हमारा शरीर किसी मशीनरी से कम नहीं है। हम अपना दिनभर का काम करने, खाना खाने, चलने – फिरने और लिखने के लिए अपनी मसल्स का इस्तेमाल करते हैं। हमें पता नहीं लगता है है लेकिन, बिना मसल्स के हमारा शरीर बेकार है। बिना इनकी मदद के हम कोई भी काम नहीं कर सकते हैं। हमारे हर काम में हमारी मसल्स हमारा साथ देती हैं, मगर कुछ लोगों के लिए यह इतना आसान नहीं है।
हम बात कर रहे हैं ऐसे लोग की जिनकी मसल्स उनके दैनिक कार्यों में उनका साथ नहीं देती हैं। ऐसे लोग स्टिफ पर्सन सिंड्रोम (stiff person syndrome) नामक बीमारी से ग्रस्त होते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए छोटे-छोटे काम करना भी बहुत भारी पड़ सकता है।
इस बीमारी के बारे में और जानने के लिए हमने मसीना हॉस्पिटल, मुंबई के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट और मूवमेंट डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट, डॉ. सैयद मोईद जफर से बात। तो चलिये उनसे जानते हैं स्टिफ पर्सन सिंड्रोम के बारे में
डॉ. सैयद के अनुसार स्टिफ पर्सन एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की अपनी इम्युनिटी ही शरीर पर हमला करती है। इसका कोई विशेष कारण नहीं होता है और इसलिए इसे रोका भी नहीं जा सकता है। इसके कारण मासपेशियों में अकड़न पैदा होने लगती है। इसकी वजह से बीपी भी बढ़ जाता है और हार्ट रेट बढ़ जाता है। यह सिंड्रोम पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है।
यह अन्य ऑटोम्यून विकारों से जुड़ा हुआ है- जैसे टाइप 1 मधुमेह मेलिटस, थायराइड रोग और विटिलिगो। अच्छी बात यह है कि इस बीमारी का इलाज दवाइयों से संभव है।
क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार इस सिंड्रोम में मासपेशियों में असहनीय दर्द और एंठन होती है। यह पर्यावरणीय बदलाव – जैसे तेज शोर या इमोशनल स्ट्रेस की वजह से भी ट्रिगर हो सकता है। इसमें मांसपेशियों में ऐंठन इतनी गंभीर हो सकती है कि वे व्यक्ति को नीचे गिरा सकती है।
इन लक्षणों से चलने में कठिनाई हो सकती है और समय के साथ व्यक्ति विकलांगता भी हो सकता है। स्टिफ पर्सन सिंड्रोम वाले लोगों में भी अवसाद और एंग्जाइटी के लक्षण होने की संभावना अधिक होती है। अधिकांश लोग 30 से 60 वर्ष की आयु के बीच लक्षणों का अनुभव करना शुरू करते हैं।
हालांकि स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का कारण अभी तक किसी को पता नहीं है। मगर यह एक ऑटोइम्यून रीएक्शन के कारण हो सकता है। इस सिंड्रोम की वजह से कई लोगों में टाइप 1 डायबिटीज़, विटिलिगो और ब्लड थिनिंग हो सकती है। कुछ प्रकार के कैंसर वाले लोगों में भी यह अधिक आम है, जिनमें स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, गुर्दे का कैंसर, थायरॉयड कैंसर और पेट का कैंसर शामिल हैं।
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। जब डॉक्टर इस स्थिति वाले रोगियों का इलाज करते हैं, तो वे, मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाइयों जैसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं। इससे दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा ट्रीटमेंट के लिए, मालिश,वॉटर थेरेपी, हीट थेरेपी, एक्यूपंक्चर और अन्य चीज़ें शामिल हैं।
इसकी वजह से लोगों को मासिक स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे –
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंचिंता और अवसाद
गंभीर मांसपेशियों में एंठन
बार-बार गिरना
अत्यधिक पसीना आना (हाइपरहाइड्रोसिस)।
वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं कि स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का कारण क्या है। इसलिए इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है।
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