Insulin Resistance : जानिए क्या है इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज से इसका क्या कनेक्शन है
हमारे देश में डायबिटीज के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं बेहद छोटी उम्र में ही लोगों का ब्लड शुगर लेवल अपनी सीमा क्रॉस कर रहा है। शरीर में ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना, केवल डायबिटीज का कारण नहीं बनता। बल्कि यह आपकी किडनी, लीवर की सेहत को प्रभावित कर सकता है। साथ ही साथ यह आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक होता है। इन्सुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है, जिसकी वजह से डायबिटीज तेजी से बढ़ रहा है।
आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें इंसुलिन से जुड़ी जरूरी जानकारी नहीं होती, इसलिए सबसे पहले इंसुलिन मैनेजमेंट के बारे में समझना जरूरी है। ताकि इन्सुलिन रेजिस्टेंस पर नियंत्रण पाया जा सके और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने से रोका जा सके। न्यूट्रीशनिस्ट और वेलनेस कोच यामिनी वार्ष्णेय ने इन्सुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज करने के कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (insulin resistance)।
पहले समझें क्या है इंसुलिन
इंसुलिन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो पेनक्रियाज द्वारा निर्मित होता है। पेनक्रियाज पेट के पीछे स्थित एक ग्रंथि है। यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने और पूरे शरीर में सेल्स द्वारा ग्लूकोज के अवशोषण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अब जानते हैं इन्सुलिन रेजिस्टेंस के बारे में (what is insulin resistance)
इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बॉडी सेल्स इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं। यह पेनक्रियाज द्वारा उत्पादित एक प्रकार का हार्मोन है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। इंसुलिन का मुख्य कार्य एनर्जी प्रोडक्शन, एनर्जी स्टोरेज के लिए सेल्स द्वारा ग्लूकोज (चीनी) के अवशोषण को सुविधाजनक बनाना है। जब किसी व्यक्ति को इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, तो उनके बॉडी सेल्स इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते और ग्लूकोज को अवशोषित नहीं कर पाते।
क्या हो सकते हैं इन्सुलिन रेजिस्टेंस के सामान्य लक्षण
वेट गेन खासकर विसरल फैट का बढ़ना
थकान महसूस होना
बार-बार भूख लगना
ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव आना
नींद की कमी
हाई ब्लड प्रेशर
बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना
फ्रिक्वेंट यूरिनेशन
बार-बार प्यास लगना
विजन संबंधी समस्या
महिला एवं पुरुष में रिप्रोडक्टिव संबंधी समस्याएं जैसे Pcos, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन लो लिबिडो
हाइपोग्लाइसीमिया और हाइपरग्लाइसीमिया की स्थिति
एक्ने, स्किन पैचेज और स्किन टैग्स जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं
असामान्य रूप से त्वचा पर हेयर ग्रोथ होना
जानें डायबिटीज और इन्सुलिन रेजिस्टेंस का कनेक्शन (connection between diabetes and insulin)
जब तक आपके पेनक्रियाज सेल्स की इंसुलिन के प्रति कमज़ोर प्रतिक्रिया को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बनाते हैं, तब तक आपका रक्त शर्करा स्तर स्वस्थ श्रेणी में रहेगा। यदि आपकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं, तो इससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है (हाइपरग्लाइसेमिया), जो समय के साथ प्रीडायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।
इन्सुलिन रेजिस्टेंस आपके ब्लड शुगर लेवल मैनेजमेंट और उन्हें स्वस्थ सीमा के भीतर रखना बहुत कठिन बना देता है। यह लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा और A1C स्तरों को भी जन्म दे सकता है, जिससे डायबिटीज जैसी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
इंसुलिन प्रतिरोध के लिए आपको अधिक इंसुलिन लेने की आवश्यकता होगी (यदि आप बाहर से इंसुलिन लेती हैं) या आपके शरीर को आपके द्वारा प्रतिदिन खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए अधिक इंसुलिन प्रोड्यूस करना होगा। इससे वजन बढ़ जाता है, वहीं डायबिटीज को मैनेज करना अधिक मुश्किल हो सकता है।
जानें इन्सुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज करने के टिप्स (How to reverse insulin resistance)
1. डाइट मैनेजमेंट (diet management)
साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, हेल्दी फैट और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार पर ध्यान दें। वहीं शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित रखें, इस प्रकार ब्लड शुगर के स्तर को प्रबंधित करने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
2. नियमित एक्सरसाइज करें (regular exercise)
नियमित शारीरिक गतिविधियों में भाग लें, जिसमें एरोबिक व्यायाम (जैसे चलना या साइकिल चलाना) और प्रतिरोध प्रशिक्षण (जैसे वजन उठाना) दोनों शामिल हैं। व्यायाम इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने और ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है।
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3. वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें (weight management)
वजन कम करना, या वेट मैनेजमेंट पर ध्यान देना विशेष रूप से पेट के आसपास, इंसुलिन सेंसटिविटी को काफी हद तक बढ़ा सकता है। वेट लॉस के शुरुआत से ही इन्सुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिलता है।
4. पर्याप्त नींद लें और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान दें (healthy sleep and stress management)
यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है, की आप हर रोज कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद ले रहे हैं। इसके साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक जैसे कि माइंडफुलनेस, मेडिटेशन या योग का अभ्यास करें। नींद की कमी और क्रॉनिक स्ट्रेस दोनों ही इंसुलिन संवेदनशीलता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
5. सूरज की रोशनी में समय बिताएं (sunlight)
सनलाइट के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी संश्लेषण शुरू होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार विटामिन डी की कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। इसलिए विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन के साथ-साथ कुछ समय सूरज की किरणों में बिताए, जिससे कि आपको विटामिन डी की कमी न हो
6. ग्रीन टी का करें सेवन (Green tea)
ग्रीन टी में EGCG होता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाला एक कंपाउंड है। सोने से पहले एक कप ग्रीन टी का सेवन इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करता है और आपके ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखता है। वहीं इसके सेवन से डायबिटीज का खतरा काफी हद तक काम हो जाता है।
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