सूर्य ग्रहण को लेकर हमारे आस पास कई प्रकार की मान्यताएं है। कोई इस दौरान खाने पीने में कई बातों को फॉलो करता है, तो कोई घर से बाहर निकलने को लेकर परहेज करता है। हमारे समाज में सोलर एक्ल्पिस को लेकर कई मिथक है। जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़े इन मिथ्स के बारे में। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि किस प्रकार ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणें हमारे शरीर को प्रभावित करती है (solar eclipse effects on skin) ।
सोलर एक्लिप्स तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य से होकर गुजरता है। इससे पृथ्वी पर छाया पड़ती है। सूर्य ग्रहण केवल कुछ समय के लिए ही होता है, जो बेहद रेयर पाया जाता है। सूर्य ग्रहण को टोटल, एन्यूलर और पार्टियल के हिसाब से कैटेगराइज़ किया जाता है। ये इास बात पर निर्भर करता है कि सूर्य का कितना हिस्सा नज़र आ रहा है।
एन्यूलर(Annular) और पार्टियल (Partial) ग्रहण के दौरान भी सूर्य यूं ही चमकता रहता है। इससे आप सीधेतौर पर सूर्य के संपर्क में आते हैं। जब आप ग्रहण देखने के लिए बाहर निकलते हैं, तो आप घंटों सूर्य की रोशनी में रहते हैं। भले ही वो किरणें मध्यम होती हैं। मगर फिर भी हमारी स्किन को प्रभावित करने का काम करती है। किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम (Skin problem) से निपटने के लिए कुछ खास टिप्स का ख्याल रखें, ताकि त्वचा को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके।
इस बारे में स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ नवराज सिंह विर्क का कहना है कि यूं तो सूर्य ग्रहण हमारी सिकन को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। अगर आप सूर्य ग्रहण देखने के लिए बाहर निकल रहे हैं, तो सेफ्टी के हिसाब से कुछ बातों का ख्याल अवश्य रखें। ज्यादा देर तक सन एक्पोज़र में रहने से भी बचें। क्यों कि हल्की किरणें भी त्वचा को प्रभावित करने का काम कर सकती हैं। इसके अलाव इन बातों का भी विशेष ख्याल रखें।
एफडीए के मुताबिक एसपीएफ 15 (SPF 15) और उससे अधिक की सनस्क्रीन लगाकर ही बाहर निकलें। उनके मुताबिक क्लाउडी मौसम में भी इसे अप्लाई करना न भूलें। इसे आप नाक, कान, गर्दन, बाजूओं और पैरों पर भी लगाएं। आप इसे हर दो घंटे के बाद दोबारा चेहरे पर अप्लाई कर सकते हैं। एफडीए का कहना है कि सुबह 10 से दोपहर दो बजे के वक्त में सनस्क्रीन लगाना बेहद ज़रूरी है।
ऐसे कपड़े पहनें, ताकि आपका शरीर पूरी तरह से ढ़का रहे। बाजूओं और पैरों से लेकर हाथों को भी कपड़े के दस्तानों से ढ़क लें। हांलाकि इस बारे में कई स्किन विशेषज्ञ डॉ नवराज सिंह विर्क का मानना है कि सोलर एक्लिप्स हमारी स्किन कसे बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता है। मगर फिर भी अपनी सेफ्टी के हिसाब से हमें खुद को कवर करके रखना चाहिए। ताकि स्किन किसी परेशानी का शिकार न हो पाए।
सोलर एक्लिप्स (Solar eclipse) के वक्त अपने माथे पर भी सनस्क्रीन अप्लाई करके सिर को टोपी की मदद से ढ़क लें। इससे स्कैल्प या बाल सूर्य की किरणों से संपर्क में आने से बच सकेंगे और स्किन पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। गर्मी के वक्त में ब्रीथएबल कपड़े (Breathable clothes) और कैप व हैट पहनें।
आंखों पर सन ग्लासिज़ (Sun glasses) ज़रूर लगाएं। इससे आंखों में किसी प्रकार के इंफैक्शन या रोशनी कम होने की समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा। सूर्य ग्रहण के दौरान आंखों की सुरक्षा को ध्यान में रखे बिना खुली आंखों से सूर्य को देखना रेटिना (Retina) बर्न का कारण साबित हो सकता है।
यह एक मिथक है कि सूर्य ग्रहण के दौरान अधिक खतरनाक अल्टरावायलेट किरणों का उत्सर्जन होता है। दरअसल, सूर्य की किरणों हमेशा हमें प्रभावित करती है। ग्रहण हो या नहीं। ये इनविज़िबल यू वी रेज़ (Invisible Ultraviolet rays)उतनी ही मात्रा में आती है। मगर ग्रहण के दौरान ये रेज कम एक्सपोज़र के साथ धरती पर पहुंच पाती है।
जब सूर्य ग्रहण पृथ्वी पर आने वाली किरणों की मात्रा को सीमित करता है। तो आईरिस पुतली के आकार को बढ़ा देता है ताकिआंखों में अधिक प्रकाश देखा जा सके। दरअसल, आंख में यूवी रेज़ के जाने से रेटिना को नुकसान पहुंचाने का खतरा बढ़ जाता है।
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