क्या आपको भी अपने कंधे के आसपास के क्षेत्र में दर्द महसूस होता है? इसके साथ ही क्या ऐसा लगता है कि आपकी गर्दन में असहनीय अकड़न है? अगर हां, तो यह संभव है कि आप सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस या सर्वाइकल स्पाइन से पीड़ित हो सकती हैं। इस समस्या को आमतौर पर लोग नेक सर्वाइकल के नाम से जानते हैं। यहां इस स्थिति से जुड़ी कुछ अहम जानकारी बताई गई है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
इस स्थिति के बारे में विस्तार से जानने के लिए शॉट्स ने मसीना अस्पताल में कंसल्टेंट फिजियोथेरेपिस्ट डॉ सुषमा सिंह से बात की। डॉ सुषमा बताती हैं, “सर्वाइकल स्पाइन कशेरुकाओं से बनी होती है, जो स्कल से C7 कशेरुक (ऊपरी धड़) तक फैली होती है और गर्भाशय ग्रीवा क्षेत्र में मौजूद मांसपेशियां इसे स्थिरता प्रदान करती हैं और गति की सीमा (ROM) की अनुमति देती हैं। किसी प्रकार की असामान्यता, इन्फ्लेमेशन या चोट गर्दन के दर्द का कारण बन सकती है।”
रीढ़ की पहली सात हड्डियां गर्दन के क्षेत्र में मौजूद होती हैं। इस स्थिति में लोगों को पूरी रीढ़ की बजाय गर्दन और कंधों में दर्द और जकड़न का अनुभव होता है। इसलिए इसे आमतौर पर नेक सर्वाइकल (Neck cervical) कहा जाता है।
सर्वाइकल स्पाइन से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर गर्दन और कंधे के क्षेत्र में दर्द महसूस होता है। इस स्थिति में होने वाले दर्द को काफी गंभीर बताया जाता है। लोग सर्वाइकल मसल्स में अकड़न और कसाव की भी शिकायत करते हैं। डॉ सिंह के अनुसार इसके दो प्रमुख लक्षण हैं:
इस तरह का दर्द आरओएम (ROM) को कम कर सकता है और जिसकी वजह से गर्दन में अकड़न महसूस होती है और एहसास होता है की गर्दन कही पर अटक चुकी है।
अपनी गर्दन को आगे या ऊपर की ओर ले जाते हुए दर्द का अनुभव होना। इसके साथ ही गर्दन को किसी भी तरह से थोड़ा सा भी हिलाने में असहनीय दर्द महसूस होना।
जो आपकी नियमित गतिविधियों में बाधा बन सकता है। यदि समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए, तो यह जीवन भर के लिए एक परेशानी का कारण बन जाता है। ज्यादातर मामलों में, गर्दन का दर्द गंभीर नहीं होता और कुछ दिनों में यह ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, गर्दन के चोट को नजरअंदाज करने से बचें, अन्यथा यह आपको गंभीर रूप से गर्दन के दर्द से पीड़ित कर सकता है। यदि लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से परामर्श लें और एक्स-रे, एमआरआई, सीटीस्कैन आदि जैसी जांच करवाएं।
यदि आपकी स्थिति इतनी गंभीर नहीं है, तो डॉक्टर सिंह के सुझाए कुछ घरेलू नुस्खों के साथ भी इससे उभर सकती हैं साथ ही चाहें तो फिजियोथेरेपी का भी विकल्प चुन सकती हैं।
1. क्रायोथेरेपी यानी की हॉट पैक और कोल्ड थेरेपी। इसे दर्द की गंभीरता के आधार पर अपना सकती हैं। इस थेरेपी में तरल नाइट्रोजन या आइस पैक का उपयोग किया जाता है। जो परेशानी पैदा कर रहे टिशू को नष्ट करने में मदद करता है और आपको आराम देता है।
2. ट्रैक्शन एक अन्य फिजियोथेरेपी तकनीक है, जिसे यीशु को फैलाने और जोड़ों की सतह या हड्डी के टुकड़ों को अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पुलिंग फोर्स की मदद ली जाती है। वहीं यह दर्द को कम करने में प्रभावी रूप से मदद करता है।
3. मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाले एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकती हैं। यह कंधे और गर्दन के मसल्स को रिलेक्स करता है, जिस वजह से दर्द से राहत पाने में काफी मदद मिलती है। नेक रोटेशन, शोल्डर रोल, नेक फ्लेक्सन आदि जैसे व्यायाम का अभ्यास जरूर करें।
4. ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) और इंटरफेरेंशियल थेरेपी (IFT) को विभिन्न प्रकार के तेज और पुराने दर्द से निजात पाने के लिए प्रभावी एक्सरसाइज के रूप में जाना जाते हैं। यह एक फिजियोथेरेपीक उपचार हैं, जो गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने में मददगार हो सकता है।
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