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एचएमपीवी से नहीं है घबराने की जरूरत, सीनियर वाइरोलॉजिस्ट बता रहे हैं इसके बारे में जरूरी तथ्य

कोविड महामारी से डरे हुए लोग एचएमपीवी वायरस के बारे में सुनते ही घबराने लगे हैं। हर दूसरे व्यक्ति को डर है कि कहीं फिर से वही हालात न हो जाएं, जिनकी बुरी याद अब भी साथ है। मगर घबराएं नहीं, एक सीनियर वाइरोलॉजिस्ट बता रहे हैं इसके बारे में सब कुछ।
सीनियर वाइरोलॉजिस्ट बता रहे हैं एचएमपीवी में मास्क पहनना है या नहीं । चित्र : हेल्थ शॉट्स
Updated On: 9 Jan 2025, 12:06 pm IST

अंदर क्या है

  • एचएमपीवी वायरस 
  • क्यों घबरा रहे हैं लोग?
  • क्या यह नया वायरस है? 
  • क्या भारत में पैर पसार रहा है एचएमपीवी वायरस?
  • क्या एचएमपीवी पर घबराने की जरूरत है?
  • क्यों अचानक इस वायरस पर बात हो रही है?
  • किन्हें है एचएमपीवी का ज्यादा जोखिम
  • कब पहनना है मास्क

तापमान लगातार गिर रहा है। उत्तर भारत के ज्यादातर स्कूलों में विंटर ब्रेक चल रहे हैं। यही ज्यादातर परिवारों के लिए घूमने और सैर-सपाटे का भी मौसम होता है। जबकि ठंड के कारण सर्दी–जुकाम–बुखार जैसी समस्याएं भी इस मौसम में आम होती हैं। मगर इस बार चीन से आने वाली खबरों ने उन सभी लोगों को डरा दिया है जिनके घर में छोटे बच्चे (HMPV in kids) हैं। एचएमपीवी वायरस अब सिर्फ चीन में ही नहीं, बल्कि भारत सही कई देशों में पांव पसार चुका है। क्या है यह वायरस और क्या आपको इससे डरने की जरूरत है या नहीं? यही सब जानने के लिए हमने सीनियर वाइरोलॉजिस्ट डॉ ईश्वर पी गिलादा से संपर्क किया।

डॉ. ईश्वर पी. गिलाडा एक सीनियर वाइरोलॉजिस्ट हैं और इस क्षेत्र में वे 45 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। डाॅ गिलाडा वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में एचआईवी एड्स के बारे में सबसे पहले चेतावनी जारी की थी। यह 1985 की बात है, और अगले साल उन्होंने मुंबई के सरकारी जे.जे. अस्पताल में भारत का पहला एड्स क्लिनिक ‘यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर’ शुरू किया। डॉ. गिलाडा एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं।

 

क्यों घबरा रहे हैं लोग

इससे पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियोज में अस्पतालों के बाहर बच्चों (HMPV in kids) और उनके पेरेंट्स की भीड़ नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि चीन में एचएमपीवी वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिसे एचएमपीवी आउटब्रेक कहा जा रहा है। यह रेस्पिरेटरी समस्याएं पैदा करने वाला वायरस है। जिससे नाक और गले में संक्रमण होने लगता है।

HMPV वायरस कई बीमारियों को जन्म देता है। चित्र – अडोबीस्टॉक

क्या यह नोवल वायरस है?

सीनियर वाइरोलॉजिस्ट डॉ गिलाडा कहते हैं कि यह नया वायरस नहीं है। इसलिए इसे लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत भी नहीं है। न ही कोरोना से इसकी तुलना करनी चाहिए। कोरोना अब भी मौजूद है, मगर बहुत माइल्ड है। उसका डेल्टा वेरिएंट ज्यादा खतरनाक था। जबकि एचएमपीवी उतना खतरनाक वायरस नहीं है। सबसे जरूरी बात कि यह कोई नया वायरस नहीं है। पिछले 50–60 वर्षों से यह मौजूद है।

क्या भारत में पैर पसार रहा है एचएमपीवी वायरस?

भारत में भी एचएमपीवी वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अलग–अलग स्वास्थ्य एजेंसियों से मिल रही रिपोर्ट में यह साफ हो चुका है कि एचएमपीवी वायरस भारत में दाखिल हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कर्नाटक के जिन दो बच्चों (HMPV in kids) में इस वायरस की पुष्टि हुई है, उनकी कोई इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।

क्या एचएमपीवी पर घबराने की जरूरत है?

डॉ गिलाडा कहते हैं कि इस वायरस से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। मगर हमें साफ–सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। यह वायरस असल में नया नहीं है। यह साठ से सत्तर साल पुराना वायरस है। यह फ्लू जैसा वायरस है, जो हमेशा सर्कुलेशन में रहता है। यानी सर्दी–गर्मी–बरसात हर मौसम में आता रहता है। इंफ्लुएंजा ए, बी, आरएसवी, माइक्रोप्लाज्मा, निमोनिया और ये (HMPV in kids), ये सभी साथ–साथ चलते हैं।

अभी तक एचएमपीवी के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। चित्र :अडोबीस्टॉक

क्या इसकी कोई वैक्सीन है?

हालांकि यह बरसों पुराना वायरस है, मगर अब तक हम इसकी जांच नहीं करते थे। क्योंकि इसकी जांच काफी महंगी है। दूसरी बात कि हमारे पास अब तक इसका कोई उपचार भी उपलब्ध नहीं है। इसकी कोई वैक्सीन हम अभी तक विकसित नहीं कर पाए हैं।

फ्लू की वैक्सीन एचएमपीवी वायरस से बचाव नहीं कर सकती। इसलिए टेस्ट नहीं होते थे और ये हमारे ध्यान में भी नहीं आता था। अब जब चीन में इसके (HMPV in kids) मामले इतनी तेजी से बड़े हैं तो पूरी दुनिया का ध्यान इस पर गया है। मगर मैं फिर कहूंगा कि इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।

किन्हें है एचएमपीवी का ज्यादा जोखिम

यह छोटे बच्चों (HMPV in kids) में, जिनकी इम्युनिटी अभी पूरी तरह बनी नहीं है उन्हें ज्यादा संक्रमित करता है। इसके अलावा बुजुर्ग में जिनकी इम्युनिटी खत्म होने लगी है, वे भी इसके शिकार हो सकते हैं। वह भी बहुत माइल्ड रेस्पिरेटरी समस्याओं के साथ। इसमें मौतें बहुत कम होती हैं। वेंटिलेटर पर जाने की जरूरत नहीं होती।

छोटे बच्चों को इसका जोखिम ज्यादा है। चित्र : अडोबीस्टॉक

आम लोगों को बिल्कुल भी पैनिक होने की जरूरत नहीं है। सतर्कता की जरूरत वास्तव में सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों के स्तर पर है। आम जन को न तो घबराने की जरूरत है और न ही हर समय मास्क पहनने की जरूरत है।

कब पहनना है मास्क

डॉ गिलाडा कहते हैं कि सतर्कता जरूरी है, मगर हर समय मास्क पहनने की जरूरत अभी नहीं है। हां, अगर आपके घर या आसपास किसी को जुकाम जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तब मास्क लगाना जरूरी है। छींकने और खांसने के दौरान दूर रहना और मुंह पर हाथ रखना जरूरी है।

बाहर से आकर हाथ धोना एक जरूरी स्वच्छता नियम है। हाथ मिलाने से भी बचना चाहिए, हमारी संस्कृति नमस्ते करने की है। इसी को हमें फॉलो करना चाहिए। इससे हम स्वस्थ भी रह सकते हैं और वायरस से भी बचते हैं।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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