Intestinal worms : पेट में दर्द होना या भूख की कमी हो सकते हैं पेट में कीड़े होने के संकेत, जानिए कैसे करना है इसका उपचार
छोटे बच्चों का कीड़े के संक्रमण से ग्रस्त होना आम बात है, इन्हें पिनवार्म या थ्रेडवार्म भी कहा जाता है। क्योंकि यह धागे जैसे दिखने वाले कीड़े होते हैं, जो संक्रमण होने पर लगातार बढ़ते चले जाते है। बड़े बच्चों में इसके संक्रमण का पता जल्दी चल जाता है, लेकिन छोटे बच्चों या शिशुओं में समस्या का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। जबकि पेट में कीड़े होने पर न केवल बच्चा परेशान रहता है, बल्कि उसकी ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ता है। आइए जानें पेट में कीड़े (Intestinal worms) होने की समस्या के लक्षण और उपचार।
बच्चों में कैसे हो जाती है यह समस्या?
छोटे बच्चों को मुह में हाथ डालने की आदत होती है, जिसके जरिए उनके नाखून या हाथ के जरिये कीड़े पेट में चले जाते हैं। इसके अलावा गंदे खिलौने मुह में लेना या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बच्चों को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिन छोटे बच्चों को मिट्टी खाने की आदत होती है, उन्हें भी पेट में कीड़े होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक बड़ों और बच्चों में इम्युनिटी कमजोर होना या दूसरों से संक्रमण फैलना इसका मुख्य कारण हो सकता है। कभी-कभी दूषित पानी या भोजन भी पेट में कीड़े होने का कारण बनता है। इसलिए यह जरूरी है कि बेबी के फूड और हाइजीन दोनों का बहुत ज्यादा ख्याल रखें।
ये लक्षण बताते हैं कि बच्चे के पेट में हो गए हैं कीड़े
यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के मुताबिक पेट में कीड़े होने पर छोटे बच्चों में इस प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं –
1. पेट में दर्द
बड़े बच्चों की जगह छोटे बच्चों में पेट में कीड़े होने की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे में बच्चों को पेट में लगातार दर्द हो सकता है।
2. वजन कम होना
पेट में कीड़े होने पर बच्चे का वजन तेजी से गिरने लगेगा। ऐसे में बच्चे की हेल्दी ग्रोथ होनी मुश्किल हो जाती है।
3. खांसी या भूख की कमी
रिसर्च में यह भी पाया गया कि पेट में कीड़े होने पर कई बार बच्चे को खांसी भी हो सकती है। साथ ही बच्चे को भूख लगना भी बन्द हो जाती है।
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कस्टमाइज़ करें4. उल्टी आना
अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, तो बच्चों को उल्टी आने की समस्या भी हो सकती है।
5. पेट का टाइट होना
बच्चों के पेट में तेज दर्द होने के साथ पेट हार्ड भी हो जाता है। ऐसे में बच्चे को ब्लोटिंग की परेशानी भी हो जाती है।
इन लक्षणों के नजर आते ही जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पेट में कीड़े होने पर बच्चा उदास, कमजोर और थका हुआ रहने लगता है। जिसका असर उसकी मेंटल और फिजिकल ग्रोथ पर भी पड़ता है।
सही समय पर करवाएं सही ट्रीटमेंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य प्रदाताओं द्वारा समय-समय पर डिवॉर्मिंग के लिए आयोजन किए जाते हैं। जहां बच्चों को कीड़ा मुक्त करने की दवा पिलाई जाती है। ये एक ओरल डोज है, जो डॉक्टर के परामर्श पर आसानी से मिल सकती है।
यह समस्या इतनी आम है कि हर दूसरे बच्चे को इससे जूझना पड़ता है। जिसके लिए सरकार ने भी कई अहम कदम उठाए हैं। हर साल ‘नेशनल डीवॉर्मिंग डे’ मनाए जाने का लक्ष्य ही बच्चों को इस तरह की समस्याओं से बचाना है।
यह भारत सरकार द्वारा उठाया एक अहम कदम है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक बच्चें को पेट के कीड़े की समस्या से बचाना है। यह हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है। इस दौरान भारत सरकार द्वारा कैम्प लगवाए जाते हैं, जहां 1 से 19 साल के बच्चों को पेट में कीड़े होने से बचाने के लिए दवा पिलाई जाती है।
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