इन दिनों 40 साल या उससे भी कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने की अनेक घटनाएं सामने आ रही हैं। हार्ट अटैक की खबरें हमें इस चिंता में दाल देती हैं कि हम फिट हैं या नहीं? विशेषज्ञ और शोध बताते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली से हार्ट डिजीज के खतरे को ताला जा सकता है। हेल्दी लाइफस्टाइल में भोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि काम की व्यस्तता के कारण हम में से ज्यादातर लोग रेडी-टू-ईट और पैकेज्ड फ़ूड पर निर्भर रहने लगे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फ़ूड में ही सबसे अधिक पाम ऑयल मौजूद होते हैं। कई अध्ययन यह साबित कर चुके हैं कि पाम ऑयल और हृदय रोग के बीच संबंध है। आइये जानते हैं कि पाम आयल क्या है और यह हृदय रोग के जोखिम को (Palm oil increase heart disease risks) कैसे बढ़ा देता है।
वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ कार्डियोलोजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, पाम आयल, पाम कर्नेल आयल, और कोकोनट आयल में सैचुरेटेड फैट की मात्रा सबसे अधिक होती है। यह लंबे समय से हृदय रोग से जुड़ा हुआ है। संतृप्त वसा बैड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL Cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड्स को बढ़ाती है। ये दोनों हृदय रोग के लिए जोखिम कारक हैं।
पाम आयल 50% संतृप्त है। इस में पाम कर्नेल तेल और नारियल तेल की तुलना में अधिक अनुकूल फैटी एसिड संरचना होती है। ये 85% से अधिक सैचुरेटेड होते हैं। सामान्य तौर पर संतृप्त वसा की मात्रा जितनी अधिक होगी, कमरे के तापमान पर वसा उतनी ही अधिक ठोस होगी। पाम आयल कमरे के तापमान पर सेमी सॉलिड के रूप में होता है। इसे खाना पकाने के फ्लूइड आयल के रूप में संसाधित किया जाता है।
यह तेल पाम यानी ताड़ के गूदेदार फल से निकाला जाता है। यह कमरे के तापमान पर सेमी-सॉलिड होता है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ कार्डियोलोजी के अध्ययन के अनुसार, भारत दुनिया में पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक है। यदि लेबल को ध्यान से पढ़ा जाए, तो अधिकांश फास्ट फूड, चिप्स, कुकीज़, बिस्कुट में यह तेल मौजूद है। भारत में पाम तेल का उपयोग सस्ता है। इसलिए यह उत्पादन लागत कम करता है। विशेषज्ञ पाम तेल, पामोलीन तेल या पामिटिक एसिड वाले प्रोडक्ट से बचने की सलाह देते हैं।
इसमें 50 प्रतिशत ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं, जो स्ट्रोक और दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। पाम ऑयल के नियमित सेवन से आर्टरी सख्त और मोटी हो जाती हैं। इससे हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। पाम ऑयल के संतृप्त वसा के नियमित सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
हाई स्मोकिंग पॉइंट के कारण इसका व्यापक रूप से खाना पकाने के साथ-साथ कुकीज़, मफिन, चॉकलेट, मार्जरीन आदि में भी उपयोग किया जाता है। इसलिए यह हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाता है। इसमें लगभग 34 प्रतिशत संतृप्त वसा होती है, जबकि ऑलिव आयल में इसकी मात्रा आधे से भी कम होती है।
हमेशा किसी भी फ़ूड, जिनमें पाम आयल मौजूद रहता है, उसके प्रति सतर्क रहें। पैकेट पर दर्ज इनग्रीडीएंट को ध्यान से पढ़ें। किसी भी प्रकार के क्रिस्प पैकेज्ड फ़ूड खाने से पहले जांच लें कि एक पोर्शन खाने से कितना पाम आयल आपके शरीर में गया। बाहर के पैकेज्ड फ़ूड खाने की बजाय घर में तैयार भोजन खाने की कोशिश करें।
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