भारत में कैटेरेक्ट के कारण ब्लाइंडनेस एक बड़ी समस्या है। न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से, बल्कि आर्थिक नुकसान और सामाजिक बोझ के स्तर पर भी यह मुश्किल स्थिति हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि इस स्थिति का समय रहते उपचार करवा लिया जाए। कैटेरेक्ट सर्जरी इसमें एक जरूरी उपचरात्मक कदम है। पर इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। खासतौर से बरसात (Eye care after Cataract surgery) के मौसम में।
नेशनल ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट सर्वे इंडिया 2015-19 के अनुसार, 50 साल से ऊपर के लोगों में मोतियाबिंद अंधेपन का प्रमुख कारण है। यदि आपके परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य की मोतियाबिंद या कैटेरेक्ट से दृष्टि बाधित हो रही है, तो आपको तत्काल कैटेरेक्ट सर्जरी के विकल्प की ओर ध्यान देना चाहिए।
कैटेरेक्ट या मोतियाबिंद में आंखों के लेंस पर क्लाउड जैसा आने लगता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है। मोतियाबिंद के कारण किसी का भी दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। पढ़ने या ड्राइविंग करने की क्षमता इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। ऐसे में कैटेरेक्ट सर्जरी (Cataract surgery) सबसे अच्छा विकल्प है।
आमतौर पर यह माना जाता है कि मोतियाबिंद पक जाए, तो सर्जरी करानी चाहिए। यह सिर्फ पारंपरिक मान्यता है या सिर्फ मिथ है। मानसून में मोतियाबिंद सर्जरी कराना ठीक है या नहीं या फिर इस मौसम में मरीज की देखभाल किस तरह की जाए, इस बारे में हेल्थ शॉट्स ने नई दिल्ली के विजन आई सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. तुषार ग्रोवर से बातचीत की।
डॉ. तुषार बताते हैं कि सर्जरी की योजना बनाने से पहले मोतियाबिंद के पक जाने या पूरी तरह से परिपक्व होने की प्रतीक्षा करना सिर्फ मिथ है। एडवांस टेक्नोलॉजी रोगी के लिए सुरक्षित और आरामदायक भी है। यदि पेशेंट को देखने में दिक्कत हो रही है, तो सर्जरी कभी भी कराई जा सकती है।
कैटेरेक्ट में सबसे अधिक परेशानी धूप, धूल और इंफेक्शन से होती है। अत्यधिक गर्मी और पॉल्यूशन आंखों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। इसलिए गर्मी में सर्जरी से बचना चाहिए। यदि सर्जरी होती है, तो समय पर उपचार और देखभाल जरूरी है।
यह सर्जरी आमतौर पर सर्दी के मौसम में कराई जाती है, क्योंकि इस समय पेशेंट का ख्याल ठीक तरह से रखा जा सकता है। ठंड में नमी और पसीना दोनों कम होते हैं। इसलिए इंफेक्शन का डर नहीं रहता है। हालांकि एडवांस तकनीक के कारण किसी भी मौसम में कैटेरेक्ट सर्जरी कराई जा सकती है।
डॉ. तुषार ग्रोवर कहते हैं, “आम तौर पर आंखों का लेंस स्पष्ट होता है, लेकिन मोतियाबिंद के कारण लेंस पर क्लाउड जैसा बनने लगता है। यह विजन को प्रभावित करने लगता है। कैटरेक्ट सर्जरी में आंखों के लेंस को हटाया जाता है। ज्यादातर मामलों में इसे आर्टिफिशियल लेंस से बदल दिया जाता है।
दृष्टि को स्थायी रूप से ठीक करने के लिए प्रभावित लेंस को एक इंट्राओकुलर लेंस से बदला जाता है। एडवांस तकनीक के कारण यह सर्जरी ज्यादातर मामलों में सफल होती है।
अधिकांश मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और आंखों की रोशनी में समस्याएं पैदा करने लगते हैं। दृष्टि समय के साथ धुंधली होती जाती है। पेशेंट को दूर और पास दोनों की चीजों को देखने में दिक्कत हो सकती है। इससे प्रभावित व्यक्ति अपने चारों ओर प्रभामंडल या चकाचौंध भी महसूस कर सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंमोतियाबिंद को रोकने के लिए कोई भी उपाय सफल नहीं हो सकता है। आंखों को धूप से बचाकर और डायबिटीज कंट्रोल कर भले ही उसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो देखने में दिक्कत के साथ-साथ रोशनी जाने की भी समस्या हो सकती है। जबकि सर्जरी इस समस्या से आपको बचाती है।
1 सर्जरी के बाद एक हफ्ते तक धूल और पानी को आंखों में जाने से बचाना बेहद जरूरी है। इसलिए हमेशा आंखों पर काला चश्मा लगाकर रखना चाहिए। जो सर्जरी के बाद दिया जाता है। सोते वक्त भी चश्मा लगाकर रखा जाता है, ताकि आंखों पर किसी तरह का जोर न पड़े।
2 सर्जरी के बाद ड्राइविंग न करें। आंखों को कवर करके रखें। एक्सरसाइज न करें और आराम करें।
3 डॉक्टर के निर्देश के अनुसार, समय-समय पर आंखों में आई ड्रॉप डालते रहें।
4 आंखें बंद कर नहाएं, ताकि आंखों में पानी न जाए।
5 कैटेरेक्ट सर्जरी के बाद सबसे अधिक डर इंफेक्शन का होता है। इसलिए घर से बाहर कम से कम निकलें। स्विमिंग आदि न करें।
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