अगर आप लंबे समय से हार्मोनल असंतुलन के कारण कई तरह की बीमारियों जैसे पीसीओडी, थायराइड और डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता हैं। हार्मोन इम्बैलेंस होने के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं जैसे तनाव, नींद की कमी, खराब पाचन-तंत्र, थकान, ज्यादा पसीना आना, मोटापा और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं तो जैसे बनी ही रहती हैं। इसकी वजह से मेटाबॉलिज्म, शारीरिक विकास, प्रजनन स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। महिलाओं में ये समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है इसकी वजह ( drinks to balance hormone) से उनके पीरियड्स भी असमय रहते है और वजन भी तेजी से बढ़ जाता हैं। कई लोग शुरुआत में हार्मोन इम्बैलेंस को हल्के में लेते हैं। जिस कारण आगे चलकर यह समस्या गंभीर हो जाती है।
कोकून हॉस्पिटल जयपुर की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉ.निशा शर्मा मंगल बताती हैं कि, महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस एक आम समस्या है जो कई कारणों से हो सकती है। इसके कारण माहवारी की अनियमितता, तनाव, थकान, वजन बढ़ना, और यौन इच्छा में कमी शामिल हो सकते हैं। हार्मोनल इंबैलेंस के कारणों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), थायराइड समस्याएं, ओवरी में गांठ और मेनोपॉज शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, खराब आहार, और व्यायाम की कमी भी हार्मोनल इंबैलेंस के कारण बन सकते हैं।
हार्मोनल इंबैलेंस का उपचार इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन मददगार हो सकते हैं। गंभीर मामलों में हार्मोनल दवाईयां, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी), जन्म नियंत्रण की गोलियां, या अन्य विशेषज्ञ उपचारों की आवश्यकता हो सकती है।
इसलिए, यदि आपको हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें ताकि उचित उपचार प्राप्त किया जा सके। इसके अलावा, नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप हार्मोनल इंबैलेंस को रोकने में मदद कर सकते हैं।
शरीर में उपस्थित एंडोक्राइन सिस्टम से हार्मोन का उत्पादन और स्त्राव दोनों होता है। हार्मोन एक तरह के रसायन हैं जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में या कहा जाए तो हर हिस्से में जाकर एक मेसेंजर यानी संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं। जब हार्मोन ( drinks to balance hormone) की मात्रा घट या बढ़ जाती है तो इसे हार्मोनल इंबैलेंस कहा जाता है। जिसका असर ये होता है कि शरीर पर कई समस्याएं दिखाई देने लगती हैं।
आज- कल लोगों की खराब लाइफस्टाइल इसका अहम कारण है। इसके साथ ही स्टेरॉयड दवाओं का सेवन, ज्यादा स्ट्रेस लेना आहार और शारीरिक गतिविधि में कमी जैसे कारणों की वजह से हार्मोन इम्बैलेंस होता है, यही वजह है कि जीवनशैली में कुछ बदलाव करके आप हार्मोन को सही कर सकती हैं। लेकिन कुछ हार्मोन का उपचार ( drinks to balance hormone) न किए जाएं तो गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि इसे समय रहते सही किया जाना बेहद जरूरी है।
शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन ज्यादा होने की वजह से एक्ने की समस्या हो सकती है। इसके कारण, स्किन में मौजूद ऑयल ग्लैंड्स के कारण स्किन के पोर्स क्लॉग हो जाते हैं। क्लॉग पोर्स में बैक्टिरीया का इन्फेक्शन हो जाता है, जिस कारण से एक्ने की समस्या होने लगती हैं।
हार्मोन्स में इंबैलेंस होने के कारण, कई बार बाल झड़ने की समस्या होती है। ये टेस्टोस्टेरोन के लेवल में बदलाव आने के कारण होती है। यह समस्या अधिकतर, बर्थ कंट्रोल पिल लेने, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज की वजह से होती है।
इनका प्रभाव हमारे मेटाबॉलिज्म पर भी होता है। थायरॉइड हार्मोन, कोर्टिसोल और एस्ट्रोजन हार्मोन्स के असंतुलित होने की कारण कई बार हमारा वजन बढ़ने या फिर कम होने लगता है।
हार्मोन्स हमारे भूख को भी कंट्रोल करते हैं। लेप्टिन और घ्रेलिन हार्मोन्स में अगर बदलाव होता है तो अधिक भूख लगने या कम भूख लगने की परेशानी का सामना करना पड़ता है। वजन घटने या अधिक होने का ये भी एक कारण हो सकता है।
हार्मोन को बैलेंस करने के लिए नींबू पानी पिया ( drinks to balance hormone) जा सकता है। नींबू पानी विटामिन सी और कई पोषक तत्व से भरपूर होता है। इसको पीने से बॉडी की सूजन को कम करने या दूर करने के साथ इम्यूनिटी भी मजबूत करता है। इसको पीने से आपका पाचन-तंत्र मजबूत होने के साथ एनर्जी भी बनी रहती है। इसमें पाए जाने वाले ग्लूकोज और लेप्टिन तत्व हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं। नींबू- पानी बनाने के लिए 1 गिलास गर्म पानी में 1 नींबू का रस निचोड़ लें। इस पानी को सुबह खाली पेट भी पिया जा सकता है।
ग्रीन टी की सहायता से भी आप अपने हार्मोन को बैलेंस कर सकती हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स हार्मोन को बैलेंस करने में सहायता करते हैं। इसको पीने से वजन कम होने के साथ-साथ शुगर लेवल कंट्रोल होता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या भी ठीक होती है।
हार्मोन को बैलेंस करने के लिए गुड़हल की चाय बेहद फायदेमंद ( drinks to balance hormone) होती है। इसे पीने से वजन कम होने के साथ-साथ ब्लड शुगर लेवल भी कम होता है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेट्स तनाव को कम करने और हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिलती है।
हल्दी वाला दूध शरीर में होने वाली कई समस्याओं को दूर करता है। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में सूजन कम करने में मददगार हैं। इसके सेवन से सेरोटोनिन और डोपामाइन हार्मोन का उत्पादन बढ़ता हैं, जो नींद को बढ़ावा देता है। इसको बनाने के लिए 1 गिलास दूध में 1/3 चम्मच हल्दी, अदरक और इलायची को डालकर कुछ देर दूध को पकने दें। अब इसका सेवन गुनगुना होने पर करें।
इसके सेवन से भी हार्मोन को बैलेंस ( drinks to balance hormone) करने में सहायता होती है। इसे बनाने के लिए 1 गिलास गुनगुना पानी लें अब इसमें 1 ढक्कन सेब के सिरके को मिलाकर पी लें। ये वजन को कम करने के साथ, डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायता करते हैं और पीसीओएस की समस्या से राहत दिलाने में सहायता करते हैं।
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