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Dream feed : क्या बेबी के लिए हेल्दी है ड्रीमफीड? एक पीडियाट्रीशियन से जानते हैं इसका जवाब

अधूरी नींद मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए रेड फ्लैग है। इसलिए कई बार मां बच्चे के उठने के समय का अंदाजा लगाकर उसे उठने से पहले ही फीड करवा देती है। जिसे ड्रीम फीड कहा जाता है। जानते हैं विस्तार से
Published On: 6 May 2024, 11:00 am IST
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Baby ko dream feed kaise karayein
बच्चे को हल्के से नींद से जगाकर दूध पिलाया जाता है, जिसके बाद अधिकतर बच्चे दोबारा से सो जाते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

बच्चे के जन्म से एक साल तक बच्चों को सोते-सोते भी भूख लगती है और वह उठकर रोने लगता है। कुछ बच्चों में नींद में भूख लगने का यह व्यवहार दो से तीन साल तक भी बना रहता है। स्वभाविक है कि बच्चे की यह आदत मां और बच्चे दोनों की नींद में खलल डालती है। अधूरी नींद मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए रेड फ्लैग है। इसलिए कई बार मां बच्चे के उठने के समय का अंदाजा लगाकार उसे उठने से पहले ही फीड करवा देती है। जिसे ड्रीम फीड कहा जाता है। पर क्या यह तरीका हेल्दी है? और क्या है ड्रीम फीड का सही तरीका। आइए जानते हैं विस्तार से।

समझिए क्या है ड्रीमफीड

इस बारे में पीडियाट्रीशियन डॉ अभिषेक नायर बताते हैं कि अक्सर वे बच्चे जो रात में सही प्रकार से सोते नहीं है और रात भर बार-बार भूख लगने पर उठते है व इरिटेट रहते हैं। उनके लिए ड्रीमफीड बेहद कारगर उपाय है। इसे करने के लिए बच्चे को बेड से उठाकर गोद में लें और कमरे में डिम लाइट रखें। अब बच्चे को हल्का सा जगाकर उसे ब्रेस्ट फीड या बॉटल फीड दें। इससे बच्चे का पेट भर जाता है। फिर रात में बार बार उठने की समस्या हल हो जाती है।

इसके लिए बच्चे को अपने समय से सोने दें और फिर कुछ घंटों कें बाद ड्रीमफीड करवाएं। इसे ड्रीमफीड इसलिए कहा जाता है क्यों कि बच्चा कुछ घंटों बाद सपनों की दुनिया में खोने लगता है। ऐसे में कई बार बच्चा सोते हुए हंसने लगता है, तो कभी सोते हुए रोने लगता है। जब बच्चा थोड़ा सा हिलने ढुलने लगे, तो उसे दूध पिला दें।

Jaanein dream feed ke fayde
कुछ घंटों बाद सपनों की दुनिया में खोने लगता है। ऐसे में कई बार बच्चा सोते हुए हंसने लगता है, तो कभी सोते हुए रोने लगता है। जब बच्चा हिलने ढुलने लगे, तो दूध पिला दें। चित्र शटरस्टॉक

क्या ड्रीमफीड बच्चे के लिए सही है?

सभी बच्चे एक दूसरे से अलग होते हैं और उनके स्लीप पैटर्न व फीडिंग पैटर्न भी अलग होते हैं। ऐसे में जहां नवजात शिशु को ड्रीमफीड की आवश्यकता होती है, तो वहीं 6 महिने के बाद बच्चा जब हल्के आहार को लेने लगता है, तो उसे रात में बार बार फीड लेने और उठने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।

जहां कुछ बच्चे रात की नींद से उठकर दूध पीकर दोबारा नहीं सो पाते हैं, तो कुछ बच्चे गहरी नींद में सोने लगते हैं। अगर बच्चा रात में दूध पीने के बाद बार बार नही उठ रहा है, तो ये बच्चे के लिए फायदेमंद है। इसमें बच्चे को हल्के से नींद से जगाकर दूध पिलाया जाता है, जिसके बाद अधिकतर बच्चे दोबारा से सो जाते हैं।

फायदेमंद भी है ड्रीमफीड

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार रात को ड्रीमफीड करवाने से बच्चा देर तक सो जाता है। मगर भूख लगने के कारण बच्चे सुबह जल्दी उठने लगते हैं। रिसर्च के अनुसार बच्चा मिड नाइट तक गहरी नींद में होता है। मगर उसके बाद वो भूख कलगने पर बार बार उठने लगता है। इसके अलावा वे बच्चे जो दिन में सॉलिड्स लेते हैं यानि अपने आहार में खाद्य पदार्थों को एड करते हैं, उनमें रात में उठने की समस्या कम पाई जाती है।

सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वे बच्चे जो भरपूर नींद नहीं लेते हैं, उनमें अक्सर मोटापा, एकाग्रता की कमी और भावनात्मक समस्याएं पाई जाती है। अगर लंबे वक्त तक बच्चे की नींद पूरी नहीं होती है, तो वो ही पल चिड़चिड़ेपन का शिकार रहता है। ऐसे में बच्चे के आहार में पोषण को जोड़ने के साथ उनकी नींद की गुणवत्ता को बढ़ाना भी आवश्यक है। ऐसे में ड्रीमफीड के ज़रिए बच्चे को भरपूर नींद मिल पाती है।

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Dream feed kaise hai faydemand
बच्चे जो भरपूर नींद नहीं लेते हैं, उनमें अक्सर मोटापा, एकाग्रता की कमी और भावनात्मक समस्याएं पाई जाती है। चित्र:शटरस्टॉक

ड्रीमफीड के दौरान रखें इन बातों का ख्याल

  1. बच्चे को हल्का सा हिलाएं और उसे अपने गोद में लें। इस दौरान बच्चे के सिर को थोड़ा उंचा रखें।
  2. दूध पिलाते वक्त हल्की सी रोशनी और आसपास शांति का माहौल अवश्य रखें। इससे बच्चा डरकर नहीं जागता है।
  3. नियमित समय पर शिशु को सुलाने का प्रयास करें। इससे बच्चे का फीडिंग शेड्यूल भी फ्क्सि होने लगता है।
  4. बच्चे के होठों के नज़दीक ब्रेस्ट और बॉटल को लेकर जाएं और उसे दूध पीने के लिए फोर्स न करें। जैसे ही बच्चा नींद से जागले लगता है, वो खुद ब खुद दूध पी लेता है।
  5. दूध पिलाने के बाद बच्चे को एकदम बेड पर लिटाने की जगह उसे कंधे पर लगाएं और कुछ देर घूमें। इससे बच्च बर्प के लिए तैयार हो जाता है।
  6. एकेडमी ऑफ अमेरिकन पीडियाटरिक्स के अुनसार नवजात शिशु को ही 2 से 3 घंटे में दूध अवश्य पिलाएं। वहीं दिनभर में बच्चा 8 से 12 बार दूध पीता है।

 

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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