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बच्चों में बढ़ते जा रहे हैं डायबिटीज के मामले, जानिए वे कैसे कर सकते हैं इंसुलिन पंप का इस्तेमाल 

एसएल रहेजा अस्पताल, मुंबई में सीनियर डायबेटोलॉजिस्ट और डायबेटिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी डॉ. अनिल भोरास्कर बता रहे हैं किशोरों और बच्चों को इंसुलिन पंप उपयोग करने का सही तरीका।
Updated On: 20 Oct 2023, 09:23 am IST
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insulin pump
इंसुलिन पंप का इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी की जरूरत पड़ती है। चित्र: शटरस्टॉक

भारत में जांच के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 98,000 बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस है, जो उनके स्वास्थ्य को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। डायबिटीज को जानने-समझने के लिए इंसुलिन की भूमिका और कार्य को समझना महत्वपूर्ण है। यह मानव शरीर को अपने सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक हार्मोन है। जब कोई व्यक्ति भोजन करता है, तो कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में टूट जाता है और इंसुलिन कोशिकाओं को शरीर से इस ग्लूकोज को लेने और इसे ऊर्जा में बदलने में मदद करता है।

क्या है जुवेनाइल डायबिटीज

 जब किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज होता है, तो शरीर में इम्यून सिस्टम पैन्क्रियाज की इंसुलिन का प्रोडक्शन करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इंसुलिन कम होने से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिससे टाइप 1 डायबिटीज हो जाता है। डायबिटीज के इस रूप को जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है, क्योंकि आमतौर पर यह बच्चों और किशोरों में ही पाया जाता है। हालांकि कभी-कभी वयस्क भी इससे प्रभावित हो जाते हैं।

चूंकि डायबिटीज को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना और लाइफ स्टाइल में बदलाव करना जरूरी होता है, ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा न हो। इंसुलिन पंप के माध्यम से इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करने का एक तरीका है। मधुमेह रोगियों द्वारा अपने शरीर में इंसुलिन पहुंचाने के लिए इंसुलिन पंप जैसे उपकरण का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर छोटे आकार में उपलब्ध, ये कम्प्यूटरीकृत उपकरण पूर्व-प्रोग्राम किए गए शेड्यूल पर काम करते हैं। इसे बच्चे भी आजमाते हैं।

इंसुलिन पंप किस तरह काम करता है

इंसुलिन पंप एक ऐसा उपकरण है, जो पैंक्रियाज के कार्यों को संपन्न करता है। ब्लड शुगर के स्तर में परिवर्तन होने पर पैंक्रियाज इंसुलिन छोड़ता है, लेकिन डायबिटीज पेशेंट में यह प्रतिक्रिया नहीं होती है। यही कारण है कि इंसुलिन पंप मधुमेह रोगियों को आवश्यक इंसुलिन प्राप्त करने में मदद करता है, ताकि उनका शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित कर सके।

इंसुलिन पंप एक ट्यूब के माध्यम से इंसुलिन की एक विशेष मात्रा को वितरित करके कार्य करता है, जिसे कैनुला कहा जाता है। केनुला को स्किन के टॉप लेयर के नीचे डाला जाता है। हालांकि डिवाइस द्वारा दिए गए इंसुलिन की मात्रा विशेषज्ञ द्वारा तय की जाती है, जो प्रत्येक रोगी की स्थिति और इंसुलिन आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित होती है। चूंकि डायबिटीज प्रत्येक रोगी को अलग तरह से प्रभावित करता है, इसलिए उन्हें आवश्यक इंसुलिन की मात्रा भी उसी के अनुसार अलग-अलग दी जाती है।

इंसुलिन की सही मात्रा की जांच हर रोज है जरूरी

यह जानना भी आवश्यक है कि इंसुलिन पंप प्रत्येक रोगी को प्रत्येक डिवाइस के प्रोग्राम के अनुसार इंसुलिन प्रदान करते हैं। चूंकि उपकरण स्वतंत्र रूप से समायोजित नहीं हो सकते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से उनकी समीक्षा की जानी चाहिए कि इंसुलिन की सही मात्रा दी जा रही है या नहीं। इसके अलावा, इन उपकरणों को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए रोगी को विशेष प्रशिक्षण की भी आवश्यकता होती है।

बच्चों के लिए इंसुलिन पंप का उपयोग कैसे करें

बच्चों के लिए इंसुलिन पंप का उपयोग करने से पहले उन्हें इस डिवाइस के सही तरह से उपयोग करना सिखाना महत्वपूर्ण है। इसे इस तरह से संभाला जाए कि यह खराब न होने पाए। इसके इस्तेमाल से पहले कुछ टिप्स को जानना जरूरी है।

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  1. सीधे संपर्क से बचें

सुनिश्चित करें कि इंसुलिन पंप के बटन शरीर के सीधे संपर्क में नहीं हों, ताकि शरीर की नमी उन पर न लग पाए। बेहतर सुविधा के लिए डिवाइस को वेस्टबैंड या बेल्ट पर क्लिप किया जा सकता है।

  1. सुनिश्चित करें कि यह जुड़ा हुआ है

हमेशा सुनिश्चित करें कि इंसुलिन पंप जुड़ा हुआ है। जब पानी में कोई एक्टिविटी करें या शॉवर के नीचे जाने से पहले इसे हटा लें। बच्चे को बताएं कि यह एक डिवाएस है न कि खिलौना। खिलौने की तरह रफ यूज करने पर यह खराब हो सकता है।

  1. स्वच्छता बनाए रखें

इंसुलिन पंप को संभालने से पहले अपने हाथों को साफ करें। लोशन, सनस्क्रीन, क्रीम, इनसेक्ट रिपेलेंट और ऑर्गेनिक क्लीनिंग एजेंटों के सभी निशान हटा दें। पंप का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को फिर से धोना सुनिश्चित करें।

  1. पंप को साफ करें

पंप को साफ करने के लिए माइल्ड डिटर्जेंट और पानी का इस्तेमाल करें। इसे बहते पानी के नीचे न रखें और न ही इसे किसी फ्लूइड में डुबोएं। आप अल्कोहल वाइप्स का उपयोग कर सकती हैं। इसे साफ करने के लिए किसी भी ग्लास क्लीनर या हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग न करें।

  1. उन्हें अन्य मशीनों के करीब ले जाने से बचें

एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन और एयरपोर्ट स्कैनर के संपर्क में आने पर इंसुलिन पंप का कामकाज प्रभावित हो सकता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि जब आप ऐसी जगहों पर हों तो अपने पंप को डिस्कनेक्ट कर दें।

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बच्चों में डायबिटीज होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए उन्हें इंसुलिन पंप के बारे में जानना चाहिए। चित्र: शटरस्टॉक

इसके अलावा, डिवाइस को कभी भी एक्स-रे या एमआरआई मशीन से न गुजारें, क्योंकि इससे यह खराग हो सकता है।

  1. डिवाइस को सही जगह पर स्टोर करें

डिवाइस को ठंडी और ड्राई जगह पर स्टोर करें, ताकि यह लंबे समय तक ठीक से काम करे। सभी चिकित्सा उपकरणों को कमरे के तापमान पर रखा जाना चाहिए और यदि बाहर ले जाती हैं, तो उन्हें एक बैग या तौलिया में रखें जहां यह गर्म रहे।

यह भी पढ़ें:-बच्चों के लिए घातक हो सकती है टाइप 1 डायबिटीज, जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव 

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