आपकी आंखें होती हैं दुनिया देखने वाली खिड़की। इनकी मदद से ही आप रोज़मर्रा की जिंदगी में झांकते हैं। इसलिए इनकी देखभाल करना बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह भी सच है कि कई तरह की गंभीर और जीवनघाती रोगों के पहले लक्षण आंखों में दिखायी देने लगते हैं। इनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क पर बढ़ता दबाव और कई तरह के ट्यूमर्स शामिल हैं।
आंखों की देखभाल कैसे की जाए, यह समझना अपनी आंखों की सेहत में सुधार लाने की दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम होता है।
हालांकि उम्र से जुड़े बहुत से रोगों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन मोतियाबिंद और उम्र के साथ होने वाले मैक्यूलर डिजेनरेशन की रफ्तार को काफी कम किया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खुराक का सेवन करने से इस प्रकार की जटिलताओं को दूर रखना, इनकी बढ़ने की रफ्तार घटाने में मदद मिलती है। आंखों की सेहत के लिए सर्वश्रेष्ठ एंटीऑक्सीडेंट्स इस प्रकार हैं:
डायटरी ओमेगा-3 फैटी एसिड् से आंखों को शुष्क होने से बचाया जा सकता है, साथ ही मेइबोमियन ग्रंथि के रोग से भी बचाव मुमकिन है और इस तरह आंखों के लिए यह आरामदायक होता है।
जब आप अपनी आंखों को लेकर सतर्क होते हैं, तो आप नेत्रज्योति (Eyesight) में आने वाले किसी भी बदलाव को काफी शुरू में ही पकड़ लेते हैं। आपकी आंखों की ज्योति प्रभावित हुई है, इस ओर इशारा करने वाले कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
जब आप साफ-साफ देखने के लिए आंखों को तिरछा करते हैं, मिचमिचाते हैं
नज़दीक या दूर की चीज़ें धुंधली दिखायी देना
एक आंख बंद रखकर टीवी देखना
लगातार सिरदर्द और आंखों पर दबाव महसूस होना
बार-बार स्टाइज़ और आंखों में इंफेक्शन होना
आंखों के रोगों, जैसे कि रिफ्रेक्टिव एरर, जिसके लिए चश्मा लगाने की जरूरत होती है, आदि के शुरू में पकड़ में आने से बच्चों में एंब्लोपिया से बचाव हो सकता है। ग्लूकोमा का शुरू में पता लगने और समय पर इलाज शुरू करने से नेत्रज्योति में अपरिवर्तनीय हानि होने से बचा जा सकता है।
यूवी-ए और यूवी-बी किरणों से बचाव वाले सनग्लास का प्रयोग करने से उम्र संबंधी मैक्युलर डिजेनरेशन, मोतियाबिंद तथा टेरीजियम जैसे रोगों से बचाव में मदद मिलती है। इनकी वजह से चौंध, धूल-धक्कड़ और अन्य प्रदूषकों से भी आंखों का बचाव होता है।
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कस्टमाइज़ करेंआंखों की देखभाल के कुछ आसान उपाय इस प्रकार हैं:
चालीस साल से अधिक उम्र में साल में कम-से-कम एक बार, और चालीस से कम उम्र के हैं तो हर दूसरे साल डॉक्टर से अवश्य जांच करवाएं।
आंखों के रोगों के लक्षणों जैसे सिर दर्द, नेत्र ज्योति कम होना, धुंधला दिखायी देना, आंखों पर दबाव बढ़ना, आंखें लाल होना और आंखों में दर्द होना, जैसे लक्षणों को नज़रंदाज न करें।
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