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World Homeopathy Day: एलोपैथी की दुश्मन नहीं है होमियोपैथी, यहां जानिए इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति के फायदे

तेज़ दर्द से बचने के लिए पेनकिलर से आराम तो अवश्य मिलता है, मगर समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। वहीं होमियोपैथी हर तरह की समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगर साबित होती है। फिर चाहे कोई बच्चा हो या बुजुर्ग। हर किसी के लिए होमियोपैथी का इलाज कारगर साबित होता है।
Updated On: 9 Apr 2025, 04:46 pm IST
इनपुट फ्राॅम
वायरल और लाइफस्टाइल डिसऑर्डर में होम्योपैथी फायदेमंद साबित होती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

समय के साथ शरीर कई तरह की समस्याओं की चपेट में आने लगता है। तुरंत इलाज और किसी भी प्रकार के दर्द से राहत पाने के लिए अधिकतर लोग एलोपैथी को ही विकल्प के तौर पर चुनते हैं। पेनकिलर से आराम तो अवश्य मिलता है, मगर समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। वहीं होमियोपैथी हर तरह की समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगर साबित होती है। फिर चाहे कोई बच्चा हो या बुजुर्ग। हर किसी के लिए होमियोपैथी का इलाज कारगर साबित होता है। इसमें बारीक मीठी गोलियां जहां खाने में हल्की और आसान होती हैं, तो वहीं इसका शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नज़र नहीं आता है। मगर अधिकतर लोगों के जहन में यही सवाल उठता है कि क्या एलोपैथी दवाओं के साथ होमियोपैथी की गालियों को लिया जा सकता हैं। जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट।

वर्ल्ड होमियोपैथी डे 2025 (World Homeopathy Day 2025)

होमियोपैथी के फांउडर डॉ सेम्यूल हैनिमैन के जन्मदिवस पर हर 10 अप्रैल को वर्ल्ड होमियोपैथी डे (World homeopathy day) मनाया जाता है। दुनियाभर के लोग होमियोपैथी चिकित्सा पर विश्वास जता रहे हैं। दिनों दिन ये संख्या बढ़ रही है। चाहे ब्रोकाइटिस हो, स्किन संबधी समस्या हो या कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, लोग होमियोपैथी का लाभ उठा रहे हैं। ये न्यूनतम खुराक के सिद्धांत पर आधारित है। इस साल मनाए जाने वाले वर्ल्ड होमियोपैथी डे 2025 की थीम होमियोपैथी फॉर हेल्दियर फ्यूचर नेचुरल, सेफ और इफे्क्टिव है।

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में बीमारी के लक्षण को ही उपचार का आधार बनाया जाता हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे हुई होमियोपैथी की शुरूआत

होमियोपैथी प्लेसिबो इफ़ेक्ट पर आधारित है यानि आप इस पर जितना विश्वास करते है, ये उतनी ही असरदार होती चली जाती है। जहां एलोपैथी में दवाओं और सर्जरी की मदद से उपचार किया जाता है, तो वहीं होमियोपैथी में डिल्यूटिड सबस्टांस यानि तरल पदार्थों की मदद से इलाज किया जाता है। हांलाकि इस चिकित्सा पद्धति की शुरूआत डॉ सेम्यूल हैनिमैन ने की थी, उन्हें होमियोपैथी के फांउडर कहा जाता है।

नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ के अनुसार होम्योपैथिक प्रोडक्ट्स विभिन्न स्रोतों से बनाए जा सकते हैं, जिनमें पौधे, मिनरल्स और केमिकल्स शामिल हैं। इससे अस्थमा, खांसी जुकाम, मसल्स पेन, एलर्जी और कानों के संक्रमण को दूर किया जा सकता है।

होम्योपैथिक मेडिसिन ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

एक–दूसरे के दुश्मन नहीं है होमियोपैथी और एलोपैथी (Homeopathy and allopathy are not enemies)

इस बारे में डॉ बत्रा ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के फाउंडर और पद्मश्री से सम्मानित डॉ मुकेश बत्रा के अनुसार होमियोपैथी और एलोपेथी दवाएं एक दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। होमियोपैथी दवाओं का सेवन करने से किसी पारंपरिक चिकित्सा या एलोपैथिक दवाओं के असर पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वे लोग जो पहले से ब्लड प्रेशर, थायराइड, हृदय रोगों और डायबिटीज़ की दवाएं लेते हैं, उन्हें होमियोपैथी की दवाएं लने के लिए उसे बीच में छोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आप किसी समस्या के इलाज के लिए होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करना चाहते हैं, तो उससे पहले अपने डॉक्टर से एक बार संपर्क अवश्य करें।

यहां जानिए आपकी सेहत के लिए होमियोपैथी के फायदे (Benefits of homeopathy for health)

1. नेचुरल और सेफ

होम्योपैथी में नेचुरल सबस्टांस को तरल फॉर्म में इस्तेमल किया जाता है। बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और इसे आसानी से लिया जा सकता है। इसमें साइड इफ़ेक्ट के कम से कम जोखिम हैं, जिससे यह उपचार का एक आसान तरीका बन जाता है।

2. होलिस्टिक अप्रोच अपनाई जाती है

होम्योपैथी किसी समस्या के लक्षणों के अलावा ओवरऑल हेल्थ को फायदा पहुंचाती है। इससे शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को फायदा मिलता है। इसकी मदद से बीमारियों के मूल कारण को खोजकर लक्षणों को दूर किया जाता है।

3. किफ़ायती

होम्योपैथिक उपचार आम तौर पर पारंपरिक दवाओं की तुलना में सस्ते होते हैं। साथ ही, इसका मकसद केवल लक्षणों का नहीं बल्कि अंतर्निहित कारण का इलाज करना है। इससे स्वास्थ्य को कई ताभ मिलते हैं।

इस चिकित्सा पद्धति में न्यूनतम खुराक के सिद्धांत को अपनाया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

4. साइड इफेक्ट से बचाव

ये मानव निर्मित रसायनों की जगह नेचुरल हबर्स और मिनरल्स से तैयार की जाती हैं। दवाओं में लिक्विड फॉर्म में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन करने से शरीर पर किसी तरह की एलर्जी या साइड इफेक्ट का खतरा कम होने लगता है। इससे शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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