लोटिंग यानी खून के थक्के का पता लगाया जाता हैं। डी डाइमर का स्तर पॉजिटिव होने का अर्थ है ब्लड क्लोटिंग की ज्यादा सम्भावना या जोखिम।
WHO का मानना है कि 80 प्रतिशत दिल के कारण से होने वाली मृत्युओं को रोका जा सकता है अगर आप जागरूक रहें और सही समय पर सही कदम उठाये।