अगर बच्चा ज्यादा गुस्सैल और चिड़चिड़ा होता जा रहा है, तो ये सतर्क होने का समय है

इस महामारी का असर सभी पर देखने को मिल रहा है और दुर्भाग्य से बच्चे भी इससे बच नहीं पाए हैं। बच्चों को तनाव और चिड़चिड़ेपन से दूर रखने के लिए आपको उन पर खास ध्यान देना होगा।
बच्चों में बढ़ता गुस्सा और चिड़चिड़ापन कोविड महामारी का भी असर हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
बच्चों में बढ़ता गुस्सा और चिड़चिड़ापन कोविड महामारी का भी असर हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
Dr Vikas Satwik Updated: 17 Oct 2023, 05:04 pm IST
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हममें से किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि महामारी जैसी कोई चीज आ जाएगी और हमारी दुनिया पूरी बदल जाएगी। हम में से अधिकांश लोग चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, चाहे वह कोविड -19 से निपटना हो, वित्तीय चुनौतियां हों, भोजन / आश्रय / रोजगार / सामाजिक संपर्क आदि की कमी हो। इसके अलावा, पूरे दिन समाचार में सिर्फ कोरोना बारे में दिखाया जाता है और ये एक चिंता का विषय है।

दूसरी लहर ने हमें और भी अधिक प्रभावित किया है, क्योंकि हममें से ज्यादातर ने या तो सीधे तौर पर कोरोना के प्रकोप का सामना किया है या अपने किसी प्रियजन को इससे गुजरते देखा है। चीजों को और भी अधिक तनावपूर्ण बनाने के लिए, भारत में एक नया संस्करण पाया गया है, जिसे डब्ल्यूएचओ द्वारा ‘चिंता के प्रकार(variant of concern)’ के रूप में लेबल किया गया है।

क्या बच्चे भी एंग्जायटी से पीड़ित हैं?

अधिकांश वयस्क अपने स्वयं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ये मानते हुए कि बच्चे सुरक्षित हैं। क्योंकि वे बाहर नहीं निकलते और उनकी मानसिक कंडीशनिंग वास्तव में कोविड -19 से प्रभावित नहीं होती।

कोविड-19 से पनपे हालात में बच्चे भी तनाव और एंग्जायटी के शिकार हो रहे हैं। चित्र: शटरस्टॉक
कोविड-19 से पनपे हालात में बच्चे भी तनाव और एंग्जायटी के शिकार हो रहे हैं। चित्र: शटरस्टॉक

हालांकि, ये वयस्कों (adults) की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों का ध्यान रखें। दूसरी ओर, बच्चों के पास ऐसा कोई सहारा नहीं है कि वे खुद एंग्जायटी के अंधेरे से बाहर आ पाएं। एंग्जायटी उन्हें चिंतित कर सकती है और वे दुनिया की नकारात्मक छवि के साथ बड़े हो सकते हैं। वे अपने आप में रहते हैं और हमेशा चिंता, तनाव, अवसाद और असुरक्षा की भावना उनमें रहती हैं।

तनाव से प्रभावित हो रहे है बच्चे

जब आप किसी महामारी से निपटते हैं, तो एक निश्चित मात्रा में चिंता महसूस करना सामान्य बात है। तनाव का बढ़ा हुआ स्तर बच्चे की किसी भी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति (underlying medical condition) और शारीरिक मुद्दों (physical issues) को खराब कर सकता है। उन्हें रेसिंग विचारों का सामना करना पड़ सकता है। यानी एक ही विषय पर सोचते रहना, या वे एक विचार की कई अलग-अलग तरह से सोच सकते हैं।

बढ़ा हुआ गुस्सा हो सकता है संकेत

अगर आपका बच्चा इन दिनों बहुत गुस्सा करने लगा है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि उनमें एंग्जायटी बढ़ रही है। इससे नए भय/भय का विकास हो सकता है। एक और परेशानी जिसका बच्चों को सामना करना पड़ सकता है वह है रात को सोने में परेशानी। क्योंकि बच्चे इन दिनों सामाजिक संपर्क से दूर हैं, तो उनमें खाने, खेलने या बातचीत करने की कोई इच्छा नहीं होती है।

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लॉकडाउन के दौरान बच्‍चों का पोषण प्रभावित हुआ है। चित्र : शटरस्‍टॉक
लॉकडाउन के दौरान बच्‍चों का पोषण प्रभावित हुआ है। चित्र : शटरस्‍टॉक

माता-पिता तनाव के स्तर को कम करने में कैसे मदद कर सकते हैं?

प्रत्येक बच्चा अपनी परिपक्वता के स्तर के अनुसार एक निश्चित तरीके से प्रतिक्रिया करता है। तो, बच्चे या तो अपने माता-पिता से अत्यधिक जुड़ने लगते हैं या खुद को अलग कर लेते हैं। इसके अलावा, आपके बच्चे की चिंता को हल करने का कोई सीधा तरीका नहीं है। हालांकि, माता-पिता के रूप में, हम मदद करने के लिए कुछ चीजें कर सकते हैं जैसे:

1. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, वर्तमान स्थिति के बारे में अपनी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने के तरीके खोजें, क्योंकि बच्चे अपने आस-पास के लोगों से मूड को समझते हैं।

2. अपने बच्चे की भावनाओं को स्वीकार करें और कभी भी ऐसे विषयों पर चर्चा न करें, जो उन्हे और भी अधिक चिंता में डालते हैं। ये उनकी भावनाओं को स्वीकार करने में मदद करेगा।

3. उन्हें बताएं कि उनके जीवन में कुछ चीजें उनके नियंत्रण से बाहर हैं। उन्हें सिखाएं कि उन समस्याओं/स्थितियों को कैसे हल किया जाए, जिनके बारे में कुछ किया जा सकता है और उन पहलुओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो उनके नियंत्रण से बाहर हैं।

4. उनका सोशल मीडिया पर स्क्रीन टाइम कम करें, क्योंकि सोशल मीडिया पर सूचना का ज्यादा एक्सपोजर उनके लिए हानिकारक हो सकता है। साथ ही, उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें, उनकी रुचियों और शौक का पता लगाएं और उनके साथ खेलना शुरू करें।

5. सुनिश्चित करें कि नियमित व्यायाम और नींद की आवश्यकताएं पूरी हों। उनके लिए एक दिनचर्या तय करें, क्योंकि इससे उन्हें अन्य चीजों से अपना ध्यान हटाने में मदद मिलेगी। मस्ती, आराम और उत्पादकता (Productivity) के बीच संतुलन खोजने में उनकी मदद करें।

अपने बच्चों के साथ नियमित व्यायाम करें। चित्र : शटरस्टॉक
अपने बच्चों के साथ नियमित व्यायाम करें। चित्र : शटरस्टॉक

6. यदि आवश्यक हो, तो बाल मनोवैज्ञानिक (child psychologist) से परामर्श लें। ऐसा करने से यह स्पष्ट होगा कि बच्चा किस दौर से गुजर रहा है।

ये कुछ टिप्स आपके बच्चे को महामारी के कारण होने वाली चिंता और तनाव से निपटने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, अपने बच्चे से सक्रिय रूप से बात करना याद रखें और उन्हें बताएं कि आप हमेशा उनके साथ है।

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Dr Vikas Satwik, Consultant Paediatrician & Neonatologist, Motherhood Hospitals, Bangalore ...और पढ़ें

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